Sunil Kumar Maurya Bekhud

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माँ की ममता उमड़ पड़ी है सबको रही दुलार आ जाती हैं सच्चे मन से जो भी रहा पुकार आडंबर से नफरत करती श्रद्धा उसको भाती प्रेम से जो भी भजन करे वो उसको गले लगाती आज दुःखी माँ देख रही है करते लोग दिखावा शोर है इतना कान हैं दुखते माँ का मन घबराया छोटी प्रतिमा हो या ऊँची या हो कोई चित्र बेखुद वो है उसमें रहती जिसका हृदय पवित्र ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #navratri  माँ की ममता उमड़ पड़ी है
सबको रही दुलार
आ जाती हैं सच्चे मन से
जो भी रहा पुकार

आडंबर से नफरत करती
श्रद्धा उसको भाती
प्रेम से जो भी  भजन करे वो
उसको गले लगाती

आज दुःखी माँ देख रही है
करते लोग दिखावा
शोर है इतना कान हैं दुखते
माँ का मन घबराया

छोटी प्रतिमा हो या ऊँची
या हो कोई चित्र
बेखुद वो है उसमें रहती
जिसका हृदय पवित्र

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#navratri हिंदी कविता

12 Love

धरती पर आई जगदम्बा भक्त खड़े कर जोड़े कृपा दृष्टि बरसाएं किस पर या फिर किसको छोड़ें कहती है तुम मुझसे पहले पूजो अपनी माँ को करते हो क्या उसकी सेवा अपने अंदर झांको अगर दुःखी है वो तो फिर मै कैसे खुश हो जाऊँ भूखी हो जननी तेरी तो भोग मैं कैसे खाऊँ बेखुद छप्पन भोग लगाओ उसको शीश नवाओ खुशियाँ बरसाउंगी तुम पर झोली भर ले जाओ ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #navratri  धरती पर आई जगदम्बा
भक्त खड़े कर जोड़े
कृपा दृष्टि बरसाएं किस पर
या फिर किसको छोड़ें

कहती है तुम मुझसे पहले
पूजो अपनी माँ को
करते हो क्या उसकी सेवा
अपने अंदर झांको

अगर दुःखी है वो तो फिर मै
कैसे खुश हो जाऊँ
भूखी हो जननी तेरी तो
भोग मैं कैसे खाऊँ

बेखुद छप्पन भोग लगाओ
उसको शीश नवाओ
खुशियाँ बरसाउंगी तुम पर
झोली भर ले जाओ

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#navratri प्रेरणादायी कविता हिंदी

12 Love

गधा गधा लोग कहतें हैं उसको जिसको नहीं विवेक कोई डंडा उसे दिखाता घुटने देता टेक कुछ भी पाता है खा लेता करता नहीं लडाई नफरत से सब उसे देखते कोई न कहता भाई मन का सच्चा तन का सीधा मेहनतकश है जीवन रहता सदा एक सा चाहे सूखा हो या सावन दुःख होता है बेखुद उसकी होती जब उपहास यही हस्र सीधे सच्चे का तब होती अहसास ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #गधा  गधा

गधा लोग कहतें हैं उसको
जिसको नहीं विवेक
कोई डंडा उसे दिखाता
घुटने देता टेक

कुछ भी पाता है खा लेता
करता नहीं लडाई
नफरत से सब उसे देखते
कोई न कहता भाई

मन का सच्चा तन का सीधा
मेहनतकश है जीवन
रहता सदा एक सा चाहे 
सूखा हो या सावन

दुःख होता है बेखुद उसकी
होती जब उपहास
यही हस्र सीधे सच्चे का
तब होती  अहसास

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#गधा हिंदी कविता

16 Love

गाँठ आजीवन हम पढ़ते रहते जाने कितने पाठ कभी खोलते कभी बांधते अपने मन की गाँठ कभी गाँठ देती है दिल के रिश्तों को मजबूती कभी तोड़ देती है रिश्ते जब किशमत हो फूटी खुलती नहीं गाँठ भले ही जल जाती है रस्सी जीवन भर हम करते रहते इससे रस्साकस्सी कभी हमें यह खुशी बाँटती बेखुद कभी रुलाती कभी लगाते इसे गले हम कभी पीटते छाती ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #गाँठ  गाँठ

आजीवन  हम पढ़ते रहते
जाने कितने पाठ
कभी खोलते कभी बांधते
अपने मन की गाँठ

कभी गाँठ देती है दिल के
रिश्तों को मजबूती
कभी तोड़ देती है रिश्ते
जब किशमत हो फूटी

खुलती नहीं गाँठ भले ही
जल जाती है रस्सी
जीवन भर हम करते रहते
इससे रस्साकस्सी

कभी हमें यह खुशी बाँटती
बेखुद कभी रुलाती
कभी लगाते इसे गले हम
कभी पीटते छाती

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#गाँठ

16 Love

ठूँठ कल तक था मैं घना वृक्ष आज बना हूँ ठूँठ बिन अपराध सजा पाया हूँ भाग्य गया है रूठ जिसको मैं छाया देता था देता था फल फूल उसी ने काटे शाखाओं को खुशियाँ मेरी लूट नफरत से सब मुझे देखते समझ रहे बेकार मेरी पीड़ा कोई न समझे लोग समझते झूठ बेखुद मै अपनों से हारा मन में घोर निराशा परोपकार करके पछताता हृदय गया है टूट ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #ठूँठ  ठूँठ

कल तक था मैं घना वृक्ष
आज बना हूँ ठूँठ
बिन अपराध सजा पाया हूँ
भाग्य गया है रूठ

जिसको मैं छाया देता था
देता था फल फूल
उसी ने काटे शाखाओं को
खुशियाँ मेरी लूट

नफरत से सब मुझे देखते
समझ रहे बेकार
मेरी पीड़ा कोई न समझे
लोग समझते झूठ

बेखुद मै अपनों से हारा
मन में घोर निराशा
परोपकार करके पछताता
हृदय गया है टूट

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#ठूँठ हिंदी कविता कविता

15 Love

White शुभ रात्रि दिन ढलते ही अपनों को शुभ रात्रि कहतें हैं काम काज व भाग दौड़ से सभी थके रहतें हैं उड़ आयेगा चाँद गगन में झिलमिल झिलमिल तारे खुश को जाए तन मन उसका जो भी इन्हें निहारे किसी को अवशर मिला सुनहरा आज करेगा चोरी कोई निकला है निर्जन में बुला रही है गोरी किसी को मिठी नींद मिलेगी सुंदर सुंदर सपने बेखुद हमराही को लेगा आलिंगन में अपने ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #GoodNight  White  शुभ रात्रि

दिन ढलते ही अपनों को
शुभ रात्रि कहतें हैं
काम काज व भाग दौड़ से
सभी थके रहतें हैं

उड़ आयेगा चाँद गगन में
झिलमिल झिलमिल तारे
खुश को जाए तन मन उसका
जो भी इन्हें निहारे

किसी को अवशर मिला सुनहरा
आज करेगा चोरी
कोई निकला है निर्जन में
बुला रही है गोरी

किसी को मिठी नींद मिलेगी
सुंदर सुंदर सपने
बेखुद हमराही को  लेगा
आलिंगन में अपने

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#GoodNight प्यार पर कविता हिंदी कविता कविता प्रेम कविता

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