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New ठक्कर बाजार बस स्थानक Status, Photo, Video

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बाजार कोई कमाता है धन आकर कोई यहाँ गंवाता नहीं जेब में फूटी कौड़ी तो आकर ललचाता मोल भाव है आम यहाँ पर हैं क्रेता विक्रेता घर जाता है लुटकर कोई बनकर कोई विजेता यही पेट भरता है सबका सुख सुविधा है देता गुणवत्ता जैसी होती है वैसी कीमत लेता बेखुद क्रय विक्रय का नाता आपस में है गहरा ठग लेती बाजार प्यार से कोई अनाड़ी ठहरा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #बाजार  बाजार
कोई कमाता है धन आकर
कोई यहाँ गंवाता
नहीं जेब में फूटी कौड़ी
तो आकर ललचाता

मोल भाव है आम यहाँ पर
हैं क्रेता विक्रेता
घर जाता है लुटकर कोई
बनकर कोई विजेता

यही पेट भरता है सबका
सुख सुविधा है देता
गुणवत्ता जैसी होती है
वैसी कीमत लेता

बेखुद क्रय विक्रय का नाता
आपस में है गहरा
ठग लेती बाजार प्यार से
कोई अनाड़ी ठहरा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

White 🫂"बस तुम हो" 🫂 जीवन के गीत में ; हार या जीत में ; बस तुम हो ! सूनेपन की भीत में ; प्रहार या प्रीत में ; बस तुम हो ! समर्पण के रीत में ; बेकार या कृत में ; बस तुम हो ! प्रिया सिन्हा 𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. (शनिवार). ©PRIYA SINHA

#तुम #बस #हो  White 🫂"बस तुम हो" 🫂

जीवन के गीत में ;
हार या जीत में ;
बस तुम हो  ! 

सूनेपन की भीत में ;
प्रहार या प्रीत में ;
बस तुम हो  ! 

समर्पण के रीत में ;
बेकार या कृत में ;
बस तुम हो  ! 

प्रिया सिन्हा  
𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. 
(शनिवार).

©PRIYA SINHA

सफर फ़ाहिज्ज् फ़ाहिज्ज्ज् ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #बस  सफर फ़ाहिज्ज् फ़ाहिज्ज्ज्

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#बस

15 Love

#शायरी #sad_shayari

#sad_shayari फैज अहमद फैज आज बाजार में असरार जौनपुरी की आवाज में

144 View

फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं, फिर भी, मैं मायूस नहीं छोड़ो, उनको टूटना ही था, आखिर वो सपने ही तो थे तुमने ही जब गलत समझा, तो दिल टूटना ही था कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें ©हिमांशु Kulshreshtha

 फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
फिर भी, मैं मायूस नहीं
छोड़ो, उनको टूटना ही था,
आखिर वो सपने ही तो थे
तुमने ही जब गलत समझा,
तो दिल टूटना ही था
कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं
अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें

©हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही..

16 Love

मोहनिया बाजार

171 View

बाजार कोई कमाता है धन आकर कोई यहाँ गंवाता नहीं जेब में फूटी कौड़ी तो आकर ललचाता मोल भाव है आम यहाँ पर हैं क्रेता विक्रेता घर जाता है लुटकर कोई बनकर कोई विजेता यही पेट भरता है सबका सुख सुविधा है देता गुणवत्ता जैसी होती है वैसी कीमत लेता बेखुद क्रय विक्रय का नाता आपस में है गहरा ठग लेती बाजार प्यार से कोई अनाड़ी ठहरा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #बाजार  बाजार
कोई कमाता है धन आकर
कोई यहाँ गंवाता
नहीं जेब में फूटी कौड़ी
तो आकर ललचाता

मोल भाव है आम यहाँ पर
हैं क्रेता विक्रेता
घर जाता है लुटकर कोई
बनकर कोई विजेता

यही पेट भरता है सबका
सुख सुविधा है देता
गुणवत्ता जैसी होती है
वैसी कीमत लेता

बेखुद क्रय विक्रय का नाता
आपस में है गहरा
ठग लेती बाजार प्यार से
कोई अनाड़ी ठहरा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

White 🫂"बस तुम हो" 🫂 जीवन के गीत में ; हार या जीत में ; बस तुम हो ! सूनेपन की भीत में ; प्रहार या प्रीत में ; बस तुम हो ! समर्पण के रीत में ; बेकार या कृत में ; बस तुम हो ! प्रिया सिन्हा 𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. (शनिवार). ©PRIYA SINHA

#तुम #बस #हो  White 🫂"बस तुम हो" 🫂

जीवन के गीत में ;
हार या जीत में ;
बस तुम हो  ! 

सूनेपन की भीत में ;
प्रहार या प्रीत में ;
बस तुम हो  ! 

समर्पण के रीत में ;
बेकार या कृत में ;
बस तुम हो  ! 

प्रिया सिन्हा  
𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. 
(शनिवार).

©PRIYA SINHA

सफर फ़ाहिज्ज् फ़ाहिज्ज्ज् ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #बस  सफर फ़ाहिज्ज् फ़ाहिज्ज्ज्

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#बस

15 Love

#शायरी #sad_shayari

#sad_shayari फैज अहमद फैज आज बाजार में असरार जौनपुरी की आवाज में

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फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं, फिर भी, मैं मायूस नहीं छोड़ो, उनको टूटना ही था, आखिर वो सपने ही तो थे तुमने ही जब गलत समझा, तो दिल टूटना ही था कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें ©हिमांशु Kulshreshtha

 फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
फिर भी, मैं मायूस नहीं
छोड़ो, उनको टूटना ही था,
आखिर वो सपने ही तो थे
तुमने ही जब गलत समझा,
तो दिल टूटना ही था
कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं
अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें

©हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही..

16 Love

मोहनिया बाजार

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