White काश! हम बच्चे होते,
तो ये दिन भी कितने अच्छे होते... काश! हम बच्चे होते...!
वो बचपन के दिन भी क्या दिन थे, और अब ये जवानी की रात...!
ना सुकून है जिंदगी में अब, ना बचपन वाली बात,
वो बचपन में देर से उठना, और सब हाँथो हाथ मिल जाना,
अब तो बिस्तर से उठकर बिस्तर तक का सफर अकेले बिताना,
वो स्कूल में दोस्तों से दिन भर की यादे,
और अब कॉलेज के नाम पर ये दिन भर की नई फ़सादे...!
वो स्कूल से सीधा आना, टीवी के सामने बैठ जाना,
और अब जिंदगी की उलझन में मशरूफ, की रात भर नींद ना आना..!
शायद इसलिए तो दिल कहता है--
काश! हम बच्चे होते, तो ये दिन भी कितने अच्छे होते,
काश हम बच्चे होते...!
वो पापा के पैर दबाना, वो बाबा की कहानियाँ सुनना ,
वो माँ का प्यार से मेरी राह तकना, वो बहन से झगड़ा करना,
वो भाई में एक दोस्त का मिल जाना,
और कोचिंग के नाम पर पूरा दिन बन जाना,
मानो.. .! ये जवानी सब ले गई, हजारों की भीड़ में तुम्हें तन्हा कर गई...!
शायद इसिलिये दिल कहता है--
काश...! हम बच्चे होते, तो ये दिन भी कितने अच्छे होते,
काश हम बच्चे होते...!
पहले ना अगली चिंता होती थी, ना पिछली फ़िकर, जैसा मन हो बस जियो बेफिकर,
और अब तो रात में सोने से पहले, आने वाले कल का ख्याल रहता है,
और उठते ही बीते दिन का मलाल रहता है...!
ये दिन भी जायेंगे जब बुढ़ापा आयेगा,
लेकिन, वो गुजरा बचपन, वो बचपन, उसकी जगह तो वो बुढ़ापा भी नहीं ले पायेगा,
शायद इसीलिए तो दिल कहता है--
काश...! हम बच्चे होते, तो ये दिन भी कितने अच्छे होते,
काश हम बच्चे होते...काश हम बच्चे होते...!
---(GUSTAKHI MAAF)
©someone special
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