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White कही ताजी हवा मिले तो भर लूं अपनी सास एक नाजुक दिल की टूट गई हे आश हम कभी उनके फरिश्ते थे आज उनके हमारे साथ कोई रिश्ता नहीं. वेस्टर्न जमाना हे साहेब काम खत्म बात खत्म । ©Rk

#लव  White कही ताजी हवा मिले तो भर लूं अपनी सास
एक नाजुक दिल की टूट गई हे आश 
हम कभी उनके फरिश्ते थे 
आज उनके हमारे साथ कोई रिश्ता नहीं.
वेस्टर्न जमाना हे साहेब काम खत्म 
बात खत्म ।

©Rk

सड़ा हुआ दिल

12 Love

White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ "ज़िन्दगी में कि सुना तो था,मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षेत्रिय ©

#शायरी  White रात कुछ ऐसा हुआ"

रात कुछ ऐसा हुआ "ज़िन्दगी में कि सुना 
तो था,मगर इस तरह होता है ये पता न था।

उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी,
आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था।

अनुज कुमार हेयय क्षेत्रिय

©

# रात कुछ ऐसा हुआ"

11 Love

White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ " ज़िन्दगी में कि सुना तो था, मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षत्रिय ©

#शायरी  White  रात कुछ ऐसा हुआ"

रात कुछ ऐसा हुआ " ज़िन्दगी में कि सुना 
तो था, मगर इस तरह होता है ये पता न था।

उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी,
आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था।

अनुज कुमार हेयय क्षत्रिय

©

# रात कुछ ऐसा हुआ"

12 Love

green-leaves एक अरसा हुआ उनसे मुलाक़ात हुये आज अचानक वे सामने हैँ लेकिन आवाज़ मेरी थरथराई हैँ और आँख भी भर आई हैँ ©Parasram Arora

 green-leaves एक अरसा हुआ
 उनसे मुलाक़ात हुये
 
आज अचानक वे 

सामने हैँ 
लेकिन आवाज़ मेरी 
थरथराई हैँ 
और आँख भी भर आई हैँ

©Parasram Arora

एक अरसा हुआ

15 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत से मज़बूर हुआ, गिरा तो चकनाचूर हुआ, प्रेम की संकरी गलियों में, ख़ुद से कितना दूर हुआ, गफ़लत में फुंसी समझा, बढ़ा तो फ़िर नासूर हुआ, जिस घर में था अंधियारा, जला दीप पुरनूर हुआ, चढ़ा नशा जब भक्ति का, आठों याम सुरूर हुआ, मंज़िल मिली मुसाफ़िर से, ग़म दिल से क़ाफूर हुआ, देख घटाओं की शोखी, 'गुंजन' हृदय मयूर हुआ, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत  से   मज़बूर  हुआ,
गिरा तो  चकनाचूर  हुआ,

प्रेम की संकरी गलियों में,
ख़ुद से  कितना  दूर हुआ,

गफ़लत में  फुंसी  समझा,
बढ़ा  तो फ़िर नासूर हुआ,

जिस घर में था अंधियारा,
जला  दीप   पुरनूर  हुआ,

चढ़ा नशा जब भक्ति का,
आठों  याम  सुरूर  हुआ,

मंज़िल मिली मुसाफ़िर से,
ग़म  दिल से क़ाफूर हुआ,

देख  घटाओं   की  शोखी,
'गुंजन' हृदय   मयूर  हुआ,
 -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#

16 Love

White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~

#कविता #Sad_Status  White 

कभी जो कोई पुरुष
रोये तुम्हारे आगे
तो भर लेना बांहो में
और संभाल लेना उन्हें। 
क्योंकि... 
ये रोये है तो केवल माँ
के आगे... 
दुसरा उस स्त्री के आगे
जिस पर ये भरोसा था की
वो समझेगी। 
बिना कुछ सवाल किये उन्हें
थपकाते रहना... 
और आंचल से पूंछना 
उनके अश्रु
ये जो बह रहा है वो 
लाचारी नही... 
ये तो दर्द है
सफलता असफलता का, 
तानों का, अकेलेपन का, 
जोर से रोने का,
कई बार...बिखरने का
और अंततः वो रोना चाहते है
दर्द को कहना चाहते है
कि  दर्द हुआ है सीने में। 
जो छुपाए रखा फिजूल में
समाज के भय से
कोई ये न कहे की मर्द को 
दर्द नही होता । 
शायद! ये परिभाषा उसे
कभी ठीक नहीं लगी
क्योंकि वो पत्थर नहीं है
जो महसूस न हो उसे
दर्द की बेहद!!! 
कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर

©कौशल ~

#Sad_Status रोता हुआ पुरुष

9 Love

White कही ताजी हवा मिले तो भर लूं अपनी सास एक नाजुक दिल की टूट गई हे आश हम कभी उनके फरिश्ते थे आज उनके हमारे साथ कोई रिश्ता नहीं. वेस्टर्न जमाना हे साहेब काम खत्म बात खत्म । ©Rk

#लव  White कही ताजी हवा मिले तो भर लूं अपनी सास
एक नाजुक दिल की टूट गई हे आश 
हम कभी उनके फरिश्ते थे 
आज उनके हमारे साथ कोई रिश्ता नहीं.
वेस्टर्न जमाना हे साहेब काम खत्म 
बात खत्म ।

©Rk

सड़ा हुआ दिल

12 Love

White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ "ज़िन्दगी में कि सुना तो था,मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षेत्रिय ©

#शायरी  White रात कुछ ऐसा हुआ"

रात कुछ ऐसा हुआ "ज़िन्दगी में कि सुना 
तो था,मगर इस तरह होता है ये पता न था।

उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी,
आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था।

अनुज कुमार हेयय क्षेत्रिय

©

# रात कुछ ऐसा हुआ"

11 Love

White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ " ज़िन्दगी में कि सुना तो था, मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षत्रिय ©

#शायरी  White  रात कुछ ऐसा हुआ"

रात कुछ ऐसा हुआ " ज़िन्दगी में कि सुना 
तो था, मगर इस तरह होता है ये पता न था।

उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी,
आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था।

अनुज कुमार हेयय क्षत्रिय

©

# रात कुछ ऐसा हुआ"

12 Love

green-leaves एक अरसा हुआ उनसे मुलाक़ात हुये आज अचानक वे सामने हैँ लेकिन आवाज़ मेरी थरथराई हैँ और आँख भी भर आई हैँ ©Parasram Arora

 green-leaves एक अरसा हुआ
 उनसे मुलाक़ात हुये
 
आज अचानक वे 

सामने हैँ 
लेकिन आवाज़ मेरी 
थरथराई हैँ 
और आँख भी भर आई हैँ

©Parasram Arora

एक अरसा हुआ

15 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत से मज़बूर हुआ, गिरा तो चकनाचूर हुआ, प्रेम की संकरी गलियों में, ख़ुद से कितना दूर हुआ, गफ़लत में फुंसी समझा, बढ़ा तो फ़िर नासूर हुआ, जिस घर में था अंधियारा, जला दीप पुरनूर हुआ, चढ़ा नशा जब भक्ति का, आठों याम सुरूर हुआ, मंज़िल मिली मुसाफ़िर से, ग़म दिल से क़ाफूर हुआ, देख घटाओं की शोखी, 'गुंजन' हृदय मयूर हुआ, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत  से   मज़बूर  हुआ,
गिरा तो  चकनाचूर  हुआ,

प्रेम की संकरी गलियों में,
ख़ुद से  कितना  दूर हुआ,

गफ़लत में  फुंसी  समझा,
बढ़ा  तो फ़िर नासूर हुआ,

जिस घर में था अंधियारा,
जला  दीप   पुरनूर  हुआ,

चढ़ा नशा जब भक्ति का,
आठों  याम  सुरूर  हुआ,

मंज़िल मिली मुसाफ़िर से,
ग़म  दिल से क़ाफूर हुआ,

देख  घटाओं   की  शोखी,
'गुंजन' हृदय   मयूर  हुआ,
 -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#

16 Love

White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~

#कविता #Sad_Status  White 

कभी जो कोई पुरुष
रोये तुम्हारे आगे
तो भर लेना बांहो में
और संभाल लेना उन्हें। 
क्योंकि... 
ये रोये है तो केवल माँ
के आगे... 
दुसरा उस स्त्री के आगे
जिस पर ये भरोसा था की
वो समझेगी। 
बिना कुछ सवाल किये उन्हें
थपकाते रहना... 
और आंचल से पूंछना 
उनके अश्रु
ये जो बह रहा है वो 
लाचारी नही... 
ये तो दर्द है
सफलता असफलता का, 
तानों का, अकेलेपन का, 
जोर से रोने का,
कई बार...बिखरने का
और अंततः वो रोना चाहते है
दर्द को कहना चाहते है
कि  दर्द हुआ है सीने में। 
जो छुपाए रखा फिजूल में
समाज के भय से
कोई ये न कहे की मर्द को 
दर्द नही होता । 
शायद! ये परिभाषा उसे
कभी ठीक नहीं लगी
क्योंकि वो पत्थर नहीं है
जो महसूस न हो उसे
दर्द की बेहद!!! 
कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर

©कौशल ~

#Sad_Status रोता हुआ पुरुष

9 Love

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