White अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।
और टूट रहा हूं जब से खुद में
सबकुछ जाली सा लगता है।
अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है।
ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है।
अंधकार सा है जीवन में
रोशनी का भी खोज नहीं है।
मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है।
ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है।
अब तो मुझको इस बाग का खोया माली सा लगता है।
अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।
और टूट रहा हूं जब से खुद में
सबकुछ जाली सा लगता है।
अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है।
©Sandip rohilla
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