Unsplash ज़िन्दगी की तलाश में निकला था, मौत का हर मन्ज़र देखा
घर में उजाले के लिए, लाशों से गुज़रता सिर्फ़ एक ही खंज़र देखा
थक-हारकर किसी किनारे बैठा, बैठते ही शांत सिर्फ़ समन्दर देखा
जो चलते हैं, चल रहे हैं और आगे चलेंगे भी, शान में उनकी सिर्फ़ सिकन्दर देखा
ज़िन्दगी की तलाश में निकला था "मक़सूद", मैंने अन्त में सिर्फ़ मौत का ही हर मन्ज़र देखा....
©Death_Lover
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