#jaishriram
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Jai Shri Ram पूरी प्रभु की शिक्षा होते। विदा करें सब रोते-रोते।। राम संग में चारों भाई। देख सभी माता हर्षाई।। मुदित हो गयी सकल अयोध्या। प्रमुदित अरु दिवा संग संध्या।। शेष कल या दो दिन पश्चात मेरे ब्लॉग पर ©Bharat Bhushan pathak

#jaishriram  Jai Shri Ram पूरी प्रभु की शिक्षा होते।
विदा करें सब रोते-रोते।।
राम संग में चारों भाई।
देख सभी माता हर्षाई।।
मुदित हो गयी सकल अयोध्या।
 प्रमुदित अरु दिवा संग संध्या।।


शेष कल या दो दिन पश्चात मेरे ब्लॉग पर

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11 Love

Jai Shri Ram १११ २,११ १२१ १२१ १२,१ २ भज रहे,निशि दिवा सब हैं वह नाम जी। जप सदा,जप सदा मनसे तुम राम जी।। मन रमे,तन रमे सुख की बरखा गिरे। सब रटें,सब सुनें प्रभु पीर सभी हरें।। ©Bharat Bhushan pathak

#मंगलमंगना #jaishriram  Jai Shri Ram १११ २,११ १२१ १२१ १२,१ २


भज रहे,निशि दिवा सब हैं वह नाम जी।

 जप सदा,जप सदा मनसे तुम राम जी।।

 मन रमे,तन रमे सुख की बरखा गिरे।

 सब रटें,सब सुनें प्रभु पीर सभी हरें।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

Jai Shri Ram पहुँचे गुरुकुल चारों भाई। गुरु माता ने लाड लगाई।। कठिन नहीं जब हो अनुशासन। संभव कैसे तब हो शासन।। विचार गुरु यह माँ से बोले। महत्व अनुशासन का तौले। ©Bharat Bhushan pathak

#jaishriram  Jai Shri Ram पहुँचे गुरुकुल चारों भाई।
गुरु माता ने लाड लगाई।।
कठिन नहीं जब हो अनुशासन।
संभव कैसे तब हो शासन।।
विचार गुरु यह माँ से बोले।
महत्व अनुशासन का तौले।

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15 Love

Jai Shri Ram निहाल हुई अयोध्या नगरी। सुन किलकारी त्रिभुवन सगरी।। ठुमक चले जब चारों भाई। मुदित हुई तब तीनों माई।। सुध-बुध खोए दशरथ राजा।कारज भूला सकल समाजा।काल प्रगति ज्यों करता जाता।समय निकट पढ़ने को आता।। चारों गुरुकुल भेजे जाएँ।दशरथ बोले शिक्षा पाएँ।। विचार रानी से सब करके।पुत्रों से बोले जी-भरके।। महत्व गुरु का उन्हें बताया।गुरुकुल शिक्षा को समझाया।। धर्म सनातन क्या है होता। जो ना जाने क्या है खोता।। पालन ब्रह्मचर्य का करने। नियमों को सब इसके वरने।। गुरु की सेवा करनी कैसे।गुरुकुल में रहना है कैसे।। बोले उनसे राजा दशरथ। पूर्ण होंगे सकल मनोरथ।। ज्ञान-गुणों के गुरु ही निधि हैं।तरने भवसागर से विधि हैं।। ©Bharat Bhushan pathak

#jaishriram  Jai Shri Ram निहाल हुई अयोध्या नगरी। सुन किलकारी त्रिभुवन सगरी।।
ठुमक चले जब चारों भाई। मुदित हुई तब तीनों माई।।
सुध-बुध खोए दशरथ राजा।कारज भूला सकल समाजा।काल प्रगति ज्यों करता जाता।समय निकट पढ़ने को
आता।।
चारों गुरुकुल भेजे जाएँ।दशरथ बोले शिक्षा पाएँ।।
विचार रानी से सब करके।पुत्रों से बोले जी-भरके।।
महत्व गुरु का उन्हें बताया।गुरुकुल शिक्षा को समझाया।।
धर्म सनातन क्या है होता। जो ना जाने क्या है खोता।।
पालन ब्रह्मचर्य का करने। नियमों को सब इसके वरने।।
गुरु की सेवा करनी कैसे।गुरुकुल में रहना है कैसे।। 
बोले उनसे राजा दशरथ। पूर्ण होंगे सकल मनोरथ।।
ज्ञान-गुणों के गुरु ही निधि हैं।तरने भवसागर से विधि हैं।।

©Bharat Bhushan pathak

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10 Love

Jai Shri Ram रसाल छंद 👇 211 111 121, 211 121 121 1 भानजभजुजल 9,10वर्ण पर यति पावन जप मन नाम,राम सुखधाम कहावत। भूषण रघुकुल राम,रूप सबको यह भावत।। मोहत सकल समाज,दृश्य मनभावन लागत। सोहत अवध कुमार,भाग्य सबके अब जागत।। ©Bharat Bhushan pathak

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👇
211 111 121, 211 121 121 1
भानजभजुजल
9,10वर्ण पर यति

पावन जप मन नाम,राम सुखधाम कहावत।
भूषण रघुकुल राम,रूप सबको यह भावत।।
 मोहत सकल समाज,दृश्य मनभावन लागत।
सोहत अवध कुमार,भाग्य सबके अब जागत।।

©Bharat Bhushan pathak

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9 Love

Jai Shri Ram निहाल हुई अयोध्या नगरी। सुन किलकारी त्रिभुवन सगरी।। ठुमक चले जब चारों भाई। मुदित हुई तब तीनों माई।। सुध-बुध खोए दशरथ राजा।कारज भूला सकल समाजा।काल प्रगति ज्यों करता जाता।समय निकट पढ़ने कोआता।। चारों गुरुकुल भेजे जाएँ।दशरथ बोले शिक्षा पाएँ।। विचार रानी से सब करके।पुत्रों से बोले जी-भरके।। महत्व गुरु का उन्हें बताया।गुरुकुल शिक्षा को समझाया ©Bharat Bhushan pathak

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ठुमक चले जब चारों भाई। मुदित हुई तब तीनों माई।।
सुध-बुध खोए दशरथ राजा।कारज भूला सकल समाजा।काल प्रगति ज्यों करता जाता।समय निकट पढ़ने कोआता।।
चारों गुरुकुल भेजे जाएँ।दशरथ बोले शिक्षा पाएँ।।
विचार रानी से सब करके।पुत्रों से बोले जी-भरके।।
महत्व गुरु का उन्हें बताया।गुरुकुल शिक्षा को समझाया

©Bharat Bhushan pathak

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