मेरी पहचान अंदर से बहुत गहरा, और यह बाहर सरल दिखता है,
पढ़कर भावनाओं को, कवि शब्दों में लिख देता हैं,
कवि शब्दों का सागर, समाज का दर्पण होता हैं,
जिसमें देशधर्म का, अर्पण और समर्पण होता हैं,
कि मौसम या रूत बदले, यह सबको लिख देता हैं,
मार्गदर्शन करके कवि, सबको अच्छी सीख देता हैं,
वीर रस सुना कर, यह सबमे देशभक्ति भर देता हैं,
वात्सल्य रस को लिखकर, प्रेम में मगन कर देता हैं,
सूरज की किरणों से आगे, कवि निकल जाता हैं,
कविताओं में कवि, बनकर बर्फ पिघल जाता हैं,
यहां सबका हैं वो उसकी अपनी कोई एक जात नहीं,
दुनिया में एक कवि होना भी, कोई आम बात नहीं,
©पवन आर्य
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