Shailendra Anand

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White रचना दिनांक 24।जनवरी। 2025 वार शुक्रवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ् ्निज विचार ््भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ्मन को शांति दे और मुमकिन हो, प्यारा सा जीवन में प्रयास ही, जिंदगी का आनंद ही जिंदगी है््् ्््् विद, से विद्वता और ज्ञान से दर्शन,, और प्रेम से अन्तर्मन,मनविशाद से, विषग्रंथि विषगरल समान रूप है।1। काया माया मोह ््मद से जलरंहा, सत तज दी करम से अपनी, रूह मे दो चार,।2। गुणवत्ता से परिपूर्ण बोद्धिसत्व, किर्ति फैलाते हैबुध्दमं शरमं गच्छामि।3। भाव पुजा अर्चना है ज्ञान रस दर्शन हैं, कर्म पुजा करने वाले अच्छे लगते है।4। जय जिनेन्द्र जय महावीर ने , सत्य अहिंसा परमो धर्म , कर्म गीता परम पूज्य है।5। यही मानव धर्म विचार सच है,, प्रेम शब्द से जन्मा आत्म मंथन, चिन्तन में एक स्वर पुकार है।6। ् कवि शैलेंद्र आनंद ् 24,, जनवरी 2025,3 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White रचना दिनांक 24।जनवरी।  2025
वार शुक्रवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ्
्निज विचार ््भावचित्र ्
   ्निज विचार ्
       ्शीर्षक ्
्मन को शांति दे और मुमकिन हो,
 प्यारा सा जीवन में प्रयास ही,
 जिंदगी का आनंद ही जिंदगी है्््
        ््््
विद, से विद्वता और ज्ञान से दर्शन,,
 और प्रेम से अन्तर्मन,मनविशाद से,
 विषग्रंथि विषगरल समान रूप है।1।
काया माया मोह ््मद से जलरंहा,
सत तज दी करम से अपनी,
रूह मे दो चार,।2।
 गुणवत्ता से परिपूर्ण बोद्धिसत्व,
किर्ति फैलाते हैबुध्दमं शरमं गच्छामि।3।
भाव पुजा अर्चना है ज्ञान रस दर्शन हैं,
कर्म पुजा करने वाले अच्छे लगते है।4।
जय जिनेन्द्र जय महावीर ने ,
सत्य अहिंसा परमो धर्म ,
कर्म गीता परम पूज्य है।5।
यही मानव धर्म विचार सच है,,
प्रेम शब्द से जन्मा आत्म मंथन,
 चिन्तन में एक स्वर पुकार है।6।
       ् कवि शैलेंद्र आनंद ्
24,, जनवरी 2025,3

©Shailendra Anand

#sad_quotes मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स कवि शैलेंद्र आनंद

19 Love

रचना दिनांक 23। जनवरी 2025 वार गुरुवार समय सुबह। पांच बजे ्शीर्षक ् ््लेखक कवि गजलकार में लेखन स्वतंत्रता सेनानी है,, वह किसी का गुलाम नहीं है भविष्य वर्तमान भूतकाल का भूत भविष्य वर्तमान है , जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि यही मेरी कामना उत्साह उमंग उमड़ पड़ा है , यही कवि शैलेंद्र आनंद है ््््भावचित्र ् ् निज विचार ् लेखक ,कवि ,शायर ,ग़ज़ल, नज़्म, अल्फाज़, नगीना, होते हैं,, वह तराशता है, दिलो से लहु की तपिश से जलकर खाक हो गया।1। खुद से खूद में खोकर सपनो को जलाकर तापने वाला अपना जीवन के लम्हे को आंखों की तश्तरी में ,, अक्स से मोती को लालस्याही में पिरोकर अजय अमर प्रेम उजाला वह अदभुत लम्हे को लिख डाला।2। जो किसी राजव्यवस्था की गुलामी से कम नहीं है,, लेकिन वह खुद अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर देख रहा है ।3। परतंत्र और आजाद उन्मुक्त अभिव्यक्ति अनुवाद से गध्य पद पर ख्यालात रखना,, और अपने स्तर पर शासन और प्रशासन देश और विदेश में आंखें डालकर बात लिखी जाना किसी मोत के मयत्सर से कम नहीं था।4। वाकया यही नहीं ठहरता है लेखक कवि का आयना नज़रिया जिस्म पर जिंदगी के कोड़े इतने बरसाय के वे,, फिर आगे कभी लिखने का दूस्साहस भी इन्सानी हक से ना कर पाय।5। मगर ख्याल रखना सिर्फ कवि शायर ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना लिखने वाले आत्ममंथन करना आवश्यक है,, कवि शैलेंद्र आनंद एक जीवंत पीड़ा एक लेखक कवि गजलकार व्यथा कथा दूर्र दशा पर चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार लिखूं।6। प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है,, यही मेरी स्वरचित रचनाएं में आंखों का सूक्ष्म नयन अश्रुजल बह निकले, ध्वनि तरंगों से जन्मा विचार सच में तेरे ख्यालों की पीडा का एक सरस्वती पूत्र का आयना नज़रिया लिख दिया गया।7। एक हिन्दूस्तानी लेखक कवि शैलेंद्र आनंद प्रेम जो जीना सिखाता है ,, सच्चा धर्मगुरु जीवन हो राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है संविधान मेरा धर्म कर्म है।8। ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 23 जनवरी 2025 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक 23। जनवरी 2025
वार  गुरुवार 
समय सुबह। पांच बजे
्शीर्षक ्
््लेखक कवि गजलकार में लेखन स्वतंत्रता सेनानी है,,
वह किसी का गुलाम नहीं है भविष्य वर्तमान भूतकाल का भूत भविष्य वर्तमान है ,
जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि यही मेरी कामना उत्साह उमंग उमड़ पड़ा है ,
यही कवि शैलेंद्र आनंद है ््््भावचित्र ्
        ् निज विचार ्
लेखक ,कवि ,शायर ,ग़ज़ल, नज़्म, अल्फाज़, नगीना, होते हैं,,
 वह तराशता है, दिलो से लहु की तपिश से जलकर खाक हो गया।1।
 खुद से खूद में खोकर सपनो को जलाकर तापने वाला अपना जीवन के लम्हे को आंखों की तश्तरी में ,,
अक्स से  मोती को लालस्याही  में पिरोकर अजय अमर प्रेम उजाला वह अदभुत लम्हे को लिख डाला।2।
 जो किसी राजव्यवस्था की गुलामी से कम नहीं है,,
 लेकिन वह खुद अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर देख रहा है ।3।
परतंत्र और आजाद उन्मुक्त अभिव्यक्ति अनुवाद से गध्य पद पर ख्यालात रखना,,
 और अपने स्तर पर शासन और प्रशासन देश और विदेश में आंखें डालकर बात लिखी जाना
 किसी मोत के मयत्सर से कम नहीं था।4।
वाकया यही नहीं ठहरता है लेखक कवि का आयना नज़रिया जिस्म पर जिंदगी के कोड़े इतने बरसाय के वे,,
 फिर आगे कभी लिखने का दूस्साहस भी इन्सानी हक से ना कर पाय।5।
 मगर ख्याल रखना सिर्फ कवि शायर ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना लिखने वाले आत्ममंथन करना आवश्यक है,,
कवि शैलेंद्र आनंद एक जीवंत पीड़ा एक लेखक कवि गजलकार व्यथा कथा दूर्र दशा पर चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार लिखूं।6।
 प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है,,
 यही मेरी स्वरचित रचनाएं में आंखों का सूक्ष्म नयन अश्रुजल बह निकले,
 ध्वनि तरंगों से जन्मा विचार सच में तेरे ख्यालों की पीडा का एक सरस्वती पूत्र का आयना नज़रिया लिख दिया गया।7। 
एक हिन्दूस्तानी लेखक कवि शैलेंद्र आनंद प्रेम जो जीना सिखाता है ,,
सच्चा धर्मगुरु जीवन हो राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है संविधान मेरा धर्म कर्म है।8।
          ्कवि शैलेंद्र आनंद ्
23  जनवरी 2025

©Shailendra Anand

मोटिवेशनल कोट्स हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस कवि शैलेंद्र आनंद

21 Love

White रचना दिनांक 22 जनवरी 2025,, वार बुधवार समय सुबह छह बजे ््भावचित्र ् ्््निज विचार ् ्््छाया चित्र में नीले अम्बर में एक सुन्दर छबि सुकुमार दृश्य विचार दृष्टिकोण में एक मानस को पढ़कर अभ्यास से संघर्षरत पुस्तक में रखी गई तस्वीर में नजर आते दिखाई दे रहा है ््् शिक्षा दीक्षा संस्कार शिक्षण मानस में नजर आएंगे कथा और कथानक में साहित्य और संस्कृति से कला और दर्शन में , एक सुन्दर सा जीवन फूलों से भी नाजुक सा जीवन सफल हो। जो भी व्यक्ति को राह दिखाने वाले इस संदेश में,, मन की सुन्दरता से ही आनंद दे सकता है, लेकिन इस बार मैंने अपने आप में एक मनो दर्शन भावचित्र में उकेरते हुए, मन का स्व आन्दोलन से चेतना आ रही है।। प्रेम शब्द ही जिंदगी है। ऊं कार से द्वन्द्वात्मकता रचित शब्द सूर में,, एकाकार हो प्यारा सा एकात्मकता समरुपता ऐकेश्वरवाद से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें।। अंनत आख्यान संहिता दर्शन मन दर्पण प्रेम दर्शन करने वाले अच्छे लगते है , ्भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ्् ,,माया जींव अंश है ईश कृपा विधान से कर्म भूमि पर जातक कर्म विधान है मृत्यु ् लोक में भ़मण करें दो शब्द से ् लाचार है ्् ,घर,आंगन, माया,गोचर,लग्न, जेहि सब कुछ भाग्य सुफल मनोरथ, सिद्ध पूर्ण योग साधना प्रधान है ।1। तपबल , ,बाहूबल साध्य साधक, साधना प्रकृति से प्रेम करना ही जिंदगी है।2। परम ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण किर्ति से ,, पूर्ण लोक योगसमाधि मोक्ष कारकं।3। दिव्य चक्षु से खुल गई ब़म्हाण्डभ़कूटि साध्य साधक साधना में , ,गुरुणा ,करुणा, मंत्रणा ,, सिद्ध मंत्र शक्ति ,दिव्यता ,कोटीश्यं नमन ।4। दो शब्द है प्रेम ,भाव,जग,मग,माया, सूर,नर,नाद,राग,लय, मैं स्वर सरस्वती पूत्र हूं।5। आनंद है मेरा काज है,, ऐं ध्वनि शंखनाद नाद से।6। प्रेम शब्द से निकला जींव म्हारो,, प्राणतत्व ही पंचतत्व से बना।7। यह जग मग माया मोह ््मद का संसार है,, अजीब गरीब और महान है, जो धरती पर साकार है ,, और परलोक में निर्राकार है ।8। ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 22 जनवरी 2025 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #GoodNight  White रचना दिनांक  22 जनवरी  2025,,
वार   बुधवार
समय  सुबह  छह  बजे
््भावचित्र ्
     ्््निज विचार ्
्््छाया चित्र में नीले अम्बर में एक सुन्दर छबि सुकुमार दृश्य विचार दृष्टिकोण में 
एक मानस को पढ़कर अभ्यास से संघर्षरत पुस्तक में 
रखी गई तस्वीर में नजर आते दिखाई दे रहा है ्््
शिक्षा दीक्षा संस्कार शिक्षण मानस में नजर आएंगे कथा और
कथानक में साहित्य और संस्कृति से कला और दर्शन में ,
एक सुन्दर सा जीवन फूलों से भी नाजुक सा जीवन सफल हो।
 जो भी व्यक्ति को राह दिखाने वाले इस संदेश में,,
 मन की सुन्दरता से ही आनंद दे सकता है, लेकिन इस बार
मैंने अपने आप में एक मनो दर्शन भावचित्र में उकेरते हुए,
 मन का स्व आन्दोलन से चेतना आ रही है।।
 प्रेम शब्द ही जिंदगी है। 
ऊं कार से  द्वन्द्वात्मकता रचित शब्द सूर में,,
 एकाकार हो प्यारा सा एकात्मकता समरुपता ऐकेश्वरवाद से सजाया गया  जिसे हम अनुसरण करें।।
 अंनत आख्यान संहिता दर्शन मन दर्पण प्रेम दर्शन करने वाले अच्छे लगते है ,
्भावचित्र ्
     ्निज विचार ्
          ्शीर्षक ्
     ्् ,,माया जींव अंश है ईश कृपा विधान से
        कर्म भूमि पर जातक कर्म विधान है
            मृत्यु      ् लोक में भ़मण करें
        दो शब्द से   ् लाचार है ््
,घर,आंगन, माया,गोचर,लग्न,
जेहि सब कुछ भाग्य सुफल मनोरथ,
 सिद्ध पूर्ण योग साधना प्रधान है ।1।
तपबल , ,बाहूबल साध्य साधक,
साधना प्रकृति से प्रेम करना ही जिंदगी है।2।
परम ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण किर्ति से ,,
पूर्ण लोक योगसमाधि मोक्ष कारकं।3।
 दिव्य चक्षु से खुल गई ब़म्हाण्डभ़कूटि साध्य साधक साधना में ,
,गुरुणा ,करुणा, मंत्रणा ,,
सिद्ध मंत्र शक्ति ,दिव्यता ,कोटीश्यं नमन ।4।
दो शब्द है प्रेम ,भाव,जग,मग,माया,
सूर,नर,नाद,राग,लय, 
मैं स्वर सरस्वती पूत्र हूं।5। 
आनंद है मेरा काज है,,
 ऐं ध्वनि शंखनाद नाद से।6।
प्रेम शब्द से निकला जींव म्हारो,,
 प्राणतत्व ही पंचतत्व से बना।7।
 यह जग मग माया मोह ््मद का संसार है,,
अजीब गरीब और महान है,
 जो धरती पर साकार है ,,
और परलोक में निर्राकार है ।8।
      ्कवि शैलेंद्र आनंद ्
22 जनवरी 2025

©Shailendra Anand

#GoodNight मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस कवि शैलेंद्र आनंद

16 Love

रचना दिनांक 21जनवर 2021 वार मंगलवार समय सुबह पांच बजेपं्भावचित्र ् ् निज विचार ् ् शीर्षक ् ््तेरी तलाश तेरे दर पे, तू कहां है और मैं कौन हूं्् वाह क्या बात है सही मायने में, सच बोल कर ईशवंदना इसी को कहते हैं,।1। ,,सुना है कि तू रज रज कण कण में है,, लेकिन इन्सान भला कैसे समझें, वह नित बवाल लिये खड़ा है।2। ना मालूम है वो लफ्जो से, भावना से कहां खड़ा है,, रोजी रोटी काम काज में, निरन्तर युद्ध छिड़ा है।3। घर घर में तैयार वयस्क युवा जगत और किशोरी रोजगार में ,, सर्वहारा पुनर्जागरण काल में, सत्य कोण में संघर्षरत हैं।4। कौम, जाति, धर्म, भाषा, नहीं होती जींव में,, वो निरन्तर अबोध अर्ध मानस से जीता जागता उदाहरण है।5। कर्मशील सजग प्रहरी, कर्म में जीता और मरता है,।6। उसका कोई नाम नहीं रिश्ता नहीं, जिसमें परिवर्तन का कोई मतलब नहीं है।7। क्योंकि उसकी धड़कनों में, जो रचता है वो बसता है।8। तभी तो सबसे अलग अलग गुणों में, जींवो में जीता जागता,जिन्न ,आत्मा ,प्राणतत्व, पंचतत्व, से बना ,, आकार ,प्रकार, निराकार,साकार,में प्राण वायु प्रतिष्ठित है।9। यही सही समय, वक्त का,काल परिवेश , का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम और बिछोह, प्यार का रिश्ता , अनमोल मृत्यु काल ही ,, आनंद का तकल्लुफ आनंद मोक्ष कारकं दिव्य चक्षु है।10। ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 21 जनवरी 2025 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक 21जनवर 2021
वार मंगलवार
समय सुबह पांच बजेपं्भावचित्र ्
         ् निज विचार ्
           ् शीर्षक ्
          ््तेरी तलाश तेरे दर पे,
       तू कहां है और मैं कौन हूं््
वाह क्या बात है सही मायने में,
सच बोल कर ईशवंदना इसी को कहते हैं,।1।
,,सुना है कि तू रज रज कण कण में है,,
लेकिन इन्सान भला कैसे समझें,
वह नित बवाल लिये खड़ा है।2।
ना मालूम है वो लफ्जो से,
 भावना से कहां खड़ा है,,
रोजी रोटी काम काज में,
 निरन्तर युद्ध छिड़ा है।3।
घर घर में तैयार वयस्क युवा जगत और
 किशोरी रोजगार में ,,
सर्वहारा पुनर्जागरण काल में,
 सत्य कोण में संघर्षरत हैं।4।
कौम, जाति, धर्म, भाषा, नहीं होती
जींव में,,
 वो निरन्तर अबोध अर्ध मानस से 
जीता जागता उदाहरण है।5।
कर्मशील सजग प्रहरी,
 कर्म में जीता और मरता है,।6।
उसका कोई नाम नहीं रिश्ता नहीं,
जिसमें परिवर्तन का कोई मतलब नहीं है।7।
क्योंकि उसकी धड़कनों में,
 जो रचता है वो बसता है।8।
तभी तो सबसे अलग अलग गुणों में,
 जींवो में जीता जागता,जिन्न ,आत्मा ,प्राणतत्व, पंचतत्व, से बना ,,
आकार ,प्रकार, निराकार,साकार,में प्राण वायु प्रतिष्ठित है।9।
यही सही समय, वक्त का,काल परिवेश ,
का आयना नज़रिया सहज महज़
 प्रेम और बिछोह, प्यार का रिश्ता ,
अनमोल मृत्यु काल ही ,,
आनंद का तकल्लुफ आनंद 
मोक्ष कारकं दिव्य चक्षु है।10।   
          ्कवि शैलेंद्र आनंद ्
21 जनवरी 2025

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19 Love

White रचना दिनांक। 20,जनवरी। 2025 वार। सोमवार समय सुबह। पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ्अध्यात्मिक रोग अक्षय प्राण उपचार है ् पंचतत्व ही में प्राण वायु है, यंत्र मंत्र तंत्र ही आनंद का सार है।1। ध्वनि,स्वर,शिरा में परब़ंम्ह है, काया माया मोह ््मद का, सकल जगत का प्रमाण है। 2। ईश प्राप्ति हेतु सेतुबंध में, केतु ,राहू , नक्षत्र , काल घटी, पल,क्षण में परिवर्तित हो जाता है ,, दोष कालसर्प योग साधना में जप करें, शुभप्रद परिणाम प्राप्त होते मृत्यु भयनाश है।3। अकाल मृत्यु सम निदान है ,, शिव सोमनाथ रोग अक्षय उपचार है।4। भस्म धारण हदयतंत्र में, मुंख, ललाट पर, शोभित तिलकं शिव अर्चन मंत्र सोमनाथ है।5। आनंद भोग अन्नपूरणेश्वरी देवीभ्यो नमः, पेट रोग अक्षय उपचार है।6। जल,भस्म, वनस्पति में, आयुर्वेद विज्ञान है ज्ञान का, दर्शन योगाभ्यास से हररोग का उपचार है।7। सरल, सहज ,महज़ ,प्रेम रस , आनंद सार है,, जीव दया मानव धर्म है समभाव निष्ठ है।8। विचार ऐकत्व एकमेव निर्राकार है, शिव अर्चन मंत्र सोमनाथ ही, आनंद कंद मूल फल प्राणतत्व है।9। ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 20। जनवरी। 2025 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #sad_qoute  White रचना दिनांक। 20,जनवरी। 2025
वार।    सोमवार 
समय   सुबह।   पांच  बजे  
््भावचित्र ््
््निज विचार ््        ्भावचित्र ्
            ्निज विचार ्
           ्शीर्षक ्
        ्अध्यात्मिक रोग अक्षय प्राण उपचार है ्
पंचतत्व ही में प्राण वायु है, 
यंत्र मंत्र तंत्र ही आनंद का सार है।1।
ध्वनि,स्वर,शिरा में परब़ंम्ह है,
काया माया मोह ््मद का,
सकल जगत का प्रमाण है। 2।
ईश प्राप्ति हेतु सेतुबंध में,
 केतु ,राहू , नक्षत्र , काल  घटी,
पल,क्षण में परिवर्तित हो जाता है ,,
दोष कालसर्प योग साधना में जप करें,
शुभप्रद परिणाम प्राप्त होते मृत्यु भयनाश  है।3।
अकाल मृत्यु सम निदान है ,,
शिव सोमनाथ रोग अक्षय उपचार है।4।
भस्म धारण हदयतंत्र में,
मुंख, ललाट पर, शोभित तिलकं
शिव अर्चन मंत्र सोमनाथ है।5।
आनंद भोग अन्नपूरणेश्वरी देवीभ्यो नमः,
 पेट रोग अक्षय उपचार है।6।
जल,भस्म, वनस्पति में,
आयुर्वेद विज्ञान है ज्ञान का,
दर्शन योगाभ्यास से हररोग का उपचार है।7।
सरल, सहज ,महज़ ,प्रेम रस , आनंद सार है,,
जीव दया मानव धर्म है समभाव निष्ठ है।8।
विचार ऐकत्व एकमेव निर्राकार है,
शिव अर्चन मंत्र सोमनाथ ही,
आनंद कंद मूल फल प्राणतत्व है।9।
           ्कवि शैलेंद्र आनंद ्
20। जनवरी। 2025

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18 Love

रचना दिनांक। 19 जनवरी 2025 वार रविवार समय सुबह दस बजे ््भाव चित्र ्् ्निज विचार ् छाया चित्र में कला संस्कृति में नभमण्डल में नक्षत्रों में तारे सितारे झिलमिलाते, नीले आकाश में टिमटिमाते तारे रात की रौशनी में दुबका हुआ,, चांद अमावस्या से अपनी रूह में वक्त का इन्तजार में, एक घड़ी आधी घड़ी विलक्षण प्रतिभा अनमोल है। तो देश दुनिया ही नही जहां जींव जीवाश्म से मिले, वायुमंडल में गैसीय ,और रसायनिक पदार्थ, हथियार,का परीक्षण ,, और प्रमाणन एवं स्वास्थ्य की दृष्टि और विश्व में सबसे अधिक प्रभावित होता हुआ ।। पर्यावरण और प्रदूषण पर चिंतित हैं,जनमानस में खगोलीय घटनाएं से आहत ना हो ऐसे अनेक अनेकानेक शोध और अनुसंधान संस्थान में ,, मानसिक सम्प्रेषण से वातावरण में मामुल चुल परिवर्तन शील आ कस्मिक घटनाओं से पुर्वानुमान और पुर्वाअभ्यास और अपने मुस्तैद रहते हुए,।। वैज्ञानिकों का प्रयोगधर्मी रिसर्च से सामने आये निष्कर्ष पर पहुंचा, तो दुनिया में अमन चैन शांति से जन्मा विचार ही , सुन्दर छबि मनोमय नरोत्तम उत्तमशक्ति परमपुरुष परमात्मा ने,, अदभुत झलकियां हकीकत शक्ति दिव्यता प्रदान करने वाले, आकाशगंगा में एक जीवंत कलाकृति बनाने वाले, आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 19 जनवरी 2025 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक।  19  जनवरी 2025
वार रविवार
समय सुबह दस बजे
््भाव चित्र ््
्निज विचार ्
छाया चित्र में कला संस्कृति में नभमण्डल में नक्षत्रों में तारे सितारे झिलमिलाते,
 नीले आकाश में टिमटिमाते तारे रात की रौशनी में दुबका हुआ,,
 चांद अमावस्या से अपनी रूह में वक्त का इन्तजार में,
 एक घड़ी आधी घड़ी विलक्षण प्रतिभा अनमोल है।
 तो देश दुनिया ही नही जहां जींव जीवाश्म से मिले,
 वायुमंडल में गैसीय ,और रसायनिक पदार्थ, हथियार,का परीक्षण ,,
और प्रमाणन एवं स्वास्थ्य की दृष्टि और विश्व में सबसे अधिक प्रभावित होता हुआ ।।
पर्यावरण और प्रदूषण पर चिंतित हैं,जनमानस में खगोलीय घटनाएं से आहत ना हो 
ऐसे अनेक अनेकानेक शोध और अनुसंधान संस्थान में ,,
मानसिक सम्प्रेषण से वातावरण में मामुल चुल परिवर्तन शील आ
कस्मिक घटनाओं से पुर्वानुमान और पुर्वाअभ्यास और अपने मुस्तैद रहते हुए,।।
 वैज्ञानिकों का प्रयोगधर्मी रिसर्च से सामने आये निष्कर्ष पर पहुंचा,
 तो दुनिया में अमन चैन शांति से जन्मा विचार ही ,
सुन्दर छबि मनोमय नरोत्तम उत्तमशक्ति परमपुरुष परमात्मा ने,,
 अदभुत झलकियां हकीकत शक्ति दिव्यता प्रदान करने वाले,
 आकाशगंगा में एक जीवंत कलाकृति बनाने वाले,
 आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
19 जनवरी 2025

©Shailendra Anand

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