English
Shayri lover
Unsplash मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है जो दिल में है उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें सलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है मिरे होंटों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो कि इस के बा'द भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है @wasim bareilvi . ©दिवाकर
दिवाकर
20 Love
White तुम्हें इक बात कहनी थी इजाज़त हो तो कह दूँ मैं ये भीगा भीगा सा मौसम ये तितली फूल और शबनम चमकते चाँद की बातें ये बूँदें और बरसातें ये काली रात का आँचल हवा में नाचते बादल धड़कते मौसमों का दिल महकती ख़ुश्बूओं का दिल ये सब जितने नज़ारे हैं कहो किस के इशारे हैं सभी बातें सुनी तुम ने फिर आँखें फेर लीं तुम ने मैं तब जा कर कहीं समझा कि तुम ने कुछ नहीं समझा मैं क़िस्सा मुख़्तसर कर के ज़रा नीची नज़र कर के ये कहता हूँ अभी तुम से मोहब्बत हो गई तुम से @zubair ali taabish . ©दिवाकर
13 Love
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset दिल धड़कने का सबब याद आया वो तिरी याद थी अब याद आया आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्त तू मुसीबत में अजब याद आया तेरा भूला हुआ पैमान-ए-वफ़ा मर रहेंगे अगर अब याद आया दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से फिर तिरा वादा-ए-शब याद आया फिर कई लोग नज़र से गुज़रे फिर कोई शहर-ए-तरब याद आया हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन जब वो रुख़्सत हुआ तब याद आया बैठ कर साया-ए-गुल में 'नासिर' हम बहुत रोए वो जब याद आया @naasir kaazmi . ©दिवाकर
White किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुँह में ज़बाँ क्यूँ हो वो अपनी ख़ू न छोड़ेंगे हम अपनी वज़्अ क्यूँ छोड़ें सुबुक-सर बन के क्या पूछें कि हम से सरगिराँ क्यूँ हो वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो किया ग़म-ख़्वार ने रुस्वा लगे आग इस मोहब्बत को न लावे ताब जो ग़म की वो मेरा राज़-दाँ क्यूँ हो क़फ़स में मुझ से रूदाद-ए-चमन कहते न डर हमदम गिरी है जिस पे कल बिजली वो मेरा आशियाँ क्यूँ हो निकाला चाहता है काम क्या ता'नों से तू 'ग़ालिब' तिरे बे-मेहर कहने से वो तुझ पर मेहरबाँ क्यूँ हो @ghalib .. ©दिवाकर
14 Love
Unsplash कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा वो तिरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं दिल-ए-बे-ख़बर मिरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में तिरी आस तेरे गुमान में सबा कह गई मिरे कान में मिरे साथ आ उसे भूल जा किसी आँख में नहीं अश्क-ए-ग़म तिरे बअ'द कुछ भी नहीं है कम तुझे ज़िंदगी ने भुला दिया तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा कहीं चाक-ए-जाँ का रफ़ू नहीं किसी आस्तीं पे लहू नहीं कि शहीद-ए-राह-ए-मलाल का नहीं ख़ूँ-बहा उसे भूल जा क्यूँ अटा हुआ है ग़ुबार में ग़म-ए-ज़िंदगी के फ़िशार में वो जो दर्द था तिरे बख़्त में सो वो हो गया उसे भूल जा तुझे चाँद बन के मिला था जो तिरे साहिलों पे खिला था जो वो था एक दरिया विसाल का सो उतर गया उसे भूल जा @amzad islam . ©दिवाकर
White बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता महाज़-ए-इश्क़ से कब कौन बच के निकला है तू बच गया है तो ख़ैरात क्यूँ नहीं करता वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता मुझे तू जान से बढ़ कर अज़ीज़ हो गया है तो मेरे साथ कोई हाथ क्यूँ नहीं करता @tahzeeb haafi . ©दिवाकर
15 Love
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here