#विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।
लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१
खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।
पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२
छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३
मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४
©Bharat Bhushan pathak
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