इज़हार मैं बनारस का घाट हूँ
तुम किनारा बनोगी क्या ??
मैं एक खुला आसमां हूँ
तुम चांद बनोगी क्या ??
मैं मांगू जिसे दुआ में
तुम मेरी वो मन्नत बनोगी क्या ??
माना बहुत खामियां हैं मेरे अन्दर
अपने प्यार से उन खामियों को भर पाओगी क्या ??
ये हीर रांझा तो जुदाई के किस्से हैं
तुम मिलन की किताब मेरे साथ लिखोगी क्या ??
मेरी किस्मत जिससे आबाद हो जाए
तुम मेरे हाथों की वो लकीर बनोगी क्या ??
लो कर दिया मैंने अपने इश्क़ का इज़हार
अब तुम बताओ इस शायर की शायरी बनोगी क्या ??
-कृष्णामरेश
©Amresh Krishna
#dilkibaat