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जीवन भी किसी महाकुंभ से कम नहीं है "हिमांश", अगर आपने बिना अर्थ के स्नान किया हो तब कचरे से कम नहीं है।। ©Death_Lover
Death_Lover
14 Love
Unsplash चंद दराज़ों से वो हरदम झाँकता है, अन्दर या बाहर वो हरदम यही भाँपता है मिट रहा है कतरा-कतरा अस्त्तित्व सभी का, फिर भी हर इंसा ज़िन्दगी यूँ ही क्यों काटता है॥ "हिमांश" ये ज़िन्दगी अब यूँ ही बसर नहीं होगी.... ©Death_Lover
21 Love
Unsplash किसी ने क्या खूब कहा है "हिमांश" कि ये दुनिया रहने के लिए नहीं है, सिर्फ़ आने-जाने के लिए बनी है "मेरे अभागों"॥ ©Death_Lover
9 Love
Unsplash ज़िन्दगी की तलाश में निकला था, मौत का हर मन्ज़र देखा घर में उजाले के लिए, लाशों से गुज़रता सिर्फ़ एक ही खंज़र देखा थक-हारकर किसी किनारे बैठा, बैठते ही शांत सिर्फ़ समन्दर देखा जो चलते हैं, चल रहे हैं और आगे चलेंगे भी, शान में उनकी सिर्फ़ सिकन्दर देखा ज़िन्दगी की तलाश में निकला था "मक़सूद", मैंने अन्त में सिर्फ़ मौत का ही हर मन्ज़र देखा.... ©Death_Lover
13 Love
White ये जो रात का दर्पण है, उसमें कुछ न नज़र आने का दोष जबकि सच ये है कि घनी रात में ही साफ दिखाई देता है फिर ये जो मिथ्या का रंगरोगन है, वो रंच मात्र ही है क्योंकि मिथ्या को झूठ नहीं है वो सिर्फ ज्ञान से ध्यान का पड़ाव है "हिमांश" इधर ये मानुस है जो पल-पल किसी होड़ में लगा हुआ है, मंज़िल है क्या उसकी जो उसे रास्ते पर छाँव की तलाश में कहीं भटका रहीं है ©Death_Lover
White "हिमांश" ने आज़ पहली नज़र देखा है, अब दूसरी नज़र देखना है फ़िर अंत में अंतिम नज़र आपको ही देखते रहना है॥ (अन्तिम ख़्याल) ©Death_Lover
16 Love
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