Sunil Kumar Maurya Bekhud

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फ़ाहिज्ज् घर घनज ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#शायरी #sad_shayari  फ़ाहिज्ज्    घर   घनज

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#sad_shayari

15 Love

ध्वनि कभी कर्णप्रिय लगती हमको कभी है लगती कर्कश कभी हृदय को पीड़ा देती कभी लुभाती बसबस बनकर के संगीत जहाँ को अपने वश में करती कभी भयानक बन जाती यह सारी दुनिया डरती जिसके मुँह से ध्वनि ना निकले उसको गूँगा कहते बहरा बोले सुन नहीं सकता मै कानों के रहते बेखुद ध्वनि जब हद से बढ़ती बन जाती है शोर रूप प्रदूषण का धर लेती बनती आदमखोर ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #ध्वनि  ध्वनि
कभी कर्णप्रिय लगती हमको
कभी है लगती कर्कश
कभी हृदय को पीड़ा देती
कभी लुभाती बसबस

बनकर के संगीत जहाँ को
अपने वश में करती
कभी भयानक बन जाती यह
सारी दुनिया डरती

जिसके मुँह से ध्वनि ना निकले
उसको गूँगा कहते 
बहरा बोले सुन नहीं सकता
मै कानों के रहते

बेखुद ध्वनि जब हद से बढ़ती
बन जाती है शोर
रूप प्रदूषण का  धर लेती
बनती आदमखोर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

काँटा करे सुरक्षा किसी की घाव किसी को देता दूर भागती दुनिया इससे कोई नहीं सुधि लेता इसके आँगन में भी फिर भी फूल खुशी के खिलते आती है बहार चुपके से जब उनके लब हिलते काँटा है पर हाथ मदद के अपने सदा बढ़ाता इसके बिना न निकले कोई चुभा पाँव में काँटा दुश्मन के राहों में इसको जब कोई रखता है बेखुद पास न आने देता प्रहरी बन जगता है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #काँटा  काँटा
करे सुरक्षा किसी की
घाव किसी को देता
दूर भागती दुनिया इससे
कोई नहीं सुधि लेता

इसके आँगन में भी फिर भी
फूल खुशी के खिलते
आती है बहार चुपके से
जब उनके लब हिलते

काँटा है पर हाथ मदद के
अपने सदा बढ़ाता
इसके बिना न निकले कोई
चुभा पाँव में काँटा

दुश्मन के राहों में इसको
जब कोई रखता है 
बेखुद पास न आने देता
प्रहरी बन जगता है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#काँटा@कविता

15 Love

White सूर्योदय तुम्हें देखकर नींद से जागे नरम मुलायम बिस्तर त्यागे कर प्रणाम कर नित्य क्रिया चले लक्ष्य के पीछे आगे कोई ढूँढे सागर में मोती कोई चढ़े पर्वत की चोटी भूख लगी व्याकुल है कोई यत्न करे मिल जाए रोटी अगर नहीं तुम हमें जगाते स्वप्न देखते हम रह जाते आलस हमें कैद कर लेती कोई उद्योग नहीं कर पाते बेखुद खुश हम ऊर्जा पाकर धन्यवाद है तुमको दिनकर कर्तव्यों का बोझ खुशी से चले मार्ग में सभी उठाकर ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #GoodMorning  White सूर्योदय
तुम्हें देखकर नींद से जागे
नरम मुलायम बिस्तर त्यागे
कर प्रणाम कर नित्य क्रिया
चले लक्ष्य के पीछे आगे

कोई ढूँढे सागर में मोती
कोई चढ़े पर्वत की चोटी
भूख लगी व्याकुल है कोई
यत्न करे मिल जाए रोटी

अगर नहीं तुम हमें जगाते 
स्वप्न देखते हम रह जाते
आलस हमें कैद कर लेती
कोई उद्योग नहीं कर पाते

बेखुद खुश हम ऊर्जा पाकर
धन्यवाद है तुमको दिनकर
कर्तव्यों का बोझ खुशी से
चले मार्ग में सभी उठाकर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#GoodMorning हिंदी कविता

13 Love

White चांदनी_रात समा बांधते गगन में अगणित चाँद सितारे मंत्रमुग्ध हम देख कर अद्भुत देख नज़ारे टहल रहे स्वक्छन्द् हो रात्रिचरों की भाँति निशा मुदित है मन ही मन बढ़ रही उसकी ख्याति पाँव पसारे क्षितिज तक धने तिमिर को तोड़ कोई नहीं है प्रतिद्वंद्वि नहीं है उनमें होड़ बेखुद शीतलता देकर हरते मन की पीड़ा ऐसा लगे जुगुनू करते अंबर में हैं कृणा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #good_night  White  चांदनी_रात
समा बांधते गगन में
अगणित चाँद सितारे
मंत्रमुग्ध हम देख कर
अद्भुत देख नज़ारे

टहल रहे स्वक्छन्द् हो
रात्रिचरों की भाँति
निशा मुदित है मन ही मन
बढ़ रही उसकी ख्याति

पाँव पसारे क्षितिज तक
धने तिमिर को तोड़
कोई नहीं है प्रतिद्वंद्वि
नहीं है उनमें होड़

बेखुद शीतलता देकर
हरते मन की पीड़ा
ऐसा लगे जुगुनू करते
अंबर में हैं कृणा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#good_night

17 Love

White हमदम हमदम संग न रहता हरदम जैसे कोई साया तपता सूरज बने कभी तो कभी बने वो छाया कभी जख्म देता है दिल को कभी लगाता मरहम कभी छीन लेता है खुशियाँ कभी खुशी बरसाया कभी उगाता है काँटों को पग पग चुभते उर में कभी बहारें बन आँगन में घर आँगन महकाया बेखुद जिसकी किस्मत जैसी वैसा हमदम पाता किसी को मंजिल तक पहुँचाता किसी को है भटकाया ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #love_shayari  White    हमदम
हमदम संग न रहता हरदम
जैसे कोई साया
तपता सूरज बने कभी तो
कभी बने वो छाया

कभी जख्म देता है दिल को
कभी लगाता मरहम
कभी छीन लेता है खुशियाँ
कभी खुशी बरसाया

कभी उगाता है काँटों को
पग पग चुभते उर में
कभी बहारें बन आँगन में
घर आँगन महकाया

बेखुद जिसकी किस्मत जैसी
वैसा हमदम पाता
किसी को मंजिल तक पहुँचाता
किसी को है भटकाया

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#love_shayari

14 Love

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