#MohitRockF44
किन किन निगाहों से, दो चार होना पड़ता हैं औरत को ता उम्र ही, अखबार होना पड़ता हैं
कभी मां, कभी बहिन, कभी पत्नी, कभी बेटी एक चेहरे में कितने ही, क़िरदार होना पड़ता हैं!
और अपने हिस्से में, थोड़ा सा सूकूं पाने को
एक औरत को पहले, बीमार होना पड़ता हैं
एक घर में हो, नींव का पत्थर जैसे
उसको सब सहने को, तैयार होना पड़ता हैं लब ख़ामोश मगर, उम्र बोला करती हैं
एक औरत को कितना, जिम्मेदार होना पड़ता हैं
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