नवनीत ठाकुर

नवनीत ठाकुर Lives in Mandi, Himachal Pradesh, India

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

आपका अंदाज़, आपकी पहचान है, हर नज़र में सजे, ऐसा कौन इंसान है। खटकना भी दिखाता है कि असर है आपमें, वरना इस भीड़ में हर कोई अंजान है। हर चेहरे पर मुस्कान लाना जरूरी नहीं, अपने होने का एहसास कराना जरूरी नहीं। जो नाम हो लबों पर दुआ की तरह, वो हर जगह बस जाना जरूरी नहीं। इसी में छिपा है जिंदगी का सबक, हर दिल को जीतने का काम अलग। जो तीर-सी चुभ जाए निगाहों में, ऐसे लोगों का मुकाम अलग। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  आपका अंदाज़, आपकी पहचान है,
हर नज़र में सजे, ऐसा कौन इंसान है।
खटकना भी दिखाता है कि असर है आपमें,
वरना इस भीड़ में हर कोई अंजान है।

हर चेहरे पर मुस्कान लाना जरूरी नहीं,
अपने होने का एहसास कराना जरूरी नहीं।
जो नाम हो लबों पर दुआ की तरह,
वो हर जगह बस जाना जरूरी नहीं।

इसी में छिपा है जिंदगी का सबक,
हर दिल को जीतने का काम अलग।
जो तीर-सी चुभ जाए निगाहों में,
ऐसे लोगों का मुकाम अलग।

©नवनीत ठाकुर

खुले गगन में, जहां चाहें मेरा जुनून हो, वहीं मेरी मंज़िल, वहीं मेरा सुकून हो। हवाओं से आगे, जहां सपनों का विस्तार हो, हर पल में जीने का एक नया आधार हो। बादलों के पार, जहां सूरज का प्रकाश हो, हर कदम पे मेरे इरादों का इतिहास हो। ना लगाम की ज़रूरत, ना सहारे का इंतजार, बस विश्वास और हौसला मेरे संग हर बार। कोई दीवार नहीं, ना डर का बसेरा, आज़ादी की राह ही बने मेरा सवेरा। खुले आसमान में, जहां कोई रोक न हो, सपनों के साथ मेरे अरमान भी अनमोल हो। जहां हर गूंज, मेरी जीत का हो सुर , हर उड़ान में दिखे मेरा अनंत नूर। हर कदम, हर पल हो मेरी पहचान, जहां चाह हो मेरी, वहीं मेरा जहान। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  खुले गगन में, जहां चाहें मेरा जुनून हो,
वहीं मेरी मंज़िल, वहीं मेरा सुकून हो।
हवाओं से आगे, जहां सपनों का विस्तार हो,
हर पल में जीने का एक नया आधार हो।

बादलों के पार, जहां सूरज का प्रकाश हो,
हर कदम पे मेरे इरादों का इतिहास हो।
ना लगाम की ज़रूरत, ना सहारे का इंतजार,
बस विश्वास और हौसला मेरे संग हर बार।

कोई दीवार नहीं, ना डर का बसेरा,
आज़ादी की राह ही बने मेरा सवेरा।
खुले आसमान में, जहां कोई रोक न हो,
सपनों के साथ मेरे अरमान भी अनमोल हो।

जहां हर गूंज, मेरी जीत का हो सुर ,
हर उड़ान में दिखे मेरा अनंत नूर।
हर कदम, हर पल हो मेरी पहचान,
जहां चाह हो मेरी, वहीं मेरा जहान।

©नवनीत ठाकुर

हमने कभी मंजिलों के पीछे नहीं दौड़ा, जो ख्वाब थे, उन्हें अपनी राहों में पाए है। तुम हो वो जो बाहरी दुनिया से गाफिल रहते हो, हम वो हैं, जिनकी पहचान अपनी साए से बनाए है। जो वक्त की रफ्तार में कभी थमा नहीं, उनकी यादों में हम खामोशी से समाए हैं। हमने कभी तमन्ना नहीं की शोहरत की, जो दिल में था, वही आंखों में छुपाए हैं। कभी किसी से न उम्मीदें लगाईं, किस्मत में जो लिखा था, वो खुदा से पाए हैं। इस दुनिया में रंग सबको मिलते हैं, हम अपनी दुनिया, बस सादगी से सजाए है। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  हमने कभी मंजिलों के पीछे नहीं दौड़ा,
जो ख्वाब थे, उन्हें अपनी राहों में पाए है।

तुम हो वो जो बाहरी दुनिया से गाफिल रहते हो,
हम वो हैं, जिनकी पहचान अपनी साए से बनाए है।

जो वक्त की रफ्तार में कभी थमा नहीं,
उनकी यादों में हम खामोशी से समाए हैं।

हमने कभी तमन्ना नहीं की शोहरत की,
जो दिल में था, वही आंखों में छुपाए हैं।

कभी किसी से न उम्मीदें लगाईं,
किस्मत में जो लिखा था, वो खुदा से पाए हैं।

इस दुनिया में रंग सबको मिलते हैं,
हम अपनी दुनिया, बस सादगी से सजाए है।

©नवनीत ठाकुर

जो दिलों में छुपा है, वो सामने आएगा, हम तो वो हैं जो नज़रें झुका के दिखाई देंगे। ख़ुश्बू की तरह बिखरते हैं रूहों में हम, जो कोई तलाशे, वही हमको पाएंगे। हम वो नहीं जो आवाज़ में खो जाएं, हम तो वो हैं जो दिलों में समाएंगे। राहों में बिखरी धूप की तरह हम, जहाँ भी जाएंगे, साया साथ पाएंगे। हम वो हैं जिनका कोई नाम नहीं, फिर भी हर ख्वाब में याद आएंगे। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  जो दिलों में छुपा है, वो सामने आएगा,
हम तो वो हैं जो नज़रें झुका के दिखाई देंगे।

ख़ुश्बू की तरह बिखरते हैं रूहों में हम,
जो कोई तलाशे, वही हमको पाएंगे।

हम वो नहीं जो आवाज़ में खो जाएं,
हम तो वो हैं जो दिलों में समाएंगे।

राहों में बिखरी धूप की तरह हम,
जहाँ भी जाएंगे, साया साथ पाएंगे।

हम वो हैं जिनका कोई नाम नहीं,
फिर भी हर ख्वाब में याद आएंगे।

©नवनीत ठाकुर

हर किसी के लिए दुआएं जो उठा रहे हैं हाथ, मेरे दिल के अंधेरे, उन्हीं राहों पे साए हैं। तुम वो हो, जो खुदा से उम्मीदें नहीं लगाते, हम वो हैं, जिनकी ख्वाहिशें दर- दर साए हैं। जो शोहरत के पीछे दौड़े, उन्हीं के ख्वाब टूटे, हमारी खामोशियों में वो राज़ छुपाए हैं। ये दुनिया बस रंगीन है, मगर हम खामोश हैं, हमारे अंदर वो रंग, खामोशियाँ पंख लगाए हैं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  हर किसी के लिए दुआएं जो उठा रहे हैं हाथ,
मेरे दिल के अंधेरे, उन्हीं राहों पे साए हैं।

तुम वो हो, जो खुदा से उम्मीदें नहीं लगाते,
हम वो हैं, जिनकी ख्वाहिशें दर- दर साए हैं।

जो शोहरत के पीछे दौड़े, उन्हीं के ख्वाब टूटे,
हमारी खामोशियों में वो राज़ छुपाए हैं।

ये दुनिया बस रंगीन है, मगर हम खामोश हैं,
हमारे अंदर वो रंग, खामोशियाँ पंख लगाए हैं।

©नवनीत ठाकुर

पानी में पत्थर को फेंक मत देना, कभी ये लहरों में संगीत बन जाए। ख्वाहिशों को दबा मत देना, कभी ये तुझसे जूझने का जज़्बा बन जाए। लम्हों को यूं ही खो मत देना, कभी ये यादों में जीने का कारण बन जाए। अंधेरे में उम्मीद को छोड़ मत देना, कभी ये चांदनी रातों में बदल जाए। ग़लतियों को दबा मत देना, कभी ये सिखाने का तजुर्बा बन जाए। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  पानी में पत्थर को फेंक मत देना,
कभी ये लहरों में संगीत बन जाए।

ख्वाहिशों को दबा मत देना,
कभी ये तुझसे जूझने का जज़्बा बन जाए।

लम्हों को यूं ही खो मत देना,
कभी ये यादों में जीने का कारण बन जाए।

अंधेरे में उम्मीद को छोड़ मत देना,
कभी ये चांदनी रातों में बदल जाए।

ग़लतियों को दबा मत देना,
कभी ये सिखाने का तजुर्बा बन जाए।

©नवनीत ठाकुर
Trending Topic