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New दुशमनी का कहर Status, Photo, Video

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आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

16 Love

White एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है। ©||स्वयं लेखन||

#december #Winter #लव  White एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये
सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है।

©||स्वयं लेखन||

एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है। #love #december #Winter

18 Love

पल्लव की डायरी घट गयी ग्रोथ ,सदमे में रुपया है मेन्युफेक्चरिंग रसातल में गया डिमांडो पर महंगाई का कहर है हलाल जनता को कर गब्बर टेक्स का असर है थप थपाते पीठ बजट से अपनी आमजन के लिये ना कोई प्रबन्ध है सर चढ़ा के कम्पनियो को स्वाद अर्थव्यवस्था का बिगड़ रहा है आमजन की अनदेखी का खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
घट गयी ग्रोथ ,सदमे में रुपया है
मेन्युफेक्चरिंग रसातल में गया
डिमांडो पर महंगाई का कहर है
हलाल जनता को कर
गब्बर टेक्स का असर है
थप थपाते पीठ बजट से अपनी
आमजन के लिये ना कोई प्रबन्ध है
सर चढ़ा के कम्पनियो को
स्वाद अर्थव्यवस्था का बिगड़ रहा है
आमजन की अनदेखी का खामियाजा
देश को भुगतना पड़ रहा है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho डिमांडो पर महंगाई का कहर है

20 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

White ग़ुस्से मे मेरी जान तुम क़हर लगती हो तुम वो धूप हो जो भरी दोपहर लगती हो तुम ला जबाब हो तुम्हारा जवाब नही तुम मुझे ला जबाब इस क़दर लगती हो जमील ©jameel Khan

 White ग़ुस्से मे मेरी जान तुम क़हर लगती हो
तुम वो धूप हो जो भरी दोपहर लगती हो

तुम ला जबाब हो तुम्हारा जवाब नही
तुम मुझे  ला जबाब इस क़दर लगती हो

जमील

©jameel Khan

# कहर #

15 Love

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

16 Love

White एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है। ©||स्वयं लेखन||

#december #Winter #लव  White एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये
सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है।

©||स्वयं लेखन||

एक तुम नहीं हो क़रीब और एक ये सर्दी दिसंबर की कहर ढ़ा रही है। #love #december #Winter

18 Love

पल्लव की डायरी घट गयी ग्रोथ ,सदमे में रुपया है मेन्युफेक्चरिंग रसातल में गया डिमांडो पर महंगाई का कहर है हलाल जनता को कर गब्बर टेक्स का असर है थप थपाते पीठ बजट से अपनी आमजन के लिये ना कोई प्रबन्ध है सर चढ़ा के कम्पनियो को स्वाद अर्थव्यवस्था का बिगड़ रहा है आमजन की अनदेखी का खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
घट गयी ग्रोथ ,सदमे में रुपया है
मेन्युफेक्चरिंग रसातल में गया
डिमांडो पर महंगाई का कहर है
हलाल जनता को कर
गब्बर टेक्स का असर है
थप थपाते पीठ बजट से अपनी
आमजन के लिये ना कोई प्रबन्ध है
सर चढ़ा के कम्पनियो को
स्वाद अर्थव्यवस्था का बिगड़ रहा है
आमजन की अनदेखी का खामियाजा
देश को भुगतना पड़ रहा है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho डिमांडो पर महंगाई का कहर है

20 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

White ग़ुस्से मे मेरी जान तुम क़हर लगती हो तुम वो धूप हो जो भरी दोपहर लगती हो तुम ला जबाब हो तुम्हारा जवाब नही तुम मुझे ला जबाब इस क़दर लगती हो जमील ©jameel Khan

 White ग़ुस्से मे मेरी जान तुम क़हर लगती हो
तुम वो धूप हो जो भरी दोपहर लगती हो

तुम ला जबाब हो तुम्हारा जवाब नही
तुम मुझे  ला जबाब इस क़दर लगती हो

जमील

©jameel Khan

# कहर #

15 Love

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

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