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New hindi poem on परिश्रम Status, Photo, Video

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White उसे चोट लगती है तो तकलीफ़ मुझे होती है, मुझे चोट लगती है तो बेचैनी उसे भी होती है। दिल के इस रिश्ते को क्या नाम दें, जो जुबां से नहीं, मगर रूह से महसूस होती है। उसके दर्द से मेरी आँखे नम हो जाती हैं, मेरे ग़म से उसकी रातें भी तन्हा हो जाती हैं। मगर ये कैसी मजबूरी है हमारी, कि हम खुलकर जज़्बात नहीं कह पाते हैं। ख़ामोशी में भी इश्क़ की सदा सुनाई देती है, बिना कहे उसकी फ़िक्र दिखाई देती है। लफ्ज़ों की कैद में रिश्ते नहीं बंधते, ये एक ख़ास एहसास है जो खुद-ब-खुद समझी जाती है। काश, कभी वक़्त थम जाए इस कदर, कि दिल की हर बात लफ़्ज़ों में उतर जाए। जो आज सिर्फ़ आँखों से बयान होती है, वो मोहब्बत खुलकर इज़हार हो जाए। Mrunal(19/06/24) ©Mrunal-(मृणाल)

#sad_quotes #Quotes #Quote #Hindi  White उसे चोट लगती है तो तकलीफ़ मुझे होती है,

मुझे चोट लगती है तो बेचैनी उसे भी होती है।

दिल के इस रिश्ते को क्या नाम दें,

जो जुबां से नहीं, मगर रूह से महसूस होती है।


उसके दर्द से मेरी आँखे नम हो जाती हैं,

मेरे ग़म से उसकी रातें भी तन्हा हो जाती हैं।

मगर ये कैसी मजबूरी है हमारी,

कि हम खुलकर जज़्बात नहीं कह पाते हैं।


ख़ामोशी में भी इश्क़ की सदा सुनाई देती है,

बिना कहे उसकी फ़िक्र दिखाई देती है।

लफ्ज़ों की कैद में रिश्ते नहीं बंधते,

ये एक ख़ास एहसास है जो खुद-ब-खुद समझी जाती है।


काश, कभी वक़्त थम जाए इस कदर,

कि दिल की हर बात लफ़्ज़ों में उतर जाए।

जो आज सिर्फ़ आँखों से बयान होती है,

वो मोहब्बत खुलकर इज़हार हो जाए।


Mrunal(19/06/24)

©Mrunal-(मृणाल)

#sad_quotes #Nojoto #Quotes #Poetry #poem #Love #Hindi #Quote shayari on love

17 Love

हरियाणा हरियाणवी संस्कृति की धरा पर, खेतों में है खड़े किसान, मेहनत से जुटे दिन और रात हरियाणा की ये पहचान। उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने, सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू, बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार, गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार। हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है, जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी। गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान। जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। कृपया बताएं कविता कैसी लगी ©Vijay Vidrohi

#हरियाणा #poem #New #my  हरियाणा 

हरियाणवी संस्कृति की धरा पर,
खेतों में है खड़े किसान, 
मेहनत से जुटे दिन और रात
हरियाणा की ये पहचान।

उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने,
सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने

महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू,
बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू

खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी
ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी 

उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार,
गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार।

हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है,
जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी।

गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान
यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान।

जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है।
कृपया बताएं कविता कैसी लगी

©Vijay Vidrohi

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14 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak

#विधा  #विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।

लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१

खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।

पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२

छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३

मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४

©Bharat Bhushan pathak

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10 Love

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White उसे चोट लगती है तो तकलीफ़ मुझे होती है, मुझे चोट लगती है तो बेचैनी उसे भी होती है। दिल के इस रिश्ते को क्या नाम दें, जो जुबां से नहीं, मगर रूह से महसूस होती है। उसके दर्द से मेरी आँखे नम हो जाती हैं, मेरे ग़म से उसकी रातें भी तन्हा हो जाती हैं। मगर ये कैसी मजबूरी है हमारी, कि हम खुलकर जज़्बात नहीं कह पाते हैं। ख़ामोशी में भी इश्क़ की सदा सुनाई देती है, बिना कहे उसकी फ़िक्र दिखाई देती है। लफ्ज़ों की कैद में रिश्ते नहीं बंधते, ये एक ख़ास एहसास है जो खुद-ब-खुद समझी जाती है। काश, कभी वक़्त थम जाए इस कदर, कि दिल की हर बात लफ़्ज़ों में उतर जाए। जो आज सिर्फ़ आँखों से बयान होती है, वो मोहब्बत खुलकर इज़हार हो जाए। Mrunal(19/06/24) ©Mrunal-(मृणाल)

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मुझे चोट लगती है तो बेचैनी उसे भी होती है।

दिल के इस रिश्ते को क्या नाम दें,

जो जुबां से नहीं, मगर रूह से महसूस होती है।


उसके दर्द से मेरी आँखे नम हो जाती हैं,

मेरे ग़म से उसकी रातें भी तन्हा हो जाती हैं।

मगर ये कैसी मजबूरी है हमारी,

कि हम खुलकर जज़्बात नहीं कह पाते हैं।


ख़ामोशी में भी इश्क़ की सदा सुनाई देती है,

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लफ्ज़ों की कैद में रिश्ते नहीं बंधते,

ये एक ख़ास एहसास है जो खुद-ब-खुद समझी जाती है।


काश, कभी वक़्त थम जाए इस कदर,

कि दिल की हर बात लफ़्ज़ों में उतर जाए।

जो आज सिर्फ़ आँखों से बयान होती है,

वो मोहब्बत खुलकर इज़हार हो जाए।


Mrunal(19/06/24)

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17 Love

हरियाणा हरियाणवी संस्कृति की धरा पर, खेतों में है खड़े किसान, मेहनत से जुटे दिन और रात हरियाणा की ये पहचान। उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने, सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू, बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार, गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार। हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है, जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी। गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान। जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। कृपया बताएं कविता कैसी लगी ©Vijay Vidrohi

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हरियाणवी संस्कृति की धरा पर,
खेतों में है खड़े किसान, 
मेहनत से जुटे दिन और रात
हरियाणा की ये पहचान।

उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने,
सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने

महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू,
बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू

खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी
ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी 

उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार,
गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार।

हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है,
जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी।

गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान
यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान।

जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है।
कृपया बताएं कविता कैसी लगी

©Vijay Vidrohi

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14 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak

#विधा  #विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।

लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१

खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।

पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२

छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३

मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४

©Bharat Bhushan pathak

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10 Love

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