White उसे चोट लगती है तो तकलीफ़ मुझे होती है,
मुझे चोट लगती है तो बेचैनी उसे भी होती है।
दिल के इस रिश्ते को क्या नाम दें,
जो जुबां से नहीं, मगर रूह से महसूस होती है।
उसके दर्द से मेरी आँखे नम हो जाती हैं,
मेरे ग़म से उसकी रातें भी तन्हा हो जाती हैं।
मगर ये कैसी मजबूरी है हमारी,
कि हम खुलकर जज़्बात नहीं कह पाते हैं।
ख़ामोशी में भी इश्क़ की सदा सुनाई देती है,
बिना कहे उसकी फ़िक्र दिखाई देती है।
लफ्ज़ों की कैद में रिश्ते नहीं बंधते,
ये एक ख़ास एहसास है जो खुद-ब-खुद समझी जाती है।
काश, कभी वक़्त थम जाए इस कदर,
कि दिल की हर बात लफ़्ज़ों में उतर जाए।
जो आज सिर्फ़ आँखों से बयान होती है,
वो मोहब्बत खुलकर इज़हार हो जाए।
Mrunal(19/06/24)
©Mrunal-(मृणाल)
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