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Unsplash अगर आदमी ने क़ी होती यथार्थ कोशिश परमात्मा को खोजने की तों निश्चित ही आदमी ने परमात्मा को अब तक पा लिया होता ©Parasram Arora

#Motivational #Book  Unsplash अगर आदमी ने
 क़ी  होती यथार्थ कोशिश  
परमात्मा को खोजने की

तों निश्चित ही 
आदमी ने  परमात्मा को 
अब तक पा लिया होता

©Parasram Arora

#Book यथार्थ कोशिश

19 Love

देखो ये ठंड प्रचंड, मुफ़लिसी में दी दंड, नहाने को मन करे, भोले धूप तो लाइए। दुनिया ये अहंवादी, घटी हितैषी आबादी, पापियों का बोझ बढ़ा, इनको हटाइए। नेम ब्लेम फेम गेम, खेल रहे सभी चेम, विलुप्त करुणा हुई, फँस मत जाइए। मनुजता की पुकार, चहुँओर हाहाकार, बढ़ी है निरंकुशता, प्रीत तो जगाइए। ©Bharat Bhushan pathak

#घनाक्षरी_छंद #कविता_संगम #यथार्थ  देखो ये ठंड प्रचंड,
 मुफ़लिसी में दी दंड,
नहाने को मन करे,
भोले धूप तो लाइए।

दुनिया ये अहंवादी,
घटी हितैषी आबादी,
पापियों का बोझ बढ़ा,
इनको हटाइए।

नेम ब्लेम फेम गेम,
खेल रहे सभी चेम,
विलुप्त करुणा हुई,
फँस मत जाइए।

मनुजता की पुकार,
चहुँओर हाहाकार,
बढ़ी है निरंकुशता,
प्रीत तो जगाइए।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry poetry in hindi poetry quotes hindi poetry on life #घनाक्षरी_छंद #कविता_संगम #यथार्थ

15 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

17 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

#विचार

आज का विचार

126 View

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

Unsplash अगर आदमी ने क़ी होती यथार्थ कोशिश परमात्मा को खोजने की तों निश्चित ही आदमी ने परमात्मा को अब तक पा लिया होता ©Parasram Arora

#Motivational #Book  Unsplash अगर आदमी ने
 क़ी  होती यथार्थ कोशिश  
परमात्मा को खोजने की

तों निश्चित ही 
आदमी ने  परमात्मा को 
अब तक पा लिया होता

©Parasram Arora

#Book यथार्थ कोशिश

19 Love

देखो ये ठंड प्रचंड, मुफ़लिसी में दी दंड, नहाने को मन करे, भोले धूप तो लाइए। दुनिया ये अहंवादी, घटी हितैषी आबादी, पापियों का बोझ बढ़ा, इनको हटाइए। नेम ब्लेम फेम गेम, खेल रहे सभी चेम, विलुप्त करुणा हुई, फँस मत जाइए। मनुजता की पुकार, चहुँओर हाहाकार, बढ़ी है निरंकुशता, प्रीत तो जगाइए। ©Bharat Bhushan pathak

#घनाक्षरी_छंद #कविता_संगम #यथार्थ  देखो ये ठंड प्रचंड,
 मुफ़लिसी में दी दंड,
नहाने को मन करे,
भोले धूप तो लाइए।

दुनिया ये अहंवादी,
घटी हितैषी आबादी,
पापियों का बोझ बढ़ा,
इनको हटाइए।

नेम ब्लेम फेम गेम,
खेल रहे सभी चेम,
विलुप्त करुणा हुई,
फँस मत जाइए।

मनुजता की पुकार,
चहुँओर हाहाकार,
बढ़ी है निरंकुशता,
प्रीत तो जगाइए।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry poetry in hindi poetry quotes hindi poetry on life #घनाक्षरी_छंद #कविता_संगम #यथार्थ

15 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

17 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

#विचार

आज का विचार

126 View

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

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