#jaishriram
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Jai Shri Ram राम नाम मन जाप,यही प्राण संजीवनी। मेटे सब संताप,तारे सुन जग से यही।। राम नाम अवलंब,इसको मन कसकर धरो। होवे नहीं विलंब,ध्यान सदा ही तुम रखो।। केवल राम न नाम,जगत का आधार यही । जपो इसे अविराम,संबल सुन देगा यही।। राम सुखों के धाम,हर्षित मन जपते रहे। छोड़ जगत के काम,काम यह सबसे बड़ा।। ©Bharat Bhushan pathak

#सोरठा_छंद #jaishriram  Jai Shri Ram                  राम नाम मन जाप,यही प्राण संजीवनी।
                 मेटे सब संताप,तारे सुन जग से यही।।
 
                 राम नाम अवलंब,इसको मन कसकर धरो।
                 होवे नहीं विलंब,ध्यान सदा ही तुम रखो।।
              
                 केवल राम न नाम,जगत का आधार यही ।
                जपो इसे अविराम,संबल सुन देगा यही।।
               
                राम सुखों के धाम,हर्षित मन जपते रहे।
                छोड़ जगत के काम,काम यह सबसे बड़ा।।

©Bharat Bhushan pathak

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12 Love

Jai Shri Ram पुत्र कामयेष्टि यज्ञ विकल्प।पूर्ण करे जो सदा संकल्प।। गुरु वशिष्ठ से दशरथ कहते।चरण कराने उनके गहते।। वशिष्ठ बोले उनसे ऐसे ।ना हैं ज्ञानी श्रृंगी जैसे।। यज्ञ कराने को आमंत्रण।चाह कैकेयी को निमंत्रण।। तुम सुन लो राजन् भिक्षु बन लो।चरण धरो जा बस यह सुन लो।। पैदल चलकर दशरथ जाते।आश्रम जाके शीश नवाते।। वह मुनि चरण अश्रु से धोकर। कहा द्रवित यह उनसे होकर।। पुत्र कामना मन में इच्छा।पूरित होने देवें दीक्षा।। ©Bharat Bhushan pathak

#jaishriram  Jai Shri Ram पुत्र कामयेष्टि यज्ञ विकल्प।पूर्ण करे जो सदा संकल्प।।
गुरु वशिष्ठ से दशरथ कहते।चरण कराने उनके गहते।।
वशिष्ठ बोले उनसे ऐसे ।ना हैं ज्ञानी श्रृंगी जैसे।।
यज्ञ कराने को आमंत्रण।चाह कैकेयी को निमंत्रण।।
 तुम सुन लो राजन् भिक्षु बन लो।चरण धरो जा बस यह सुन लो।।
पैदल चलकर दशरथ जाते।आश्रम जाके शीश नवाते।।
वह मुनि चरण अश्रु से धोकर। कहा द्रवित यह उनसे होकर।।
पुत्र कामना मन में इच्छा।पूरित होने देवें दीक्षा।।

©Bharat Bhushan pathak

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15 Love

Jai Shri Ram दैत्य राज रावण अति भारी।जो था पूजै सदा त्रिपुरारि ।। लंका नगरी का जो राजा। पीड़ित जिससे देव समाजा।। ब्रह्मा की वह किया तपस्या।मत हो माँगा मृत्यु समस्या।। तप की रखने को मर्यादा। ब्रह्मा बोले धन दूँ ज्यादा।। उनसे तब यह रावण बोला।अमर बनूँ मैं मंशा खोला।। अमर नहीं जगती में कोई।आया जो है जाए सोई।। ©Bharat Bhushan pathak

#jaishriram  Jai Shri Ram दैत्य राज रावण अति भारी।जो था पूजै सदा त्रिपुरारि ।।
लंका नगरी का जो राजा। पीड़ित जिससे देव समाजा।।
ब्रह्मा की वह किया तपस्या।मत हो माँगा मृत्यु समस्या।।
तप की रखने को मर्यादा। ब्रह्मा बोले धन दूँ ज्यादा।।
उनसे तब यह रावण बोला।अमर बनूँ मैं मंशा खोला।।
अमर नहीं जगती में कोई।आया जो है जाए सोई।।

©Bharat Bhushan pathak

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11 Love

Jai Shri Ram भक्ति - दोहे ********** हाथ जोड़ कर राम जी, आया हूँ मैं द्वार। संकट सारे दूर हो, विनती बारंबार।। माया ने घेरा मुझे, जाऊँ मैं किस ओर ।एक सहारा आप प्रभु, दिखे यही इक ढोर।। ©Uma Vaishnav

#कविता #jaishriram  Jai Shri Ram भक्ति - दोहे
**********
हाथ जोड़ कर राम जी, आया हूँ मैं द्वार।
संकट    सारे   दूर   हो,  विनती   बारंबार।।

माया  ने  घेरा   मुझे, जाऊँ  मैं  किस ओर ।एक सहारा आप प्रभु, दिखे यही इक ढोर।।

©Uma Vaishnav

#jaishriram

13 Love

Jai Shri Ram तुम ने हर दौर में सीता की तमन्ना की है राम भी बन के दिखाए कोई तो राम के बाद ©अगबर

#भक्ति #jaishriram  Jai Shri Ram  

तुम ने हर दौर में सीता की तमन्ना की है 
राम भी बन के दिखाए कोई तो राम के बाद

©अगबर

#jaishriram

16 Love

#कविता #jaishriram  Jai Shri Ram राम बनना आसान नहीं है जाने कितने ही संघर्षों से श्री राम जी का हुआ था सामना
मर्यादा पुरषोत्तम राम 
बनना कतई सरल नहीं है
मन में बेशक हो ये प्रबल कामना

©Sneh Prem Chand

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