फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं, फिर भी, मैं मायूस नह | हिंदी Shayari

"फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं, फिर भी, मैं मायूस नहीं छोड़ो, उनको टूटना ही था, आखिर वो सपने ही तो थे तुमने ही जब गलत समझा, तो दिल टूटना ही था कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें ©हिमांशु Kulshreshtha"

 फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
फिर भी, मैं मायूस नहीं
छोड़ो, उनको टूटना ही था,
आखिर वो सपने ही तो थे
तुमने ही जब गलत समझा,
तो दिल टूटना ही था
कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं
अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें

©हिमांशु Kulshreshtha

फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं, फिर भी, मैं मायूस नहीं छोड़ो, उनको टूटना ही था, आखिर वो सपने ही तो थे तुमने ही जब गलत समझा, तो दिल टूटना ही था कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें ©हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही..

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