good_night
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White कभी खोद कर देखो अपने जिस्म की कब्र। मिलेंगी बहुत सी वो ख्वाहिशें जिसे तुम अपने अंदर ही मार देते हो।। श्मशान- मृत्यु पढ़ाता हू मै✍️🚩 ©PRAMILA LALIT SHUKLA

#विचार #good_night #twoliner #thought #Hindi  White कभी खोद कर देखो
अपने जिस्म की कब्र।
मिलेंगी बहुत सी वो ख्वाहिशें 
जिसे तुम अपने अंदर ही मार देते हो।।

श्मशान- मृत्यु पढ़ाता हू मै✍️🚩

©PRAMILA LALIT SHUKLA

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White नारी सौंदर्य का प्रतीक माना जाती है सजना सवरना अपने को सबसे अलग दिखाना श्रृंगार करना उसका जन्मजात और नैसर्गिक अधिकार ,गुण है अपने को अधिक से अधिक सुंदरतम दिखाकर पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करती है उनकी यह प्रवृत्ति बहुत ही स्वाभाविक और नैसर्गिक है भारतीय संदर्भ में भारतीय परिधान साड़ी में वह बहुत ही शालीन और सुंदर दिखाई पड़ती है परंतु जाने अनजाने में कभी-कभी वह साड़ी और ब्लाउज पहनने का उस स्टाइल का चयन कर बैठती है जिसमें जाने अनजाने में वह अत्यधिक अंग प्रदर्शन कर जाती है क्या यह भी उसका नैसर्गिक अधिकार है ( वैसे साड़ी में सबसे ज्यादा अंग प्रदर्शन होता है) अगर वह लड़की उस फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है और कोई पुरुष उसे पर कोई कमेंट कर देता है या उसे फोटो को कहीं दूसरी जगह पोस्ट कर देता है तो क्या पुरुष दोषी है क्या उसमें उस स्त्री का कोई दोष नहीं है एक विचारणीय प्रश्न है ©Lotus banana (Arvind kela)

#good_night  White नारी सौंदर्य का प्रतीक माना जाती है सजना सवरना अपने को सबसे अलग दिखाना श्रृंगार करना उसका जन्मजात और नैसर्गिक अधिकार ,गुण है अपने को अधिक से अधिक सुंदरतम दिखाकर पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करती है उनकी यह प्रवृत्ति बहुत ही  स्वाभाविक और नैसर्गिक है भारतीय संदर्भ में भारतीय परिधान साड़ी में वह बहुत ही  शालीन और सुंदर दिखाई पड़ती है परंतु जाने अनजाने में कभी-कभी वह साड़ी और ब्लाउज पहनने का  उस स्टाइल का चयन कर बैठती है जिसमें जाने अनजाने में  वह अत्यधिक अंग प्रदर्शन कर जाती है क्या यह भी उसका नैसर्गिक अधिकार है ( वैसे साड़ी में सबसे ज्यादा अंग प्रदर्शन होता है) अगर वह लड़की उस फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है और कोई पुरुष उसे पर कोई कमेंट कर देता है या उसे फोटो को कहीं दूसरी जगह पोस्ट कर देता है तो क्या पुरुष दोषी है क्या उसमें उस स्त्री का कोई दोष नहीं है एक विचारणीय प्रश्न है

©Lotus banana (Arvind kela)

#good_night

15 Love

White एक टूटते तारे देखते ही बस याद तेरी आ गई एक ही इच्छा मांगी मैंने बस तुम रहो मेरे साथ चमकते सितारे और खुबसूरत चांदनी भरी रात में कहीं दूर तपते रेगिस्तान के रेत पर लेटकर देखें तारे लेटकर एक साथ में ©Vijay Malik Attela

#शायरी #good_night  White एक टूटते तारे देखते ही बस याद तेरी आ गई 
एक ही इच्छा मांगी मैंने बस तुम रहो मेरे साथ 
चमकते सितारे और खुबसूरत चांदनी भरी रात में 
कहीं दूर तपते रेगिस्तान के रेत पर लेटकर 
देखें तारे लेटकर एक साथ में

©Vijay Malik Attela

#good_night शायरी हिंदी में शायरी लव शायरी वीडियो शायरी लव

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White Alhamdulillah Allah ne aise shks se milaya Jiska sath duniya se le kr jannat tk chahiye ...♥️ ©Honey Ch

#good_night  White Alhamdulillah 
Allah ne aise shks se milaya
Jiska sath duniya se le kr jannat
tk chahiye ...♥️

©Honey Ch

#good_night

11 Love

White स्वधा शक्ति की प्राप्ति के अनन्तर मनुष्य के भावों का विकास होता है, और वह अपने आपको स्वाहा करने लगता है, त्याग, आत्मोत्सर्ग करता है और स्वार्थ की जगह परमार्थ-त्याग स्थान ले लेता है। जिससे प्रेम किया जाता है उसके लिए त्याग करने की इच्छा बढ़ जाती है। मनुष्य कष्ट उठाने लगता है। तब प्रेम का व्यावहारिक स्वरूप त्याग ही हो जाता है। त्याग, आत्मोत्सर्ग, बलिदान की स्थिति के अनुसार ही प्रेम कर सत्य स्वरूप विकसित होने लगता है। जब मनुष्य अपने आपको पूर्णतया स्वाहा कर देता है तब एक मात्र प्रेम की सत्ता ही सर्वत्र शेष रह जाती है। प्रेम दिव्य तत्व है। इसके परिणाम सदैव दिव्य ही मिलते हैं। किन्तु यह तब जबकि मनुष्य पुरस्कार की कामना से रहित होकर केवल प्रेम के लिए त्याग बलिदान, आत्मोत्सर्ग करता है। प्रेम का पुरस्कार तो स्वतः प्राप्त होता है और वह है आत्मसन्तोष, शान्ति, प्रसन्नता, जीवन में उत्साह आदि। प्रेम तो मनुष्य की चेतना का विकास कर उसे विश्व चेतना में प्रतिष्ठित करता ©sanjay Kumar Mishra

#विचार #good_night  White स्वधा शक्ति की प्राप्ति के अनन्तर मनुष्य के भावों का विकास होता है, और वह अपने आपको स्वाहा करने लगता है, त्याग, आत्मोत्सर्ग करता है और स्वार्थ की जगह परमार्थ-त्याग स्थान ले लेता है। जिससे प्रेम किया जाता है उसके लिए त्याग करने की इच्छा बढ़ जाती है। मनुष्य कष्ट उठाने लगता है। तब प्रेम का व्यावहारिक स्वरूप त्याग ही हो जाता है। त्याग, आत्मोत्सर्ग, बलिदान की स्थिति के अनुसार ही प्रेम कर सत्य स्वरूप विकसित होने लगता है। जब मनुष्य अपने आपको पूर्णतया स्वाहा कर देता है तब एक मात्र प्रेम की सत्ता ही सर्वत्र शेष रह जाती है। प्रेम दिव्य तत्व है। इसके परिणाम सदैव दिव्य ही मिलते हैं। किन्तु यह तब जबकि मनुष्य पुरस्कार की कामना से रहित होकर केवल प्रेम के लिए त्याग बलिदान, आत्मोत्सर्ग करता है। प्रेम का पुरस्कार तो स्वतः प्राप्त होता है और वह है आत्मसन्तोष, शान्ति, प्रसन्नता, जीवन में उत्साह आदि। प्रेम तो मनुष्य की चेतना का विकास कर उसे विश्व चेतना में प्रतिष्ठित करता

©sanjay Kumar Mishra

#good_night अच्छे विचारों

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White आवाज आए कहा से आवाज़ देने वालों के गला बैठ गए होंगे याद करने पर याद आया ताउम्र जो सेवा करने वाले बच्चे थे उन्हीं के मां बाबा न जाने कहा गए हैं होंगे यहां वहां बहुत भटके होगे किसी ने सोचा आश्रम किसी ने सोचा मर गए होंगे ©pooja

#कविता #today  White   आवाज आए कहा से 
 आवाज़ देने  वालों के गला बैठ गए  होंगे 
     याद करने पर याद आया 
ताउम्र जो सेवा करने वाले  बच्चे थे उन्हीं के मां बाबा न जाने कहा गए हैं होंगे 
 यहां वहां बहुत  भटके होगे  
किसी ने सोचा आश्रम किसी ने सोचा मर गए होंगे

©pooja

#today genration कविता Aaj Ka Panchang प्रेरणादायी कविता हिंदी

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