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White ज़िंदगी के तमाशे में,, नासमझी का कोहरा छंट रहा है,,, धीरे धीरे ही सही "बेदर्द",, सबके क़िरदार से पर्दा हट रहा है,,,, ©Rakesh Songara
Rakesh Songara
12 Love
White सक्षम पदों पर बैठे,, परिस्थितियों के मारे हुए लोग,,,, अक्सर ज़ुबान होते हुए भी,, बेज़ुबान हो जाते हैं,,,,, ©Rakesh Songara
14 Love
White अज़ीब दौर ए ज़िन्दगी है "बेदर्द",, हँसना,, हँसाना भी अब गुनाह है,, ©Rakesh Songara
15 Love
वक़्त वक़्त की बात है,, यहां जो नहीं होता है वो भी दिखता है,, तुम सही कीमत तो लगाओ "बेदर्द", की अपने मुल्क़ में,,, ईमान भी बिकता हैं,,, ©Rakesh Songara
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