आज प्रजातंत्र भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़ पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!!.
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