देखो ये ठंड प्रचंड,
मुफ़लिसी में दी दंड,
नहाने को मन करे,
भोले धूप तो लाइए।
दुनिया ये अहंवादी,
घटी हितैषी आबादी,
पापियों का बोझ बढ़ा,
इनको हटाइए।
नेम ब्लेम फेम गेम,
खेल रहे सभी चेम,
विलुप्त करुणा हुई,
फँस मत जाइए।
मनुजता की पुकार,
चहुँओर हाहाकार,
बढ़ी है निरंकुशता,
प्रीत तो जगाइए।
©Bharat Bhushan pathak
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