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New पर्दानशीं महिला थी- Status, Photo, Video

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हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती नऊ महिने वेदना सहन करणारी वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती.. फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री' जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती... प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ? प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती कळेलच किती कणखर आहे ती... नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

#मराठीकविता  हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे 
जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती 
नऊ महिने वेदना सहन करणारी 
वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती..

फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री'
जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती 
दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष 
खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती...

प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ?
प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती 
करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती 
कळेलच किती कणखर आहे ती...

नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते 
पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती 
कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन 
आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती...

©अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह

10 Love

ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर

#शायरी #जुबां  ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म,
जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम।

बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई,
ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई।

दिल के अंदर एक कहानी दबी थी,
जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी।

गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी,
ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी।

दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा,
जिसे कह न सका, वही आह में बहा।

मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई,
जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई।

©नवनीत ठाकुर

#जुबां खामोश थी

14 Love

पर्दानशीं हैं तो ये जलवा ए हुस्न है,,, क्या बात हो "बेदर्द" जो ये हुस्न बेपर्दा हो जाए,,,, ©Rakesh Songara

#पर्दानशीं #लव  पर्दानशीं हैं तो ये जलवा ए हुस्न है,,,
क्या बात हो  "बेदर्द" जो ये हुस्न बेपर्दा हो जाए,,,,

©Rakesh Songara
#मराठीकविता #स्त्री #JKpoetess

#स्त्री मन #JKpoetess महिला दिन मराठी कविता

189 View

#वीडियो

महिला ने तीन बच्चों को दिया जन्म एक की मौत दो हैं स्वस्थ

162 View

नौकरी करने वालों, न करो खुद पर इतना गुमान, उस खामोश औरत की मेहनत को भी पहचानो, जो है घर की असल जान। बिन वेतन, बिन तालियों के वो हर दिन खप जाती है, हर मुश्किल को मुस्कुराकर सह लेती है, फिर भी चुप रह जाती है।" "वो है घर की बुनियाद, हर सुख-दुख की साथी, उसके बिना अधूरी है हर खुशी, हर बात प्यासी। चुपचाप समेटे रखती है अपने आंचल में घर की रौनक, उसकी मेहनत से घर में बसी है सुख-शांति की सौगात।" "हवा की तरह बहती, फिर भी उसकी पहचान खो जाती है, घर में हर खुशी का रंग, वो खुद मिटकर सजाती है। वो हर दर्द, हर ग़म छुपाकर अपनी मुस्कान सजाती है, अपने हर कदम से घर में नयापन और उजाला लाती है।" "वो ही है जो चुपचाप सारा भार उठाती है, घर की महक और खुशियों की जड़ बन जाती है। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #महिला  नौकरी करने वालों, न करो खुद पर इतना गुमान,
उस खामोश औरत की मेहनत को भी पहचानो, जो है घर की असल जान।
बिन वेतन, बिन तालियों के वो हर दिन खप जाती है,
हर मुश्किल को मुस्कुराकर सह लेती है, फिर भी चुप रह जाती है।"

"वो है घर की बुनियाद, हर सुख-दुख की साथी,
उसके बिना अधूरी है हर खुशी, हर बात प्यासी।
चुपचाप समेटे रखती है अपने आंचल में घर की रौनक,
उसकी मेहनत से घर में बसी है सुख-शांति की सौगात।"
"हवा की तरह बहती, फिर भी उसकी पहचान खो जाती है,
घर में हर खुशी का रंग, वो खुद मिटकर सजाती है।
वो हर दर्द, हर ग़म छुपाकर अपनी मुस्कान सजाती है,
अपने हर कदम से घर में नयापन और उजाला लाती है।"

"वो ही है जो चुपचाप सारा भार उठाती है,
घर की महक और खुशियों की जड़ बन जाती है।

©नवनीत ठाकुर

हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती नऊ महिने वेदना सहन करणारी वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती.. फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री' जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती... प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ? प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती कळेलच किती कणखर आहे ती... नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

#मराठीकविता  हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे 
जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती 
नऊ महिने वेदना सहन करणारी 
वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती..

फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री'
जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती 
दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष 
खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती...

प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ?
प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती 
करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती 
कळेलच किती कणखर आहे ती...

नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते 
पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती 
कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन 
आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती...

©अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह

10 Love

ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर

#शायरी #जुबां  ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म,
जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम।

बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई,
ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई।

दिल के अंदर एक कहानी दबी थी,
जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी।

गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी,
ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी।

दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा,
जिसे कह न सका, वही आह में बहा।

मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई,
जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई।

©नवनीत ठाकुर

#जुबां खामोश थी

14 Love

पर्दानशीं हैं तो ये जलवा ए हुस्न है,,, क्या बात हो "बेदर्द" जो ये हुस्न बेपर्दा हो जाए,,,, ©Rakesh Songara

#पर्दानशीं #लव  पर्दानशीं हैं तो ये जलवा ए हुस्न है,,,
क्या बात हो  "बेदर्द" जो ये हुस्न बेपर्दा हो जाए,,,,

©Rakesh Songara
#मराठीकविता #स्त्री #JKpoetess

#स्त्री मन #JKpoetess महिला दिन मराठी कविता

189 View

#वीडियो

महिला ने तीन बच्चों को दिया जन्म एक की मौत दो हैं स्वस्थ

162 View

नौकरी करने वालों, न करो खुद पर इतना गुमान, उस खामोश औरत की मेहनत को भी पहचानो, जो है घर की असल जान। बिन वेतन, बिन तालियों के वो हर दिन खप जाती है, हर मुश्किल को मुस्कुराकर सह लेती है, फिर भी चुप रह जाती है।" "वो है घर की बुनियाद, हर सुख-दुख की साथी, उसके बिना अधूरी है हर खुशी, हर बात प्यासी। चुपचाप समेटे रखती है अपने आंचल में घर की रौनक, उसकी मेहनत से घर में बसी है सुख-शांति की सौगात।" "हवा की तरह बहती, फिर भी उसकी पहचान खो जाती है, घर में हर खुशी का रंग, वो खुद मिटकर सजाती है। वो हर दर्द, हर ग़म छुपाकर अपनी मुस्कान सजाती है, अपने हर कदम से घर में नयापन और उजाला लाती है।" "वो ही है जो चुपचाप सारा भार उठाती है, घर की महक और खुशियों की जड़ बन जाती है। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #महिला  नौकरी करने वालों, न करो खुद पर इतना गुमान,
उस खामोश औरत की मेहनत को भी पहचानो, जो है घर की असल जान।
बिन वेतन, बिन तालियों के वो हर दिन खप जाती है,
हर मुश्किल को मुस्कुराकर सह लेती है, फिर भी चुप रह जाती है।"

"वो है घर की बुनियाद, हर सुख-दुख की साथी,
उसके बिना अधूरी है हर खुशी, हर बात प्यासी।
चुपचाप समेटे रखती है अपने आंचल में घर की रौनक,
उसकी मेहनत से घर में बसी है सुख-शांति की सौगात।"
"हवा की तरह बहती, फिर भी उसकी पहचान खो जाती है,
घर में हर खुशी का रंग, वो खुद मिटकर सजाती है।
वो हर दर्द, हर ग़म छुपाकर अपनी मुस्कान सजाती है,
अपने हर कदम से घर में नयापन और उजाला लाती है।"

"वो ही है जो चुपचाप सारा भार उठाती है,
घर की महक और खुशियों की जड़ बन जाती है।

©नवनीत ठाकुर
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