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White अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और टूट रहा हूं जब से खुद में सबकुछ जाली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है। ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है। अंधकार सा है जीवन में रोशनी का भी खोज नहीं है। मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है। ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है। अब तो मुझको इस बाग का खोया माली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और टूट रहा हूं जब से खुद में सबकुछ जाली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ©Sandip rohilla

#शून्य #sad_quotes  White अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।
और टूट रहा हूं जब से खुद में 
सबकुछ जाली सा लगता है।

अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।

 मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है।
ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है।
अंधकार सा है जीवन में 
रोशनी का भी खोज नहीं है।

 मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है।
ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है।

अब तो मुझको इस बाग का खोया माली सा लगता है।

अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।
और टूट रहा हूं जब से खुद में 
सबकुछ जाली सा लगता है।

अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।

©Sandip rohilla

एक सा कफ़न देखा शमशान घाट पर जाकर मैंने, मुर्दों का ऐसा हाल देखा। अमीर - गरीब दोनों पर मैंने, पड़ा एक सा कफ़न देखा। वही विधि थी वही क्रिया थी, ऐसा मैंने अनुशासन देखा। भेद-भाव की जगह नहीं थी, ईश का ऐसा विधान देखा। पाँच तत्वों में विभक्त हो गये, उस काया को मिटते देखा। जो वे अपने तब कर्म बो गये, उन कर्मों पर भी रोते देखा। इस कलयुगी जीवन में यहाँ, लोगों को है बिखरते देखा। ऐसी नहीं कोई जगह जहाँ, उसको है मुस्कराते देखा। मौत के दर्शन तब पाकर उसका, जीवन से नाता टूटते देखा। क्या मतलब है अमीर गरीब का, अगर एक सा कफ़न देखा। ............................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

#एक_सा_कफ़न_देखा #कविता  एक सा कफ़न देखा

शमशान घाट पर जाकर मैंने,
मुर्दों का ऐसा हाल देखा।
अमीर - गरीब दोनों पर मैंने,
पड़ा एक सा कफ़न देखा।

वही विधि थी वही क्रिया थी,
ऐसा मैंने अनुशासन देखा।
भेद-भाव की जगह नहीं थी,
ईश का ऐसा विधान देखा।

पाँच तत्वों में विभक्त हो गये,
उस काया को मिटते देखा।
जो वे अपने तब कर्म बो गये,
उन कर्मों पर भी रोते देखा।

इस कलयुगी जीवन में यहाँ,
लोगों को है बिखरते देखा।
ऐसी नहीं कोई जगह जहाँ,
उसको है मुस्कराते देखा।

मौत के दर्शन तब पाकर उसका,
जीवन से नाता टूटते देखा।
क्या मतलब है अमीर गरीब का,
अगर एक सा कफ़न देखा।
............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
#hindisongs #moviesongs #nojohindi #Trending #Hindi

रात के हमसफर ...(song) | An Evening In Paris - 1967 | Shammi Kapoor, Sharmila Tagore | Mohd Rafi , Asha Bhosle | Hasrat Jaipuri | Shankar ,

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White अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और टूट रहा हूं जब से खुद में सबकुछ जाली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है। ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है। अंधकार सा है जीवन में रोशनी का भी खोज नहीं है। मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है। ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है। अब तो मुझको इस बाग का खोया माली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और टूट रहा हूं जब से खुद में सबकुछ जाली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ©Sandip rohilla

#शून्य #sad_quotes  White अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।
और टूट रहा हूं जब से खुद में 
सबकुछ जाली सा लगता है।

अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।

 मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है।
ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है।
अंधकार सा है जीवन में 
रोशनी का भी खोज नहीं है।

 मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है।
ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है।

अब तो मुझको इस बाग का खोया माली सा लगता है।

अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।
और टूट रहा हूं जब से खुद में 
सबकुछ जाली सा लगता है।

अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।

©Sandip rohilla

एक सा कफ़न देखा शमशान घाट पर जाकर मैंने, मुर्दों का ऐसा हाल देखा। अमीर - गरीब दोनों पर मैंने, पड़ा एक सा कफ़न देखा। वही विधि थी वही क्रिया थी, ऐसा मैंने अनुशासन देखा। भेद-भाव की जगह नहीं थी, ईश का ऐसा विधान देखा। पाँच तत्वों में विभक्त हो गये, उस काया को मिटते देखा। जो वे अपने तब कर्म बो गये, उन कर्मों पर भी रोते देखा। इस कलयुगी जीवन में यहाँ, लोगों को है बिखरते देखा। ऐसी नहीं कोई जगह जहाँ, उसको है मुस्कराते देखा। मौत के दर्शन तब पाकर उसका, जीवन से नाता टूटते देखा। क्या मतलब है अमीर गरीब का, अगर एक सा कफ़न देखा। ............................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

#एक_सा_कफ़न_देखा #कविता  एक सा कफ़न देखा

शमशान घाट पर जाकर मैंने,
मुर्दों का ऐसा हाल देखा।
अमीर - गरीब दोनों पर मैंने,
पड़ा एक सा कफ़न देखा।

वही विधि थी वही क्रिया थी,
ऐसा मैंने अनुशासन देखा।
भेद-भाव की जगह नहीं थी,
ईश का ऐसा विधान देखा।

पाँच तत्वों में विभक्त हो गये,
उस काया को मिटते देखा।
जो वे अपने तब कर्म बो गये,
उन कर्मों पर भी रोते देखा।

इस कलयुगी जीवन में यहाँ,
लोगों को है बिखरते देखा।
ऐसी नहीं कोई जगह जहाँ,
उसको है मुस्कराते देखा।

मौत के दर्शन तब पाकर उसका,
जीवन से नाता टूटते देखा।
क्या मतलब है अमीर गरीब का,
अगर एक सा कफ़न देखा।
............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
#hindisongs #moviesongs #nojohindi #Trending #Hindi

रात के हमसफर ...(song) | An Evening In Paris - 1967 | Shammi Kapoor, Sharmila Tagore | Mohd Rafi , Asha Bhosle | Hasrat Jaipuri | Shankar ,

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