मदारी – सफीर रे:https://amzn.in/d/6f0jE92 खरी बातें :) मेरी कोई मंजिल नहीं है, मुझे बस स्वयं को पढ़ते रहना है, मेरा किसी से युद्ध नहीं है, मुझे बस खुद से लड़ते रहना है, सफर के काफिलों में अपनी भूमिका अदा कर, मुझे बस मुर्दे की तरह गढ़ते रहना है, मोह की जड़ता में जीना, तेरी नियति नहीं " सौरभ "।। तू एक शापित मुसाफिर है, तुझे बस पथिक की तरह आगे बढ़ते रहना है!!
Wednesday, 23 October | 05:48 pm
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