नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया। | हिंदी Poetry

"नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak"

 नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

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