#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को कि | हिंदी Poetry

"#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak"

 #विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।

लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१

खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।

पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२

छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३

मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४

©Bharat Bhushan pathak

#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak

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