क्या तुम्हारा ये नए साल का जश्न, भर सकता है उस आदम | हिंदी Sad

"क्या तुम्हारा ये नए साल का जश्न, भर सकता है उस आदमी के घर का राशन, जिसे तुमने गरीब कहकर, कल दिया था दस रूपए का नोट, जिससे वो एक वक़्त का भी नहीं, कर सकता है चाय नाश्ता, क्या तुम्हारा ये उत्सव दूर कर सकता है, उस बच्ची की गरीबी जो फुटपाथ पर, खाली पेट सोई है चार दिन से, कर रही है करतब रस्सी पर, ताकि उसके परिवार को मिल सके, एक वक़्त की रोटी और सब्ज़ी, क्या तुम्हारी ये लम्बी महंगी गाडी, दे सकती है एक रात की छत उसको, जिसने पैदा होने के बाद से अब तक, छत किसे कहते हैं आज तक नहींं देखा, क्या तुम्हारे ये नाना प्रकार के ये पकवान, मिटा सकते हैं उस आदमी की भूख, जो सिर्फ पानी पर ज़िंदा है, क्या कोई कृष्ण बनकर, दरिद्रता दूर कर सकता है हर सुदामा की, इस कलियुग में त्राण देकर, तो फिर आप एक गरीब की मदद का संकल्प लें, इस साल और कोई अपने से, कोरे झूठे वादे नहीं बस! ©Rangmanch Bharat"

 क्या तुम्हारा ये नए साल का जश्न,
भर सकता है उस आदमी के घर का राशन,
जिसे तुमने गरीब कहकर,
कल दिया था दस रूपए का नोट,
जिससे वो एक वक़्त का भी नहीं,
कर सकता है चाय नाश्ता,
क्या तुम्हारा ये उत्सव दूर कर सकता है,
उस बच्ची की गरीबी जो फुटपाथ पर,
खाली पेट सोई है चार दिन से,
कर रही है करतब रस्सी पर,
ताकि उसके परिवार को मिल सके,
एक वक़्त की रोटी और सब्ज़ी,
क्या तुम्हारी ये लम्बी महंगी गाडी,
दे सकती है एक रात की छत उसको,
जिसने पैदा होने के बाद से अब तक,
छत किसे कहते हैं आज तक नहींं देखा,
क्या तुम्हारे ये नाना प्रकार के ये पकवान,
मिटा सकते हैं उस आदमी की भूख,
जो सिर्फ पानी पर ज़िंदा है,
क्या कोई कृष्ण बनकर,
दरिद्रता दूर कर सकता है हर सुदामा की,
इस कलियुग में त्राण देकर,
तो फिर आप एक गरीब की मदद का संकल्प लें,
इस साल और कोई अपने से,
कोरे झूठे वादे नहीं बस!

©Rangmanch Bharat

क्या तुम्हारा ये नए साल का जश्न, भर सकता है उस आदमी के घर का राशन, जिसे तुमने गरीब कहकर, कल दिया था दस रूपए का नोट, जिससे वो एक वक़्त का भी नहीं, कर सकता है चाय नाश्ता, क्या तुम्हारा ये उत्सव दूर कर सकता है, उस बच्ची की गरीबी जो फुटपाथ पर, खाली पेट सोई है चार दिन से, कर रही है करतब रस्सी पर, ताकि उसके परिवार को मिल सके, एक वक़्त की रोटी और सब्ज़ी, क्या तुम्हारी ये लम्बी महंगी गाडी, दे सकती है एक रात की छत उसको, जिसने पैदा होने के बाद से अब तक, छत किसे कहते हैं आज तक नहींं देखा, क्या तुम्हारे ये नाना प्रकार के ये पकवान, मिटा सकते हैं उस आदमी की भूख, जो सिर्फ पानी पर ज़िंदा है, क्या कोई कृष्ण बनकर, दरिद्रता दूर कर सकता है हर सुदामा की, इस कलियुग में त्राण देकर, तो फिर आप एक गरीब की मदद का संकल्प लें, इस साल और कोई अपने से, कोरे झूठे वादे नहीं बस! ©Rangmanch Bharat

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