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New पुरुष का पर्यायवाची Status, Photo, Video

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मैं " पुरुष " हूँ मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ टूटता हूँ , बिखरता हूँ भीतर ही भीतर रो नही पाता कह नही पाता पत्थर हो चुका क्योंकि मैं पुरुष हूँ मैं भी सताया जाता हूँ जला दिया जाता हूँ उस दहेज की आग में जो कभी मांगा ही नही था स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का तिनका - तिनका कमाया था जिसे मैंने मगर आह नही भर सकता क्योकि मैं पुरुष हूँ . मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की हमेशा धकेल दिया जाता हूं रिश्तों का वजन बांध कर जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी कभी अपना दर्द बता नही सकता किसी भी तरह जता नही सकता बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ क्योंकि मैं पुरुष हूँ ©Andy Mann

#पुरुष #कविता  मैं " पुरुष " हूँ

मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी सताया जाता हूँ
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता 
क्योकि मैं पुरुष हूँ
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

©Andy Mann

#पुरुष Dr Udayver Singh @Niaz (Harf) @Ak.writer_2.0 अदनासा- vinay panwar

31 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset स्त्रियों ने अपने दुख अगर अपनी मां के बाद किसी को बताए हैं तो वह हैं। उस का मनपसंद पुरुष क्यूं कि उसने उसको जीता है उस का भरोसा और प्रेम❤ ©Prerna Singh

#कोट्स #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset स्त्रियों ने अपने दुख अगर 
अपनी मां के बाद किसी को बताए हैं
तो वह हैं।
उस का मनपसंद पुरुष क्यूं कि 
उसने उसको जीता है  उस का

भरोसा और प्रेम❤

©Prerna Singh

#SunSet स्त्रियों ने अपने दुख अगर अपनी मां के बाद किसी को बताए हैं तो वह हैं। उस का मनपसंद पुरुष क्यूं कि उसने उसको जीता है उस का भरोसा

16 Love

White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~

#कविता #Sad_Status  White 

कभी जो कोई पुरुष
रोये तुम्हारे आगे
तो भर लेना बांहो में
और संभाल लेना उन्हें। 
क्योंकि... 
ये रोये है तो केवल माँ
के आगे... 
दुसरा उस स्त्री के आगे
जिस पर ये भरोसा था की
वो समझेगी। 
बिना कुछ सवाल किये उन्हें
थपकाते रहना... 
और आंचल से पूंछना 
उनके अश्रु
ये जो बह रहा है वो 
लाचारी नही... 
ये तो दर्द है
सफलता असफलता का, 
तानों का, अकेलेपन का, 
जोर से रोने का,
कई बार...बिखरने का
और अंततः वो रोना चाहते है
दर्द को कहना चाहते है
कि  दर्द हुआ है सीने में। 
जो छुपाए रखा फिजूल में
समाज के भय से
कोई ये न कहे की मर्द को 
दर्द नही होता । 
शायद! ये परिभाषा उसे
कभी ठीक नहीं लगी
क्योंकि वो पत्थर नहीं है
जो महसूस न हो उसे
दर्द की बेहद!!! 
कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर

©कौशल ~

#Sad_Status रोता हुआ पुरुष

9 Love

Unsplash बादलों से टूट कर एक बार मै समुन्दर की गहराई मे सिमट गई थीं ज़ब मुझे ढूढ़ने तब मेरा पितृपुरुष वो बादल अपने घर से निकला ©Parasram Arora

 Unsplash बादलों से टूट
 कर एक बार मै 
समुन्दर की  गहराई
 मे सिमट गई थीं  ज़ब 

मुझे ढूढ़ने तब 
मेरा पितृपुरुष 
वो बादल अपने
घर से  निकला

©Parasram Arora

पितृ पुरुष बादल

15 Love

#शायरी

पुरुष कह नहीं पाएगा।

81 View

कुछ पुरुष भी जला दिये जाते है उस "दहेज़ की आग" में जो उसने कभी माँगा नहीं होता है.. ©Sumit Kumar

 कुछ पुरुष भी

 जला दिये जाते है

उस "दहेज़ की आग" में

 जो उसने कभी माँगा नहीं होता है..

©Sumit Kumar

दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life

12 Love

मैं " पुरुष " हूँ मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ टूटता हूँ , बिखरता हूँ भीतर ही भीतर रो नही पाता कह नही पाता पत्थर हो चुका क्योंकि मैं पुरुष हूँ मैं भी सताया जाता हूँ जला दिया जाता हूँ उस दहेज की आग में जो कभी मांगा ही नही था स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का तिनका - तिनका कमाया था जिसे मैंने मगर आह नही भर सकता क्योकि मैं पुरुष हूँ . मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की हमेशा धकेल दिया जाता हूं रिश्तों का वजन बांध कर जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी कभी अपना दर्द बता नही सकता किसी भी तरह जता नही सकता बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ क्योंकि मैं पुरुष हूँ ©Andy Mann

#पुरुष #कविता  मैं " पुरुष " हूँ

मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी सताया जाता हूँ
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता 
क्योकि मैं पुरुष हूँ
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

©Andy Mann

#पुरुष Dr Udayver Singh @Niaz (Harf) @Ak.writer_2.0 अदनासा- vinay panwar

31 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset स्त्रियों ने अपने दुख अगर अपनी मां के बाद किसी को बताए हैं तो वह हैं। उस का मनपसंद पुरुष क्यूं कि उसने उसको जीता है उस का भरोसा और प्रेम❤ ©Prerna Singh

#कोट्स #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset स्त्रियों ने अपने दुख अगर 
अपनी मां के बाद किसी को बताए हैं
तो वह हैं।
उस का मनपसंद पुरुष क्यूं कि 
उसने उसको जीता है  उस का

भरोसा और प्रेम❤

©Prerna Singh

#SunSet स्त्रियों ने अपने दुख अगर अपनी मां के बाद किसी को बताए हैं तो वह हैं। उस का मनपसंद पुरुष क्यूं कि उसने उसको जीता है उस का भरोसा

16 Love

White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~

#कविता #Sad_Status  White 

कभी जो कोई पुरुष
रोये तुम्हारे आगे
तो भर लेना बांहो में
और संभाल लेना उन्हें। 
क्योंकि... 
ये रोये है तो केवल माँ
के आगे... 
दुसरा उस स्त्री के आगे
जिस पर ये भरोसा था की
वो समझेगी। 
बिना कुछ सवाल किये उन्हें
थपकाते रहना... 
और आंचल से पूंछना 
उनके अश्रु
ये जो बह रहा है वो 
लाचारी नही... 
ये तो दर्द है
सफलता असफलता का, 
तानों का, अकेलेपन का, 
जोर से रोने का,
कई बार...बिखरने का
और अंततः वो रोना चाहते है
दर्द को कहना चाहते है
कि  दर्द हुआ है सीने में। 
जो छुपाए रखा फिजूल में
समाज के भय से
कोई ये न कहे की मर्द को 
दर्द नही होता । 
शायद! ये परिभाषा उसे
कभी ठीक नहीं लगी
क्योंकि वो पत्थर नहीं है
जो महसूस न हो उसे
दर्द की बेहद!!! 
कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर

©कौशल ~

#Sad_Status रोता हुआ पुरुष

9 Love

Unsplash बादलों से टूट कर एक बार मै समुन्दर की गहराई मे सिमट गई थीं ज़ब मुझे ढूढ़ने तब मेरा पितृपुरुष वो बादल अपने घर से निकला ©Parasram Arora

 Unsplash बादलों से टूट
 कर एक बार मै 
समुन्दर की  गहराई
 मे सिमट गई थीं  ज़ब 

मुझे ढूढ़ने तब 
मेरा पितृपुरुष 
वो बादल अपने
घर से  निकला

©Parasram Arora

पितृ पुरुष बादल

15 Love

#शायरी

पुरुष कह नहीं पाएगा।

81 View

कुछ पुरुष भी जला दिये जाते है उस "दहेज़ की आग" में जो उसने कभी माँगा नहीं होता है.. ©Sumit Kumar

 कुछ पुरुष भी

 जला दिये जाते है

उस "दहेज़ की आग" में

 जो उसने कभी माँगा नहीं होता है..

©Sumit Kumar

दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life

12 Love

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