मेरी पहचान अपनी पहचान बनाने निकला हूँ खुद को खुद | हिंदी शायरी

"मेरी पहचान अपनी पहचान बनाने निकला हूँ खुद को खुद से मिलाने निकला हूँ दबा है जो सालों से मेरे अंदर अपने हुनर को तराशने निकला हूँ जानता हूँ यह सफर लंबा और तन्हा होगा हिम्मत करके आज खुद को आजमाने निकला हूँ 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 ©Sethi Ji"

 मेरी पहचान  अपनी पहचान बनाने निकला हूँ
खुद को खुद से मिलाने निकला हूँ

दबा है जो सालों से मेरे अंदर
अपने हुनर को तराशने निकला हूँ

जानता हूँ यह सफर लंबा और तन्हा होगा
हिम्मत करके आज खुद को आजमाने निकला हूँ

👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

©Sethi Ji

मेरी पहचान अपनी पहचान बनाने निकला हूँ खुद को खुद से मिलाने निकला हूँ दबा है जो सालों से मेरे अंदर अपने हुनर को तराशने निकला हूँ जानता हूँ यह सफर लंबा और तन्हा होगा हिम्मत करके आज खुद को आजमाने निकला हूँ 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 ©Sethi Ji

ढल चुका हूँ अपने जज़बातों में इतना
कोई अपना अब छोटा नहीं लगता

हो चुका हूँ अपने महकमों का इतना
कोई संघर्ष अब बड़ा नहीं लगता

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