Kusumakar Muralidhar Pant

Kusumakar Muralidhar Pant

प्यार से बनी यार की मूरत है, दिखती उसमें मेरी ही सूरत है, हुस्न देखो मेरा या मेरे यार का, बाखुदा दोनों ही खूबसूरत है ...

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कितना भी हो, ज़हरीला गरल, घूँट दर घूँट तुम्हें, उसको निगलना होगा, अब माँ के बिना, जीवन नहीं सरल, फिर भी, हे निडर ! वीर तुम्हें चलना होगा! जो सत्ता के व्यापारी थे, जो जेलों के अधिकारी थे, उनकी तुमने कर दी, जतन से समस्या बोझल, ऐसी ज़ोर की खाई है, कि सांस लेते, कटता नहीं पल, मृत्यु को भी आगे तुम्हारे, थक-हार के बस टलना होगा, अब माँ के बिना, जीवन नहीं सरल, फिर भी, हे निडर ! वीर तुम्हें चलना होगा! आ गयी विपदा गंभीर मगर, तुमने डटकर निस्तार किया, चहुँ ओर सबका सम्मान पाया, गरीबों को नया संसार दिया, पालन- पोषण सब सीखा है, जग- सागर को तरना होगा, अब माँ के बिना, जीवन नहीं सरल, फिर भी, हे निडर ! वीर तुम्हें चलना होगा! ©Kusumakar Muralidhar Pant

#nojotokavita #hindikavita  कितना भी हो, ज़हरीला गरल,
घूँट दर घूँट तुम्हें, उसको निगलना होगा,
अब माँ के बिना, जीवन नहीं सरल,
फिर भी, हे निडर ! वीर तुम्हें चलना होगा!

जो सत्ता के व्यापारी थे, जो जेलों के अधिकारी थे,
उनकी तुमने कर दी, जतन से समस्या बोझल,
ऐसी ज़ोर की खाई है,
कि सांस लेते, कटता नहीं पल,
मृत्यु को भी आगे तुम्हारे, थक-हार के बस टलना होगा,
अब माँ के बिना, जीवन नहीं सरल,
फिर भी, हे निडर ! वीर तुम्हें चलना होगा!

आ गयी विपदा गंभीर मगर, तुमने डटकर निस्तार किया,
चहुँ ओर सबका सम्मान पाया, गरीबों को नया संसार दिया,
पालन- पोषण सब सीखा है,
जग- सागर को तरना होगा,
अब माँ के बिना, जीवन नहीं सरल,
फिर भी, हे निडर ! वीर तुम्हें चलना होगा!

©Kusumakar Muralidhar Pant

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13 Love

कुछ नया अंदाज़ लेके, हाथों हाथ साज़ लेके, चलते हैं महापुरुषों की राह में डगर में। जो भी आगे बढ़ रहा है, महानता में ढल रहा है, हो ना हो कभी ना कभी आ जाता है नज़र में। कौशल की कमी नहीं है, उड़ान अभी थमी नहीं है, चढ़ता मेहनत का रंग आ रहा असर में। क्या पता क्या है भगवान, वीर खड़े धनुष तान, कोशिश ऐसी करो कि रह न जाए कुछ कसर में। एक दिन होगा नाम, मिलेगा बड़ा इनाम, जैसे स्वर और व्यंजन दोनों आ जाए अक्षर में। फिर तुम्हारा कर्तव्य होगा, सिखाना गंतव्य होगा, ताकि दिये से दिया जलता रहे पूरे शहर में। ©Kusumakar Muralidhar Pant

 कुछ नया अंदाज़ लेके, हाथों हाथ साज़ लेके,
चलते हैं महापुरुषों की राह में डगर में।

जो भी आगे बढ़ रहा है, महानता में ढल रहा है,
हो ना हो कभी ना कभी आ जाता है नज़र में।

कौशल की कमी नहीं है, उड़ान अभी थमी नहीं है,
चढ़ता मेहनत का रंग आ रहा असर में।

क्या पता क्या है भगवान, वीर खड़े धनुष तान,
कोशिश ऐसी करो कि रह न जाए कुछ कसर में।

एक दिन होगा नाम, मिलेगा बड़ा इनाम,
जैसे स्वर और व्यंजन दोनों आ जाए अक्षर में।

फिर तुम्हारा कर्तव्य होगा, सिखाना गंतव्य होगा,
ताकि दिये से दिया जलता रहे पूरे शहर में।

©Kusumakar Muralidhar Pant

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12 Love

भारत का सपूत यही है, मिटाना हर भ्रान्ति को ही है, अंग्रेज़ भी करते प्रशंसा, देखते कैसे हुआ ये अचंभा, गुरु ज्ञान से राह दिखाई, जिसमेें निहित थी प्रभुताई, भारत के युगपुरुष बनके, विदेशों में भी खूब चमके, नरेन्द्रनाथ बना विवेकानंद, जैसे फूल में हो मकरंद, अपनी आभा सर्वत्र पहुंचाई, जैसे सूर्य की तरुणाई, कोई दैवीय कारण था, जैसे इनका अवतरण था, ऐसा व्यक्तित्व किसी ने ना पाया, स्वप्न जैसे सच हो आया, आओ हम भी प्रण लें, भारत को मन में धर ले, लहरा दे झंडा फिर से देश का, नारा बने जो विदेश का, ज्ञान - योग का सार देकर, सिरमौर बनें ऐसा प्यार देकर। ©Kusumakar Muralidhar Pant

#VivekanandaJayanti #nojotokavita #hindikavita  भारत का सपूत यही है, मिटाना हर भ्रान्ति को ही है,
अंग्रेज़ भी करते प्रशंसा, देखते कैसे हुआ ये अचंभा,
गुरु ज्ञान से राह दिखाई, जिसमेें निहित थी प्रभुताई,
भारत के युगपुरुष बनके, विदेशों में भी खूब चमके,
नरेन्द्रनाथ बना विवेकानंद, जैसे फूल में हो मकरंद,
अपनी आभा सर्वत्र पहुंचाई, जैसे सूर्य की तरुणाई,
कोई दैवीय कारण था, जैसे इनका अवतरण था,
ऐसा व्यक्तित्व किसी ने ना पाया, स्वप्न जैसे सच हो आया,
आओ हम भी प्रण लें, भारत को मन में धर ले,
लहरा दे झंडा फिर से देश का, नारा बने जो विदेश का,
ज्ञान - योग का सार देकर, सिरमौर बनें ऐसा प्यार देकर।

©Kusumakar Muralidhar Pant

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15 Love

वीर की जवानी देखो, इरादा ये तूफानी देखो, एक एक कर गोली खाते ही चले गये, बात हो ये जंग की, जवान की उमंग की, कि लाल लहू में होली मनाते ही चले गये। दुश्मन को देना दंड था, क्योंकि उसे घमंड था, छोटे बड़े शत्रु सामने आते ही चले गये, युद्ध बड़ा भीषण था, हौसलों का परीक्षण था, भाग सारे अरि दुम दबाते ही चले गये। द्वन्द्व का ये ताप देखो, वैरी का संताप देखो, मुंह की खाये सारे लड़खड़ाते ही चले गये, देश रहे ये महान, हीरों की है ये खान, जो भी लड़े वो जीत पाते ही चले गये। भू, जल, आकाश, सभी में है प्रकाश, देशप्रेम का झंडा लहलाहते ही चले गये, पदकों की कमी नहीं है, वैरी को ज़मीं नहीं है, कितने साल आए, कितने जाते ही चले गये। ©Kusumakar Muralidhar Pant

#kusumakarpant #nojotokavita #hindikavita #IndianArmy #Deshbhakti  वीर की जवानी देखो, इरादा ये तूफानी देखो,
एक एक कर गोली खाते ही चले गये,
बात हो ये जंग की, जवान की उमंग की,
कि लाल लहू में होली मनाते ही चले गये।

दुश्मन को देना दंड था, क्योंकि उसे घमंड था,
छोटे बड़े शत्रु सामने आते ही चले गये,
युद्ध बड़ा भीषण था, हौसलों का परीक्षण था,
भाग सारे अरि दुम दबाते ही चले गये।

द्वन्द्व का ये ताप देखो, वैरी का संताप देखो,
मुंह की खाये सारे लड़खड़ाते ही चले गये,
देश रहे ये महान, हीरों की है ये खान,
जो भी लड़े वो जीत पाते ही चले गये।

भू, जल, आकाश, सभी में है प्रकाश,
देशप्रेम का झंडा लहलाहते ही चले गये,
पदकों की कमी नहीं है, वैरी को ज़मीं नहीं है,
कितने साल आए, कितने जाते ही चले गये।

©Kusumakar Muralidhar Pant

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कितनी ही कोशिश कर ले तू, अकेला ही चलना पड़ेगा, कोई तुझे बुलाने नहीं आने वाला, अकेला आया था अकेला ही जाएगा, भले ही तूने तय किए हों मजमे कई, सब यहीं रह जाएगा, दोस्ती यारी रिश्तेदार सब, बस तुझे आहुति देंगे, तेरे अंतिम क्षणों में, 2-4 दिन तुझे याद कर लेंगे, यही जीवन की रीत है प्यारे, अपना खून ही मुखाग्नि देगा, अपने संस्कार और पुण्य, ही छोड़ जाएगा तू यहाँ, और जन्म लेगा तू कहीं और, फिर से ज़िंदा होने के लिए! ©Kusumakar Muralidhar Pant

#kusumakarkavya #kusumakarpant #hindikavita #nojohindi #nojotosad  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कितनी ही कोशिश कर ले तू,
अकेला ही चलना पड़ेगा,
कोई तुझे बुलाने नहीं आने वाला,
अकेला आया था अकेला ही जाएगा,
भले ही तूने तय किए हों मजमे कई,
सब यहीं रह जाएगा,
दोस्ती यारी रिश्तेदार सब,
बस तुझे आहुति देंगे,
तेरे अंतिम क्षणों में,
2-4 दिन तुझे याद कर लेंगे,
यही जीवन की रीत है प्यारे,
अपना खून ही मुखाग्नि देगा,
अपने संस्कार और पुण्य,
ही छोड़ जाएगा तू यहाँ,
और जन्म लेगा तू कहीं और,
फिर से ज़िंदा होने के लिए!

©Kusumakar Muralidhar Pant

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16 Love

क्या तुम्हारा ये नए साल का जश्न, भर सकता है उस आदमी के घर का राशन, जिसे तुमने गरीब कहकर, कल दिया था दस रूपए का नोट, जिससे वो एक वक़्त का भी नहीं, कर सकता है चाय नाश्ता, क्या तुम्हारा ये उत्सव दूर कर सकता है, उस बच्ची की गरीबी जो फुटपाथ पर, खाली पेट सोई है चार दिन से, कर रही है करतब रस्सी पर, ताकि उसके परिवार को मिल सके, एक वक़्त की रोटी और सब्ज़ी, क्या तुम्हारी ये लम्बी महंगी गाडी, दे सकती है एक रात की छत उसको, जिसने पैदा होने के बाद से अब तक, छत किसे कहते हैं आज तक नहींं देखा, क्या तुम्हारे ये नाना प्रकार के ये पकवान, मिटा सकते हैं उस आदमी की भूख, जो सिर्फ पानी पर ज़िंदा है, क्या कोई कृष्ण बनकर, दरिद्रता दूर कर सकता है हर सुदामा की, इस कलियुग में त्राण देकर, तो फिर आप एक गरीब की मदद का संकल्प लें, इस साल और कोई अपने से, कोरे झूठे वादे नहीं बस! ©Rangmanch Bharat

#Newyear2025 #SAD  क्या तुम्हारा ये नए साल का जश्न,
भर सकता है उस आदमी के घर का राशन,
जिसे तुमने गरीब कहकर,
कल दिया था दस रूपए का नोट,
जिससे वो एक वक़्त का भी नहीं,
कर सकता है चाय नाश्ता,
क्या तुम्हारा ये उत्सव दूर कर सकता है,
उस बच्ची की गरीबी जो फुटपाथ पर,
खाली पेट सोई है चार दिन से,
कर रही है करतब रस्सी पर,
ताकि उसके परिवार को मिल सके,
एक वक़्त की रोटी और सब्ज़ी,
क्या तुम्हारी ये लम्बी महंगी गाडी,
दे सकती है एक रात की छत उसको,
जिसने पैदा होने के बाद से अब तक,
छत किसे कहते हैं आज तक नहींं देखा,
क्या तुम्हारे ये नाना प्रकार के ये पकवान,
मिटा सकते हैं उस आदमी की भूख,
जो सिर्फ पानी पर ज़िंदा है,
क्या कोई कृष्ण बनकर,
दरिद्रता दूर कर सकता है हर सुदामा की,
इस कलियुग में त्राण देकर,
तो फिर आप एक गरीब की मदद का संकल्प लें,
इस साल और कोई अपने से,
कोरे झूठे वादे नहीं बस!

©Rangmanch Bharat

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16 Love

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