रास छंद [सम मात्रिक]
विधान – 22 मात्रा, 8,8,6 पर यति, अंत में 112 , चार चरण , क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l
नहीं वैर तुम,रखो मन में,प्रेम रखो,
हार यहाँ तुम,बहुत लिये हो,जीत चखो।
संघर्ष यहाँ,मूल मंत्र है,सदा करो,
बड़ा अभी जो,किया इसे है,ध्यान धरो।१
एक बार में,पर्वत चढ़ना,सरल नहीं,
धीरे-धीरे,आगे बढ़ना,सरल यही।
कभी न सोचो,तुम यत्न करो,बढ़े चलो,
मिले कष्ट भी,नहीं रुको तुम,चले चलो।२
©Bharat Bhushan pathak
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