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White डियर दिसंबर जो कभी तेरे आने पे अदावत करता था अब ये दिल तेरे होने की इबादत करता है कल तक तेरे ठहर जाने पे थी रंजिश अब कुछ पल तो थम जा की ख्वाहिश बावरा मन जाने क्यूं तेरी हसरत करता है जो ख्वाब -ए - खाक हुए, तुने नए सपने संजोए जो आईना बन जिंदगी का खुद से खुद को रुबरु करवाए नई उम्मीदो नई सपनो की तु ही तो इनायत करता है ढल रहा खूद फिर जाने क्यूं हादसो का इलजाम रखता है तेरे गुजरने कि गुजारिश अब बेमानी सी लगती है  कि तुझसे जुड़ी जिंदगी की हर कहानी लगती है कि इस बार अलविदा नही कहेंगे अगले साल हम फिर बेहिसाब मिलेंगे ©honey

#कविता  White डियर दिसंबर

जो कभी तेरे आने पे अदावत करता था
अब ये दिल तेरे होने की इबादत करता है
 कल तक तेरे ठहर जाने पे थी रंजिश
 अब कुछ पल तो थम जा की ख्वाहिश
बावरा मन जाने क्यूं तेरी हसरत  करता है

जो ख्वाब -ए - खाक हुए,  तुने नए सपने  संजोए
जो आईना बन जिंदगी का खुद से खुद को रुबरु करवाए
नई उम्मीदो नई सपनो की तु ही तो इनायत करता है
ढल रहा खूद फिर जाने क्यूं हादसो का इलजाम रखता है 

तेरे गुजरने कि गुजारिश अब बेमानी सी लगती है  
कि तुझसे जुड़ी जिंदगी की हर कहानी लगती है 
कि इस बार अलविदा नही कहेंगे
अगले साल हम फिर बेहिसाब मिलेंगे

©honey

# दिसंबर

11 Love

Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ, गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा........ कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने मुझसे रूठ गए, कुछ आस्तीन के साँपो से अब सारे बंधन छूट गए, अब कहना सुनना ख़त्म हुआ, अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ.... ए दिसम्बर तू जा... कितने बच्चे अनाथ हुए, कितने माँ बाप निसंतान हुए, कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई, कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए अब सहन शीलता ख़त्म हुई, अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा...... ©meri_lekhni_12

 Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ,
गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ।
ए दिसम्बर तू जा........ 

कुछ सपने थे जो टूट गए,
कुछ अपने मुझसे रूठ गए,
कुछ आस्तीन के साँपो से 
अब सारे बंधन छूट गए,
अब कहना सुनना ख़त्म हुआ,
अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ....
ए दिसम्बर तू जा...

कितने बच्चे अनाथ हुए,
कितने माँ बाप निसंतान हुए,
कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई,
कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए 
अब सहन शीलता ख़त्म हुई,
अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ।
ए दिसम्बर तू जा......

©meri_lekhni_12

दिसंबर /december

10 Love

#आशुतोषमिश्रा #हिंदीनोजोटो #हिंदी_कविता #हिमपात #दिसंबर #शीतलता  Unsplash शीतकाल में  शीतल  पवन  तन में तीर चुभाऐ
बिरहन के व्याकुल मन को पी का संग ही भाऐ

शीतलहर का बढ़ा प्रकोप हिमपात से धरा ढकी
नव-युगल जोड़ियों के सपनों को प्रेम के पंख लगे

क्या शहर क्या देहात शीतलहर की चली बयार
 तेज ठंड़ से सब हैरान और परेशान बूढ़े बच्चे और जवान

सब को पर्दे वाला और  संस्कारी बनाए 
क्या नर क्या नारी सब को लगी कपड़ो की 
अल्फाज मेरे✍️🏽🙏🏼🙏🏼

©Ashutosh Mishra
#अलविदा #राजीव #कविता

#अलविदा दिसंबर #राजीव भारती

126 View

मेरे चारो ओर जो मंज़र है, उसमें सुकून भर दो, थोड़ी सी मेरे करीब आ जाओ, और दिसंबर को जून कर दो।। ©Ashvani Kumar

 मेरे चारो ओर जो मंज़र है,
उसमें सुकून भर दो,
थोड़ी सी मेरे करीब आ जाओ,
और दिसंबर को जून कर दो।।

©Ashvani Kumar

दिसंबर को जून कर दो

17 Love

White ऐसा लगता है दिसंबर" फिर से पिछली बार की भांति, उतर आया गगन से, इस बार भी, चूमने धरती का माथा स्वर्ग से अंबर। सर्द बाहों में समाने ,आ गई वसुधा भी आँखें मूंदकर , बर्फ़ की चादर में लेटा है कोई, ऐसा लगता है दिसंबर। ©Anuj Ray

#कविता  White ऐसा लगता है दिसंबर"

फिर से पिछली बार की भांति, उतर आया गगन 
से, इस बार भी, चूमने धरती का माथा स्वर्ग से अंबर।

सर्द बाहों में समाने ,आ गई वसुधा भी आँखें मूंदकर ,
बर्फ़ की चादर में लेटा है कोई, ऐसा लगता है दिसंबर।

©Anuj Ray

# ऐसा लगता है दिसंबर"

14 Love

White डियर दिसंबर जो कभी तेरे आने पे अदावत करता था अब ये दिल तेरे होने की इबादत करता है कल तक तेरे ठहर जाने पे थी रंजिश अब कुछ पल तो थम जा की ख्वाहिश बावरा मन जाने क्यूं तेरी हसरत करता है जो ख्वाब -ए - खाक हुए, तुने नए सपने संजोए जो आईना बन जिंदगी का खुद से खुद को रुबरु करवाए नई उम्मीदो नई सपनो की तु ही तो इनायत करता है ढल रहा खूद फिर जाने क्यूं हादसो का इलजाम रखता है तेरे गुजरने कि गुजारिश अब बेमानी सी लगती है  कि तुझसे जुड़ी जिंदगी की हर कहानी लगती है कि इस बार अलविदा नही कहेंगे अगले साल हम फिर बेहिसाब मिलेंगे ©honey

#कविता  White डियर दिसंबर

जो कभी तेरे आने पे अदावत करता था
अब ये दिल तेरे होने की इबादत करता है
 कल तक तेरे ठहर जाने पे थी रंजिश
 अब कुछ पल तो थम जा की ख्वाहिश
बावरा मन जाने क्यूं तेरी हसरत  करता है

जो ख्वाब -ए - खाक हुए,  तुने नए सपने  संजोए
जो आईना बन जिंदगी का खुद से खुद को रुबरु करवाए
नई उम्मीदो नई सपनो की तु ही तो इनायत करता है
ढल रहा खूद फिर जाने क्यूं हादसो का इलजाम रखता है 

तेरे गुजरने कि गुजारिश अब बेमानी सी लगती है  
कि तुझसे जुड़ी जिंदगी की हर कहानी लगती है 
कि इस बार अलविदा नही कहेंगे
अगले साल हम फिर बेहिसाब मिलेंगे

©honey

# दिसंबर

11 Love

Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ, गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा........ कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने मुझसे रूठ गए, कुछ आस्तीन के साँपो से अब सारे बंधन छूट गए, अब कहना सुनना ख़त्म हुआ, अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ.... ए दिसम्बर तू जा... कितने बच्चे अनाथ हुए, कितने माँ बाप निसंतान हुए, कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई, कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए अब सहन शीलता ख़त्म हुई, अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा...... ©meri_lekhni_12

 Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ,
गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ।
ए दिसम्बर तू जा........ 

कुछ सपने थे जो टूट गए,
कुछ अपने मुझसे रूठ गए,
कुछ आस्तीन के साँपो से 
अब सारे बंधन छूट गए,
अब कहना सुनना ख़त्म हुआ,
अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ....
ए दिसम्बर तू जा...

कितने बच्चे अनाथ हुए,
कितने माँ बाप निसंतान हुए,
कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई,
कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए 
अब सहन शीलता ख़त्म हुई,
अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ।
ए दिसम्बर तू जा......

©meri_lekhni_12

दिसंबर /december

10 Love

#आशुतोषमिश्रा #हिंदीनोजोटो #हिंदी_कविता #हिमपात #दिसंबर #शीतलता  Unsplash शीतकाल में  शीतल  पवन  तन में तीर चुभाऐ
बिरहन के व्याकुल मन को पी का संग ही भाऐ

शीतलहर का बढ़ा प्रकोप हिमपात से धरा ढकी
नव-युगल जोड़ियों के सपनों को प्रेम के पंख लगे

क्या शहर क्या देहात शीतलहर की चली बयार
 तेज ठंड़ से सब हैरान और परेशान बूढ़े बच्चे और जवान

सब को पर्दे वाला और  संस्कारी बनाए 
क्या नर क्या नारी सब को लगी कपड़ो की 
अल्फाज मेरे✍️🏽🙏🏼🙏🏼

©Ashutosh Mishra
#अलविदा #राजीव #कविता

#अलविदा दिसंबर #राजीव भारती

126 View

मेरे चारो ओर जो मंज़र है, उसमें सुकून भर दो, थोड़ी सी मेरे करीब आ जाओ, और दिसंबर को जून कर दो।। ©Ashvani Kumar

 मेरे चारो ओर जो मंज़र है,
उसमें सुकून भर दो,
थोड़ी सी मेरे करीब आ जाओ,
और दिसंबर को जून कर दो।।

©Ashvani Kumar

दिसंबर को जून कर दो

17 Love

White ऐसा लगता है दिसंबर" फिर से पिछली बार की भांति, उतर आया गगन से, इस बार भी, चूमने धरती का माथा स्वर्ग से अंबर। सर्द बाहों में समाने ,आ गई वसुधा भी आँखें मूंदकर , बर्फ़ की चादर में लेटा है कोई, ऐसा लगता है दिसंबर। ©Anuj Ray

#कविता  White ऐसा लगता है दिसंबर"

फिर से पिछली बार की भांति, उतर आया गगन 
से, इस बार भी, चूमने धरती का माथा स्वर्ग से अंबर।

सर्द बाहों में समाने ,आ गई वसुधा भी आँखें मूंदकर ,
बर्फ़ की चादर में लेटा है कोई, ऐसा लगता है दिसंबर।

©Anuj Ray

# ऐसा लगता है दिसंबर"

14 Love

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