इस तरह तो नहीं निभाई जाती मोहब्बत,जिस तरह निभाता ह | हिंदी Shayari

"इस तरह तो नहीं निभाई जाती मोहब्बत,जिस तरह निभाता है वो मोहब्बत सच्ची है अगर, तो किसी और का नक़ाब ओढ कर क्यूॅं आता है वो?? और कब तक सुनेगा वो मेरी ज़ुबान से ख़ुद की ही मोहब्बत की दास्ताॅं हक़ीक़त जानते हुए भी अंजान बन कर, मुझे ही क्यूॅं आज़माता है वो?? मैंने ना कभी सच से इन्कार किया और ना मेरी कोई हक़ीक़त छुपी हुई है उस से, और मुझ पर इतना भी यक़ीन नहीं उसे की, जो बातें जानना ज़रूरी है मेरे लिए वो बातें भी मुझ से ही छुपाता हैं वो । और अगर उसके इतने भी यक़ीन के क़ाबिल नहीं हूॅं मैं, तो फ़िर किस जवाज़ से बातें मोहब्बत की करता है वो?? जहाॅं यक़ीन ही नहीं होता वहाॅं फ़िर मोहब्बत भी नहीं होती, क्या इतनी सी बात भी नहीं समझ पाता है वो ?? न जाने वो किस भरम में रखना चाहता है मुझे, और न जाने किस वहम-ओ-ग़ुमान में ख़ुद भी रहना चाहता है वो मुझे तो बस इतना ही समझ आता है कि, इस तरह निभाई ही नहीं जाती मोहब्बत जिस तरह निभाता है वो । #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z"

 इस तरह तो नहीं निभाई जाती मोहब्बत,जिस तरह निभाता है वो 
मोहब्बत सच्ची है अगर, तो किसी और का नक़ाब ओढ कर क्यूॅं आता है वो??

और कब तक सुनेगा वो मेरी ज़ुबान से ख़ुद की ही मोहब्बत की दास्ताॅं
हक़ीक़त जानते हुए भी अंजान बन कर, मुझे ही क्यूॅं आज़माता है वो??

मैंने ना कभी सच से इन्कार किया और ना मेरी कोई हक़ीक़त छुपी हुई है उस से,
और मुझ पर इतना भी यक़ीन नहीं उसे की, जो बातें जानना ज़रूरी है मेरे लिए 
वो बातें भी मुझ से ही छुपाता हैं वो ।

और अगर उसके इतने भी यक़ीन के क़ाबिल नहीं हूॅं मैं,
तो फ़िर किस जवाज़ से बातें मोहब्बत की करता है वो??

जहाॅं यक़ीन ही नहीं होता वहाॅं फ़िर मोहब्बत भी नहीं होती, 
क्या इतनी सी बात भी नहीं समझ पाता है वो ??

न जाने वो किस भरम में रखना चाहता है मुझे,
और न जाने किस वहम-ओ-ग़ुमान में ख़ुद भी रहना चाहता है वो 

मुझे तो बस इतना ही समझ आता है कि,
इस तरह निभाई ही नहीं जाती मोहब्बत जिस तरह निभाता है वो ।

#bas yunhi .......

©Sh@kila Niy@z

इस तरह तो नहीं निभाई जाती मोहब्बत,जिस तरह निभाता है वो मोहब्बत सच्ची है अगर, तो किसी और का नक़ाब ओढ कर क्यूॅं आता है वो?? और कब तक सुनेगा वो मेरी ज़ुबान से ख़ुद की ही मोहब्बत की दास्ताॅं हक़ीक़त जानते हुए भी अंजान बन कर, मुझे ही क्यूॅं आज़माता है वो?? मैंने ना कभी सच से इन्कार किया और ना मेरी कोई हक़ीक़त छुपी हुई है उस से, और मुझ पर इतना भी यक़ीन नहीं उसे की, जो बातें जानना ज़रूरी है मेरे लिए वो बातें भी मुझ से ही छुपाता हैं वो । और अगर उसके इतने भी यक़ीन के क़ाबिल नहीं हूॅं मैं, तो फ़िर किस जवाज़ से बातें मोहब्बत की करता है वो?? जहाॅं यक़ीन ही नहीं होता वहाॅं फ़िर मोहब्बत भी नहीं होती, क्या इतनी सी बात भी नहीं समझ पाता है वो ?? न जाने वो किस भरम में रखना चाहता है मुझे, और न जाने किस वहम-ओ-ग़ुमान में ख़ुद भी रहना चाहता है वो मुझे तो बस इतना ही समझ आता है कि, इस तरह निभाई ही नहीं जाती मोहब्बत जिस तरह निभाता है वो । #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z

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