Bharat Bhushan pathak

Bharat Bhushan pathak

एक कवि,कहानीकार व लेखक।मैं शब्दों को जीवन्त करने का प्रयत्न करता रहता हूँ।मुझे युट्यूब चैनल-varythe untold mystery पर देखा जा सकता है।आप मुझे मेरे अपने ब्लाॅग bbpathak68blogspot.com prपढ़ सकते हैं। अभी कुछ ही दिनों में मेरी अमेजाॅन किण्डल पर पुस्तक आने वाली है काव्यसमिधा। गुरुजन वहाँ मार्गदर्शन करेंगे और छंद विद्यार्थियों को मैं यदि कुछ समझाने में सक्षम हूँ तो वो भी उसे पढ़ सकते हैं। https://amzn.eu/d/c5AL3sX अब अमेजन पर काव्यसमिधा की पेपरबैक उपलब्ध https://www.flipkart.com/kavyasamidha-bharat-bhushan-pathak-hindi-2023-shopizen-in/p/itm8f1171430a814?pid=9789356005907&cmpid=product.share.pp&_refId=PP.b7d4d939-dd84-4325-b880-b677dc90a5ec.9789356005907&_appId=CL https://shopizen.app.link/U4pk3foz https://amzn.eu/d/c5AL3sX

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बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला। इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।। पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया। प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।। आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना। जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।। ©Bharat Bhushan pathak

 बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला।
इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।।
पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया।
प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।।
आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना।
जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।।

©Bharat Bhushan pathak

सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठीक चौपाई वाला और 12 मात्रा वाले पद में तीन चौकल अथवा एक अठकल और एक चौकल हो सकते हैं। 12 मात्रिक पद का अंत गुरु या 2 लघु से होना आवश्यक है किन्तु गेयता के हिसाब से गुरु-गुरु से हुआ चरणान्त अत्युत्तम माना जाता है लेकिन ऐसी कोई अनिवार्यता भी नहीं है hindi poetry poetry on love poetry in hindi poetry quotes deep poetry in urdu

15 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

शुभ प्रभात ही बोलिए,मिलते सबसे आप। मिलता है सम्मान भी,करते रहना जाप।। करते रहना जाप,मिलेगा तुमको मेवा सदा रहे ये ध्यान,करने पहले कलेवा कहे यही कविराय, सुन्दर बनाओ विभात। नहीं करो आघात, सदा कहना शुभ प्रभात।। ©Bharat Bhushan pathak

#कुंडलिया_छंद #morningpoetry  शुभ प्रभात ही बोलिए,मिलते सबसे आप।
मिलता है सम्मान भी,करते रहना जाप।।   
करते रहना जाप,मिलेगा तुमको मेवा
सदा रहे ये ध्यान,करने पहले कलेवा
कहे यही कविराय, सुन्दर बनाओ विभात।
नहीं करो आघात, सदा कहना शुभ प्रभात।।

©Bharat Bhushan pathak

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9 Love

Unsplash आज़ादी को,माता की,बलिदान हुए,हैं वीर यहाँ। डटकर रण में,दुश्मन पे,बनकर बरसे,शमशीर वहाँ।। नहीं किसी में,दया यहाँ,दनुज मनुज अब,दिखता बस है। हार-जीत अरु,पाप-पुण्य,लगता सब कुछ,इनके वश है।।1 कर्म यहाँ जो,करता है,सुनें बात,कभी न है करता । जो बात यहाँ,करता है,असल में वही तो है डरता।। सिंहों के शावक ही हैं,जो नहीं कभी,भी हैं डरते । हो काल सम्मुख भले भी,अगर खड़ा हँसकर हैं वरते।2 ©Bharat Bhushan pathak

 Unsplash आज़ादी को,माता की,बलिदान हुए,हैं वीर यहाँ।
डटकर रण में,दुश्मन पे,बनकर बरसे,शमशीर वहाँ।।
नहीं किसी में,दया यहाँ,दनुज मनुज अब,दिखता बस है।
हार-जीत अरु,पाप-पुण्य,लगता सब कुछ,इनके वश है।।1

कर्म यहाँ जो,करता है,सुनें बात,कभी न है करता ।
जो बात यहाँ,करता है,असल में वही तो है डरता।।
सिंहों के शावक ही हैं,जो नहीं कभी,भी हैं डरते ।
हो काल सम्मुख भले भी,अगर खड़ा हँसकर हैं वरते।2

©Bharat Bhushan pathak

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12 Love

अज्ञान सर में डूबे प्राणी,ढूँढ रहे ज्ञानी बूँदे। नहीं भटकना ऐसे तुम तो,यहाँ कभी आँखें मूँदे।। समझ-समझकर जो ना समझे,नासमझी इसको मानें। बड़बोली सब रह जाएगी,कर्म को धर्म ही जानें।। वैर यहाँ पे क्यों है करना,सब मिट्टी में है जाना । हँसी-खुशी से मिल ले बन्दे,कल ना फिर होगा आना।। सुमन प्रेम के नित्य लगाओ,बीज बुराई ना रोपो। गलती तुमसे हो जाए तो,उसे किसी पे ना थोपो।। नहीं द्रौपदी अपमानित हो,कभी दुशासन के हाथों। जागो प्रियवर तुमसब मेरे,नारी सुरक्षा को नाथों।। ©Bharat Bhushan pathak

 अज्ञान सर में डूबे प्राणी,ढूँढ रहे ज्ञानी बूँदे।
नहीं भटकना ऐसे तुम तो,यहाँ कभी आँखें मूँदे।।
समझ-समझकर जो ना समझे,नासमझी इसको मानें।
बड़बोली सब रह जाएगी,कर्म को धर्म ही जानें।।
वैर यहाँ पे क्यों है करना,सब मिट्टी में है जाना ।
हँसी-खुशी से मिल ले बन्दे,कल ना फिर होगा आना।।
सुमन प्रेम के नित्य लगाओ,बीज बुराई ना रोपो।
गलती तुमसे हो जाए तो,उसे किसी पे ना थोपो।।
नहीं द्रौपदी अपमानित हो,कभी दुशासन के हाथों।
जागो प्रियवर तुमसब मेरे,नारी सुरक्षा को नाथों।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak

 विषय-वीर/ आल्हा छंद
विधा-१६-१५  मात्रा प्रति चरण,चार चरण।
दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है।

छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास।

नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।।

ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान।
अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।।

काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज।

स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है  साज।।

©Bharat Bhushan pathak

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17 Love

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