*यार तुम्हारी यादों ने*
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क्या हाल किया है देखो, यार तुम्हारी यादों ने
मेरी नींदों को बेज़ार किया है, यार तुम्हारी यादों ने।
सुबह न शाम एकपल भी, तो नही सुकूँ मुझको
लम्हे लम्हे में बेचैन किया है, यार तुम्हारी यादों ने।
हँसने मुस्कुराने का भी, अब जी नही करता,
अंदर तक मुझे तोड़ दिया है, यार तुम्हारी यादों ने।
आकर एक रोज़ ये ख़ामोशी, से मुझे मार देंगी,
जिस तरह अंदर शोर किया है, यार तुम्हारी यादों ने।
मेरी रूह मेरा जिस्म सब, खो चुके हैं सुध,
इस तरह असर किया है, यार तुम्हारी यादों ने।
©V.k.Viraz
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