dear तुम,
सच कहूँ तो तुम हमेशा से मेरी पहली प्रेयसी रही हो,
किन्तु मैं चाहता कि मेरी अंतिम प्रेयसी का खिताब तुम्हें मिले,
मेरी लिखी कविताओं में जिन बड़ी आँखों के ज़िक्र हैं,
जरूरी नही की वो आँखें तुम्हारे पास हो,
शायद तुम्हारी आंखे मेरी कही प्रेयसी से छोटी हो,
पर तुम मुझे प्रेम मेरे लिखे सारे खतों से कहीं ज्यादा करना,
अंतिम सांस तक मेरी, बोलो करोगी ना,
मेरे भीतर की उहापोह को समाप्त सिर्फ तुम्हारा समर्पण ही कर सकता है,
मैं तो पाषाण हुआ जाता हूँ तुम्हारे इंतज़ार में,
इस इंतज़ार का अंत कब करोगी तुम,
कब मिलेगी मुझे तुम्हारी गुनगुनी हथेलियों की थपकी,
तुम्हारी गोद की नींद और तुम्हारा स्नेह मेरे अंदर मौजूद मर चुके मेरे बचपने को,
मेरे हर एक सवाल का जवाब हो तुम मैं जीवंत हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए।
जाते जाते बस ये कहूंगा कि
"मेरे हिस्से में जब लिखा जाएगा तुम्हें
मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत लम्हा होगा वो"
तुम्हारे इंतज़ार में।।
तुम्हारा - मै
-कृष्णामरेश
©Amresh Krishna
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