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न ख़ामोशियाॅं टूटती है, न इंतज़ार ख़त्म होता है और अब तो दिल भी नहीं लगता जहाॅं, वहाॅं रुक कर भी अब क्या करूॅंगी मैं ?? बस समेट रही हूॅं सारे एहसासात और जज़्बात अपने, मना रही हूॅं दिल को अपने,जिस दिन दिल कहेगा, फ़िर वो शहर,वो गली,वो अपना घर छोड़ दूॅंगी मैं। उलझनों के साथ जीने की आदत नहीं मुझे, फ़िर भी बस मोहब्बत की ख़ातिर एक तवील अर्सा गुज़ारा है मैंने बेचैनियों में, लेकिन उन्हीं उलझनों और सवालों के साथ अब ज़्यादा देर तक उस घर में नहीं रह पाऊॅंगी मैं । हाॅं छूट जाऍंगे कुछ दोस्त नए-पुराने, दूर हो जाऊॅंगी उस से भी, जिसे ख़ालिस दिल से चाहा है मैंने, इन सब से शायद फ़िर कभी नहीं मिल पाऊॅंगी मैं । उस से दूर हो कर दिल को भी कहाॅं चैन आएगा ?? लेकिन दिल को इस बात का इत्मीनान तो रहेगा कि, कम से कम इसके बाद फ़िर कभी उसकी ख़ामोशी और उसकी तकलीफ़ की वजह नहीं बनूॅंगी मैं । #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Khayaal  न ख़ामोशियाॅं टूटती है, न इंतज़ार ख़त्म होता है 
और अब तो दिल भी नहीं लगता जहाॅं,
वहाॅं रुक कर भी अब क्या करूॅंगी मैं ??

बस समेट रही हूॅं सारे एहसासात और जज़्बात अपने,
मना रही हूॅं दिल को अपने,जिस दिन दिल कहेगा,
फ़िर वो शहर,वो गली,वो अपना घर छोड़ दूॅंगी मैं।

उलझनों के साथ जीने की आदत नहीं मुझे,
फ़िर भी बस मोहब्बत की ख़ातिर 
एक तवील अर्सा गुज़ारा है मैंने बेचैनियों में,
लेकिन उन्हीं उलझनों और सवालों के साथ 
अब ज़्यादा देर तक उस घर में नहीं रह पाऊॅंगी मैं ।

हाॅं छूट जाऍंगे कुछ दोस्त नए-पुराने,
दूर हो जाऊॅंगी उस से भी, जिसे ख़ालिस दिल से चाहा है मैंने,
इन सब से शायद फ़िर कभी नहीं मिल पाऊॅंगी मैं ।

उस से दूर हो कर दिल को भी कहाॅं चैन आएगा ??
लेकिन दिल को इस बात का इत्मीनान तो रहेगा कि,
कम से कम इसके बाद फ़िर कभी उसकी ख़ामोशी और 
उसकी तकलीफ़ की वजह नहीं बनूॅंगी मैं ।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

अब ये चाहत नहीं कि वो ढूॅंढे मुझे, अब दिल ये चाहता है कि उसके दिल-ओ-ज़ेहन से ही निकल जाऊॅं मैं। इस बड़ी सी दुनिया के किसी गुमनाम से कोने में बस खो जाऊॅं मैं। यूॅं लगता था मुझे की मोहब्बत के साथ वो यक़ीन भी करता है मुझ पर खैर, इस ग़लत-फ़हमी से अब और कितना अपने दिल को बहलाऊँ मैं?? इक मेरे सिवा उसे बाक़ी सब नज़र आते हैं, लेकिन मलाल सिर्फ़ इस बात का है कि उसे बस मैं ही नज़र नहीं आती, अब कोशिश मैं भी करुॅंगी कि अब उस की नज़र को नज़र ही न आऊॅं मैं। ग़लती मेरी थी ही नहीं कोई लेकिन अंजाने में ही सही उसके दर्द और तकलीफ़ की वजह मैं बन गई, अब बेहतर यही है कि दिल से उसके उतर ही जाऊॅं मैं। उसने जो भी किया उसकी सज़ा उस से भी ज़्यादा मुझे मिली है, दिल की तड़प कितनी ही बार ऑंसू बन कर आँखों से निकली है। ये बात उसे अब कैसे और कहाॅं तक समझाऊॅं मैं ?? दिल चाहता है कि सब कुछ ठीक हो जाए लेकिन दिल की ये चाहत उसे कैसे दिखाऊॅं मैं?? अब उम्मीद ही ना रही कोई बाक़ी, अब दिल ये चाहता है कि , बस कहीं खो जाऊॅं मैं,उसकी नज़र से ओझल हो जाऊॅं मैं। हो सकता है कि फ़िर आसानी हो उसके लिए मुझे भूल जाने में लेकिन ये मुमकिन ही नहीं कि उसे भूल जाऊॅं मैं। #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  अब ये चाहत नहीं कि वो ढूॅंढे मुझे,
अब दिल ये चाहता है कि उसके दिल-ओ-ज़ेहन से ही निकल जाऊॅं मैं।
इस बड़ी सी दुनिया के किसी गुमनाम से कोने में बस खो जाऊॅं मैं।

यूॅं लगता था मुझे की मोहब्बत के साथ वो यक़ीन भी करता है मुझ पर 
खैर, इस ग़लत-फ़हमी से अब और कितना अपने दिल को बहलाऊँ मैं??

इक मेरे सिवा उसे बाक़ी सब नज़र आते हैं, 
लेकिन मलाल सिर्फ़ इस बात का है कि उसे बस मैं ही नज़र नहीं आती,
अब कोशिश मैं भी करुॅंगी कि अब उस की नज़र को नज़र ही न आऊॅं मैं।

ग़लती मेरी थी ही नहीं कोई लेकिन अंजाने में ही सही 
उसके दर्द और तकलीफ़ की वजह मैं बन गई,
अब बेहतर यही है कि दिल से उसके उतर ही जाऊॅं मैं।

उसने जो भी किया उसकी सज़ा उस से भी ज़्यादा मुझे मिली है,
दिल की तड़प कितनी ही बार ऑंसू बन कर आँखों से निकली है।
ये बात उसे अब कैसे और कहाॅं तक समझाऊॅं मैं ??

दिल चाहता है कि सब कुछ ठीक हो जाए 
लेकिन दिल की ये चाहत उसे कैसे दिखाऊॅं मैं??

अब उम्मीद ही ना रही कोई बाक़ी, अब दिल ये चाहता है कि ,
बस कहीं खो जाऊॅं मैं,उसकी नज़र से ओझल हो जाऊॅं मैं।

हो सकता है कि फ़िर आसानी हो उसके लिए मुझे भूल जाने में 
लेकिन ये मुमकिन ही नहीं कि उसे भूल जाऊॅं मैं।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

वो माफ़ी माॅंगे अपनी ग़लतियों पर, या फ़िर मेरे सामने झुके शर्मिंदा हो कर, ये तो कभी भी नहीं चाहती थी मैं। लेकिन जो बातें बिगड़ी हैं उसकी वजह से , वो ख़ुद ही उन्हें ठीक भी करे, ये ज़रूर चाहती थी मैं। मैंने हमेशा बहुत दिल से क़द्र की है उसकी और आज भी करती हूॅं इसलिए वो मेरे सामने झुके, इस में मैं ख़ुद की ही तौहीन समझती हूॅं। मोहब्बत में सिर्फ़ एहसास दिलाया जाता है ग़लतियों का, इक-दूसरे को झुकाया नहीं जाता, मोहब्बत का ये तकाज़ा मैं भी जानती हूॅं । मेरी जगह पर ख़ुद को रख कर कभी सोचा ही नहीं उसने मेरे लिए, बस एक सच, जो बहुत मामूली था शायद उसके लिए लेकिन बहुत ज़रूरी था मेरे लिए, उस एक सच के लिए उसने कितना तड़पाया है मेरे दिल को उसे इस बात का ज़रा सा भी एहसास नहीं। कहीं तो कोई ग़लती हुई है उस से , एहसास तो उसे इस बात का भी नहीं। और शायद इसीलिए बिगड़ी हुई बातों को ठीक करने की ज़रूरत भी उसे महसूस हुई नहीं । #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  वो माफ़ी माॅंगे अपनी ग़लतियों पर, या फ़िर मेरे सामने झुके 
शर्मिंदा हो कर, ये तो कभी भी नहीं चाहती थी मैं।
लेकिन जो बातें बिगड़ी हैं उसकी वजह से , 
वो ख़ुद ही उन्हें ठीक भी करे, ये ज़रूर चाहती थी मैं।

मैंने हमेशा बहुत दिल से क़द्र की है उसकी और आज भी करती हूॅं 
इसलिए वो मेरे सामने झुके, इस में मैं ख़ुद की ही तौहीन समझती हूॅं।
मोहब्बत में सिर्फ़ एहसास दिलाया जाता है ग़लतियों का, 
इक-दूसरे को झुकाया नहीं जाता,
 मोहब्बत का ये तकाज़ा मैं भी जानती हूॅं ।

मेरी जगह पर ख़ुद को रख कर कभी सोचा ही नहीं उसने मेरे लिए,
बस एक सच, जो बहुत मामूली था शायद उसके लिए लेकिन 
बहुत ज़रूरी था मेरे लिए, उस एक सच के लिए 
उसने कितना तड़पाया है मेरे दिल को 
उसे इस बात का ज़रा सा भी एहसास नहीं।

कहीं तो कोई ग़लती हुई है उस से ,
एहसास तो उसे इस बात का भी नहीं।
और शायद इसीलिए बिगड़ी हुई बातों को ठीक करने की 
ज़रूरत भी उसे महसूस हुई नहीं ।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

वो शख़्स कभी ख़ुद को मेरी जगह पर और मुझे उसकी जगह पर रख कर सोचे कि जो जो उसने किया,वो सब मैंने भी किया होता अगर,तो क्या करता वो?? उसकी तरह उसके सामने मैं भी बदल लेती अपना नाम, पहचान और किरदार, तो क्या इस बदले हुए किरदार और पहचान के साथ मुझे accept कर पाता वो?? मैंने भी बोले होते अगर झूठ उस से अपनी पहचान छुपाने के लिए तो मेरे झूठ सुन कर, मुझे अपने दिल में क्या उसी पहलेवाले मक़ाम पर रख पाता वो?? मैंने भी निभाई होती दोस्ती किसी से इस हद तक की मुझ से मोहब्बत हो जाती उसे, ये बात जानने के बाद भी क्या उतनी ही शिद्दत से मुझ से मोहब्बत कर पाता वो?? वो जैसे सजाता है किसी और की निशानियों से तहरीरें अपनी, उसकी तरह मैं भी अगर किसी दूसरे की निशानियों से सजाती अपनी तहरीरें तो क्या ग़लत-फ़हमियों में मुब्तिला नहीं होता वो?? जो रवैये उसने मेरे लिए अपनाए मैं भी उसके लिए अपनाती अगर , जिस तरह किसी और की वजह से उसने मुझे बार-बार नज़र अंदाज़ किया मैं भी बार-बार यही करती अगर, तो क्या मेरे इस रवैए को बर्दाश्त कर पाता वो?? मैंने तब भी अपना यक़ीन टूटने नहीं दिया जब वो किसी और का दिल बहलाता था, कोई और ही उसके लिए मोहब्बत की तहरीरें लिख रहा था, फ़िर उसकी ख़ुद की नज़र में वो रिश्ता चाहे जो भी हो, लेकिन मैं भी उसकी तरह किसी और का दिल बहलाने लग जाती अगर तो क्या तब भी मुझ पर अपना यक़ीन बरक़रार रख पाता वो ?? माना कि बोला होगा झूठ उसने फ़िर से इक नई शुरुआत करने के लिए लेकिन जब रिश्ता ही उलझने लगा था तब सच को ज़ाहिर कर के ग़लत-फ़हमियाॅं दूर कर देना ज़रूरी था, इस बात को कभी क्यूॅं नहीं समझा वो ?? जिस दिन से बदला है वो उस दिन से ले कर आज तक मैं किस अज़िय्यत से गुजरी हूॅं, मेरी जगह ख़ुद को रख कर अगर कभी मेरे बारे में भी सोचता वो , तो शायद मेरी भी अज़िय्यत और तकलीफ़ को महसूस कर पाता वो । मोहब्बत में इक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता, मक़सद तो सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने का था, वर्ना ये सारी बातें वहाॅं भी लिख सकती थीं मैं, जहाॅं इन सारी बातों को पढ़ पाता वो। ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  वो शख़्स कभी ख़ुद को मेरी जगह पर और मुझे उसकी जगह पर रख कर सोचे 
कि जो जो उसने किया,वो सब मैंने भी किया होता अगर,तो क्या करता वो??
उसकी तरह उसके सामने मैं भी बदल लेती अपना नाम, पहचान और किरदार,
तो क्या इस बदले हुए किरदार और पहचान के साथ मुझे accept कर पाता वो??
मैंने भी बोले होते अगर झूठ उस से अपनी पहचान छुपाने के लिए 
तो मेरे झूठ सुन कर, मुझे अपने दिल में क्या उसी पहलेवाले मक़ाम पर रख पाता वो??
मैंने भी निभाई होती दोस्ती किसी से इस हद तक की मुझ से मोहब्बत हो जाती उसे,
ये बात जानने के बाद भी क्या उतनी ही शिद्दत से मुझ से मोहब्बत कर पाता वो??
वो जैसे सजाता है किसी और की निशानियों से तहरीरें अपनी, 
उसकी तरह मैं भी अगर किसी दूसरे की निशानियों से सजाती अपनी तहरीरें 
तो क्या ग़लत-फ़हमियों में मुब्तिला नहीं होता वो??
जो रवैये उसने मेरे लिए अपनाए मैं भी उसके लिए अपनाती अगर ,
जिस तरह किसी और की वजह से उसने मुझे बार-बार नज़र अंदाज़ किया 
मैं भी बार-बार यही करती अगर, तो क्या मेरे इस रवैए को बर्दाश्त कर पाता वो??
मैंने तब भी अपना यक़ीन टूटने नहीं दिया जब वो किसी और का दिल बहलाता था,
कोई और ही उसके लिए मोहब्बत की तहरीरें लिख रहा था, 
फ़िर उसकी ख़ुद की नज़र में वो रिश्ता चाहे जो भी हो, लेकिन 
मैं भी उसकी तरह किसी और का दिल बहलाने लग जाती अगर 
तो क्या तब भी मुझ पर अपना यक़ीन बरक़रार रख पाता वो ??
माना कि बोला होगा झूठ उसने फ़िर से इक नई शुरुआत करने के लिए लेकिन 
जब रिश्ता ही उलझने लगा था तब सच को ज़ाहिर कर के 
ग़लत-फ़हमियाॅं दूर कर देना ज़रूरी था, इस बात को कभी क्यूॅं नहीं समझा वो ??
जिस दिन से बदला है वो उस दिन से ले कर आज तक मैं किस अज़िय्यत से गुजरी हूॅं, 
मेरी जगह ख़ुद को रख कर अगर कभी मेरे बारे में भी सोचता वो ,
तो शायद मेरी भी अज़िय्यत और तकलीफ़ को महसूस कर पाता वो ।
मोहब्बत में इक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता,
मक़सद तो सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने का था, वर्ना 
ये सारी बातें वहाॅं भी लिख सकती थीं मैं, जहाॅं इन सारी बातों को पढ़ पाता वो।

©Sh@kila Niy@z

आप दिल से किसी की मदद करना चाहते हैं, किसी को emotionally support करना, किसी का हौसला बढ़ाना चाहते हैं या फ़िर नेक दिल से किसी की फ़िक्र करते हैं अगर तो बेशक कीजिए, यही तो इक अच्छा इंसान होने की निशानियाॅं हैं। लेकिन उस से पहले अपने लिए एक healthy boundry set कीजिए, अपनी priorities सेट कीजिए । अब आप सोचेंगे कि, किसी की help करने के लिए इन हदों की क्या ज़रूरत है?? लेकिन किसी की, किसी भी तरह की मदद करने के लिए भी ये हदें ज़रूरी होती हैं ताकि आप को ख़ुद को ये एहसास रहे कि किस की,किस हद तक मदद करनी चाहिए और किस हद पर जा कर रुक जाना चाहिए। किसी को हौसला देने के लिए, emotional support देने के लिए या फ़िर किसी और तरह की मदद करने के लिए भी अगर आप सही-गलत, अच्छाई-बुराई का फ़र्क़ ही भूल जायेंगे, और नैतिकता की हदों को तोड़ कर अगर आप लोगों की मदद करने की कोशिश करेंगे, तो बेशक आप ग़लत ही करेंगे, ख़ुद के साथ भी और शायद उस सामनेवाले इंसान के साथ भी, जिस की आप मदद कर रहे हैं। फ़िर भले ही आप की नीयत और इरादे कितने ही नेक क्यूॅं न हो , क्यूंकि आप की नेक नियत,आप के नेक इरादें सिर्फ़ आप के सिवा किसी और को नज़र ही नहीं आते, उस इंसान को भी नहीं जिसकी आप help कर रहे हैं। उस इंसान को अगर कुछ नज़र और समझ आता है तो सिर्फ़ आप का उसके साथ किया जा रहा बरताव, रवैया, और आप की बातें, और यही सब काफ़ी होता है किसी के दिल में ग़लत-फ़हमियाॅं पैदा करने के लिए। और उन ग़लत-फ़हमियों का अंजाम अच्छा-बुरा, कुछ भी हो सकता है। फ़िर वो इंसान आप से और ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगता है फ़िर जब आप उसकी ग़लत-फहमियाॅं दूर कर देते हैं उसकी उम्मीदें पूरी नहीं कर पाते फ़िर वही इंसान आप को ग़लत या फ़िर बुरा भी साबित कर देता हैं। इसलिए अपने सही दायरों में रह कर दूसरों की मदद कीजिए और खुद को हमेशा ये एहसास दिलाते रहिए कि , किस हद तक किस की मदद करनी चाहिए और कहा पर जा कर रुक जाना चाहिए। आप लोगों के बरताव को control नहीं कर सकते लेकिन आप को, ख़ुद को और ख़ुद के जज़्बात को control करना आना ही चाहिए । और सब से ज़रूरी बात ये है कि .... " आप अपनी हदों में रह कर भी एक अच्छे इंसान बन कर रह सकते हैं, ख़ुद को अच्छा इंसान साबित करने के लिए किसी भी सही दायरे को तोड़ना ज़रूरी नहीं" #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#healthy_boundries #basekkhayaal #nojotohindi #Self_help #basyunhi  आप दिल से किसी की मदद करना चाहते हैं, किसी को emotionally 
support करना, किसी का हौसला बढ़ाना चाहते हैं या फ़िर नेक दिल से 
किसी की फ़िक्र करते हैं अगर तो बेशक कीजिए, यही तो इक अच्छा इंसान 
होने की निशानियाॅं हैं।  लेकिन उस से पहले अपने लिए एक healthy boundry 
set कीजिए, अपनी priorities सेट कीजिए । 
अब आप सोचेंगे कि, किसी की help करने के लिए इन हदों की क्या ज़रूरत है?? 
लेकिन किसी की, किसी भी तरह की मदद करने के लिए भी ये हदें ज़रूरी होती हैं 
ताकि आप को ख़ुद को ये एहसास रहे कि किस की,किस हद तक 
मदद करनी चाहिए और किस हद पर जा कर रुक जाना चाहिए।
किसी को हौसला देने के लिए, emotional support देने के लिए या फ़िर किसी और 
तरह की मदद करने के लिए भी अगर आप सही-गलत, अच्छाई-बुराई का फ़र्क़ ही 
भूल जायेंगे, और नैतिकता की हदों को तोड़ कर अगर आप लोगों की मदद करने की 
कोशिश करेंगे, तो बेशक आप ग़लत ही करेंगे, ख़ुद के साथ भी और शायद उस 
सामनेवाले इंसान के साथ भी, जिस की आप मदद कर रहे हैं।
फ़िर भले ही आप की नीयत और इरादे कितने ही नेक क्यूॅं न हो , 
क्यूंकि आप की नेक नियत,आप के नेक इरादें  सिर्फ़ आप के सिवा किसी और को 
नज़र ही नहीं आते, उस इंसान को भी नहीं जिसकी आप help कर रहे हैं।
उस इंसान को अगर कुछ नज़र और समझ आता है तो सिर्फ़ आप का उसके साथ 
किया जा रहा बरताव, रवैया, और आप की बातें, 
और यही सब काफ़ी होता है किसी के दिल में ग़लत-फ़हमियाॅं पैदा करने के लिए।
और उन ग़लत-फ़हमियों का अंजाम अच्छा-बुरा, कुछ भी हो सकता है।
फ़िर वो इंसान आप से और ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगता है फ़िर जब आप उसकी 
ग़लत-फहमियाॅं दूर कर देते हैं उसकी उम्मीदें पूरी नहीं कर पाते फ़िर वही इंसान 
आप को ग़लत या फ़िर बुरा भी साबित कर देता हैं।
इसलिए अपने सही दायरों में रह कर दूसरों की मदद कीजिए और खुद को 
हमेशा ये एहसास दिलाते रहिए कि , किस हद तक किस की मदद करनी चाहिए 
और कहा पर जा कर रुक जाना चाहिए।  आप लोगों के बरताव को control 
नहीं कर सकते लेकिन आप को, ख़ुद को और ख़ुद के जज़्बात को 
control करना आना ही चाहिए ।  और सब से ज़रूरी बात ये है कि .... 
" आप अपनी हदों में रह कर भी एक अच्छे इंसान बन कर रह सकते हैं,
ख़ुद को अच्छा इंसान साबित करने के लिए किसी भी सही दायरे को तोड़ना ज़रूरी नहीं"

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

यूॅं तो ये बात सच है कि ज़िंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिन का कोई नाम नहीं होता, बस बेनाम होते हैं लेकिन फ़िर भी दिल के क़रीब होते हैं और ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन फ़िर ऐसे रिश्तों की एक हक़ीक़त ये भी है ना कि, ऐसे बेनाम रिश्तों में फ़िर इक-दूसरे पर कोई हक़ ही नहीं होता। इक-दूसरे की अच्छाइयाॅं-बुराइयाॅं बताने का,दिल खोल कर तारीफ़ करने का, या फ़िर किसी की गलतियाॅ़ बताने का कोई हक नहीं होता, तब-तक,जब-तक इक दूसरे को ऐसा कोई हक़ दिया न जाए। और फ़िर ऐसे रिश्तों में अक्सर ख़ामोश ही रहना पड़ता है और फ़िर दिल में ये सवाल आता है कि, जहां हमारा कोई हक़ ही नहीं ऐसा रिश्ता निभाते रहने का क्या जवाज़ बनता है?? आप का उस इंसान के बिना दिल नहीं लगता क्या सिर्फ़ इसलिए ही वो इंसान बिना किसी हक़ के आप से रिश्ता निभाता रहे?? जब आप का दिल करे आप उस से बात करें,जब चाहे उसे ignore करें, गलतियाॅं आप करें और फ़िर भी वही आप के सामने झुकता रहे?? जब उसका दिल करे आप से बात करने का,आप कही और ही busy रहें, उस से भी ज़्यादा कोई और ही आप के लिए ज़रूरी हो जाए और फ़िर भी वही इंसान रिश्ते को बनाए रखने की कोशिश करें?? क्यूॅं और किस लिए ?? क्या आपने कभी ये सोचा कि आप के ऐसे बरताव से उस इंसान के दिल को कितनी तकलीफ़ होती होगी ?? क्या सिर्फ़ उसी के लिए आप ज़रूरी हैं?? आप के लिए वो इंसान ज़रूरी नहीं?? और फ़िर भी अगर आप अपनी मर्ज़ी और सहूलियत के हिसाब से ही रिश्ता निभाना चाहते हैं अगर तो फ़िर उस इंसान को भी ये हक़ दीजिए कि वो भी अपने हिसाब से रिश्ता निभाए। वर्ना बेहतर यही है कि आज़ाद कर दीजिए इस रिश्ते से उसे भी और ख़ुद भी आज़ाद हो जाइए और ढूॅंढ लीजिए कोई ऐसा इंसान जो आप की मर्ज़ी के हिसाब से आप से रिश्ता निभाए। क्यूॅंकि हर कोई इतना भी मजबूर नहीं होता कि बार-बार अपनी ख़ुद्दारी को मार कर आप के सामने हर बार झुक जाए । #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#benaam_rishte #basekkhayaal #self_respect #nojotohindi #basyunhi  यूॅं तो ये बात सच है कि ज़िंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं 
जिन का कोई नाम नहीं होता, बस बेनाम होते हैं लेकिन फ़िर भी 
दिल के क़रीब होते हैं और ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन जाते हैं।
लेकिन फ़िर ऐसे रिश्तों की एक हक़ीक़त ये भी है ना कि, 
ऐसे बेनाम रिश्तों में फ़िर इक-दूसरे पर कोई हक़ ही नहीं होता।
इक-दूसरे की अच्छाइयाॅं-बुराइयाॅं बताने का,दिल खोल कर तारीफ़ करने का,
या फ़िर किसी की गलतियाॅ़ बताने का कोई हक नहीं होता,
तब-तक,जब-तक इक दूसरे को ऐसा कोई हक़ दिया न जाए।
और फ़िर ऐसे रिश्तों में अक्सर ख़ामोश ही रहना पड़ता है और 
फ़िर दिल में ये सवाल आता है कि,
जहां हमारा कोई हक़ ही नहीं ऐसा रिश्ता निभाते रहने का क्या जवाज़ बनता है??

आप का उस इंसान के बिना दिल नहीं लगता क्या सिर्फ़ इसलिए ही 
वो इंसान बिना किसी हक़ के आप से रिश्ता निभाता रहे??
जब आप का दिल करे आप उस से बात करें,जब चाहे उसे ignore करें,
गलतियाॅं आप करें और फ़िर भी वही आप के सामने झुकता रहे??
जब उसका दिल करे आप से बात करने का,आप कही और ही busy रहें,
उस से भी ज़्यादा कोई और ही आप के लिए ज़रूरी हो जाए 
और फ़िर भी वही इंसान रिश्ते को बनाए रखने की कोशिश करें??
क्यूॅं और किस लिए ??  क्या आपने कभी ये सोचा कि आप के ऐसे 
बरताव से उस इंसान के दिल को कितनी तकलीफ़ होती होगी ??
क्या सिर्फ़ उसी के लिए आप ज़रूरी हैं??
आप के लिए वो इंसान ज़रूरी नहीं??  और फ़िर भी अगर आप 
अपनी मर्ज़ी और सहूलियत के हिसाब से ही रिश्ता निभाना चाहते हैं अगर 
तो फ़िर उस इंसान को भी ये हक़ दीजिए कि वो भी अपने हिसाब से रिश्ता निभाए।
वर्ना बेहतर यही है कि आज़ाद कर दीजिए इस रिश्ते से उसे भी और 
ख़ुद भी आज़ाद हो जाइए और ढूॅंढ लीजिए कोई ऐसा इंसान 
जो आप की मर्ज़ी के हिसाब से आप से रिश्ता निभाए।
क्यूॅंकि हर कोई इतना भी मजबूर नहीं होता कि बार-बार 
अपनी ख़ुद्दारी को मार कर आप के सामने हर बार झुक जाए ।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z
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