ajaynswami

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#poetryunplugged

लोग मुझे भटका हुआ बंजारा एक कहते हैं, मंज़िल तुम हो ये देख लोग तुम्हारा कहते हैं। बड़ी ही शिद्दत से चाह था कभी तुमने भी मुझे। भरी मफ़िल में ये बात लोगों से दोबारा कहते हैं, ©ajaynswami

#lonely  लोग मुझे भटका हुआ बंजारा एक कहते हैं,
मंज़िल तुम हो ये देख लोग तुम्हारा कहते हैं।

बड़ी ही शिद्दत से चाह था कभी तुमने भी मुझे।
भरी मफ़िल में ये बात लोगों से दोबारा कहते हैं,

©ajaynswami

#lonely

8 Love

रंग सफ़ेद जैसा तुझ में घुलने को आदि हूं, मैं लड़का वही सीधा-साधा इलाहाबादी हूं। ©ajaynswami

 रंग सफ़ेद जैसा तुझ में घुलने को आदि हूं, 
मैं लड़का वही सीधा-साधा इलाहाबादी हूं।

©ajaynswami

रंग सफ़ेद जैसा तुझ में घुलने को आदि हूं, मैं लड़का वही सीधा-साधा इलाहाबादी हूं। ©ajaynswami

11 Love

तू सुखी हुई दरिया है और मैं पानी, तेरे पास लौटकर आना ही बाज़िब है, ©ajaynswami

 तू सुखी हुई दरिया है और मैं पानी,
तेरे पास लौटकर आना ही बाज़िब है,

©ajaynswami

तू सुखी हुई दरिया है और मैं पानी, तेरे पास लौटकर आना ही बाज़िब है, ©ajaynswami

10 Love

तुझ से हर बात कहने की आदत सी है, तू ख़ुदा नहीं पर ख़ुदा की इबादत सी है। ©ajaynswami

 तुझ से हर बात कहने की आदत सी है,
तू ख़ुदा नहीं पर ख़ुदा की इबादत सी है।

©ajaynswami

तुझ से हर बात कहने की आदत सी है, तू ख़ुदा नहीं पर ख़ुदा की इबादत सी है। ©ajaynswami

16 Love

मैं कभी इतना भी नहीं ना- समझ रहा था, सब समझकर भी कुछ नहीं समझ रहा था। बदला था मौसम बदली सी थी वो हवाएं, मैं धागे सा बार-बार उसी में उलझ रहा था। ©ajaynswami

 मैं कभी इतना भी नहीं ना- समझ रहा था,
सब समझकर भी कुछ नहीं समझ रहा था।

बदला था मौसम बदली सी थी वो हवाएं,
मैं धागे सा बार-बार उसी में उलझ रहा था।

©ajaynswami

मैं कभी इतना भी नहीं ना- समझ रहा था, सब समझकर भी कुछ नहीं समझ रहा था। बदला था मौसम बदली सी थी वो हवाएं, मैं धागे सा बार-बार उसी में उलझ रहा था। ©ajaynswami

17 Love

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