Shailendra Anand

Shailendra Anand

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

White रचना दिनांक,25 12 2024, वार,, बुधवार समय सुबह पांच बजे ्भावचित्र ् ््निज विचार ् ््शीर्षक ्् ््श्रद्धा से याद करते हैं ईसा मसीह को क़िसमस, है जन्म दिवसोत्सव ्् ्मां मरियम जकारिया से सजाया है ईसा से मानव जीवन पर शांति और, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले ही समाज में सभ्यता को राह दिखाने वाले प्रभु यीशु ने ,, स्वैच्छिक रूप से जीवन व्यतीत करने की शिक्षा दीक्षा देने वाले ज्ञान दर्शन का सृजन से हवा में उड़ रही रोग निवारण शक्ति पूंज से तमाम लोग की अदृश्य शक्ति दिव्यता से अपनी रूह से रूह में खोकर दर असल जिंदगी में मानवीय मूल्यों पर आधारित सेवा मानव धर्म का सार ही सुन्दर दर्शन करने वाले।। इंसान को पढ़कर अभ्यास से संघर्षरत अपनी जीवन यात्रा में संघर्ष रत हो कर अन्याय के खिलाफ अपने प्राण त्याग कर देने वाले ईसा मसीह ने पहले इन्सान को इन्सान बनाया है,, सच तो सच ईमान से जन्मा आत्म मंथन ,चिन्तन मनन विचार दर्शन, सकल जगत व्यक्त आस्था प्रकट विमर्श से जन्मा आत्म मंथन चिन्तन वार्ता से है ,,।। जो धरती पर साकार लोक में अमृत कलश जो मानवता पर कल्याण किया गया है ,, ईश प्रेयर करते हुए प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक ईसाई पादरी चर्च में प्रेयर करते हुए, जीवन मुल्यो का सार आदर्श जन जीवन में उनके मुल्यो का सार सेवा मानव धर्म कर्म है।। जिन्होंने अपने विचार के लिए सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र उपाय से, शोषण अन्याय दूंष्चक़ से किसी भी इन्सानी हक को छीनने वाले को, मानवता के खिलाफ आचरण करने वाले इस पैगाम के लिए खिलाफ संघर्षरत रहे।। यही सही और सटीक कल्पना ही जिंदगी में , ईसा मसीह ने ईश्वर सत्य और असत्य के लिए एक आदर्श स्थान पर जिंदगी को बेहतर तरीके से, जीवन व्यतीत करने वाले अच्छे ख्यालात रहे ।। यही शुभकामना संदेश क़िसमस पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाय 2024, ््््कवि््शैलेन्द़ आनंद ् 25 दिसम्बर 2024, ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #love_shayari  White रचना दिनांक,25  12 2024,
वार,, बुधवार
समय सुबह पांच बजे
्भावचित्र ्
््निज विचार ्
््शीर्षक ््
््श्रद्धा से याद करते हैं
ईसा मसीह को क़िसमस, है
जन्म दिवसोत्सव ््
्मां मरियम जकारिया से सजाया है ईसा से मानव जीवन पर शांति और,
 अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले ही समाज में सभ्यता को राह दिखाने वाले प्रभु यीशु ने ,,
स्वैच्छिक रूप से जीवन व्यतीत करने की शिक्षा दीक्षा देने वाले ज्ञान दर्शन का सृजन से हवा में उड़ रही रोग निवारण शक्ति पूंज से तमाम लोग की अदृश्य शक्ति दिव्यता से अपनी रूह से रूह में खोकर दर असल जिंदगी में मानवीय मूल्यों पर आधारित सेवा मानव धर्म का सार ही सुन्दर दर्शन करने वाले।। इंसान को पढ़कर अभ्यास से संघर्षरत अपनी जीवन यात्रा में संघर्ष रत हो कर अन्याय के खिलाफ अपने प्राण त्याग कर देने वाले ईसा मसीह ने पहले इन्सान को इन्सान बनाया है,,
सच तो सच ईमान से जन्मा आत्म मंथन ,चिन्तन मनन विचार दर्शन,
सकल जगत व्यक्त आस्था प्रकट विमर्श से जन्मा आत्म मंथन चिन्तन वार्ता से है ,,।।
जो धरती पर साकार लोक में अमृत कलश जो मानवता पर कल्याण किया गया है ,,
ईश प्रेयर करते हुए प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक ईसाई पादरी चर्च में प्रेयर करते हुए,
 जीवन मुल्यो का सार आदर्श जन जीवन में उनके मुल्यो का सार सेवा मानव धर्म कर्म है।।
जिन्होंने अपने विचार के लिए सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र उपाय से,
 शोषण अन्याय दूंष्चक़ से किसी भी इन्सानी हक को छीनने वाले को,
 मानवता के खिलाफ आचरण करने वाले इस पैगाम के लिए खिलाफ संघर्षरत रहे।।
यही सही और सटीक कल्पना ही जिंदगी में ,
ईसा मसीह ने ईश्वर सत्य और असत्य के लिए एक आदर्श स्थान पर जिंदगी को बेहतर तरीके से,
 जीवन व्यतीत करने वाले अच्छे ख्यालात रहे ।।
यही शुभकामना संदेश क़िसमस पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाय 2024,
््््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्
25  दिसम्बर 2024,

©Shailendra Anand

#love_shayari मोटिवेशनल कविता इन हिंदी Extraterrestrial life Entrance examination मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद

12 Love

Unsplash ्रचना दिनांक 24,,12,,2024 वार मंगलवार समय दोपहर ग्यारह बजे भावचित्र ् ्निज विचार ् ््शीर्षक ््् मनुष्य मनुज देह में प्राचीन अर्वाचीन काल से शिक्षा दीक्षा संस्कार कर्म है,, भारत भूमि महान है देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं पितृ तर्पण अर्पण समर्पण भाव वंशानुगत देवत्व नहीं है, यज्ञोपवीत संस्कार विधान में विश्वास रखते हुए जीवन में मनुष्य मनुज देह पर धारण करने का माद्दा रखने की ताकत और विधान है।। मां गायत्रीका अनुष्ठान है,, जो महर्षि विश्वामित्र जी के व्दारा सशरीर मृत्यु लोक से मानव को अपने सर्वस्व धर्म कर्म से स्वर्ग लोक में भेजने का दूस्साहस भी इन्सानी मानस से महर्षि विश्वामित्र जी ने ही किया था।। इस महत्ती भूमिका में नजर आएंगे कथा और कथानक और मनुष्य के कर्म भूमि वर्चस्व कायम का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम नहीं संस्कार परिवार कूल वंश कर्म से ही मिलता है। जब सशरीर मृत्यु के बिना जीवित पहुंचता है तो उसका विरोध कोई ओर नही देवता और अवतार से प्राकट्य देवो देव में विरोधाभास और संघर्ष के पश्चात उस मनुष्य राजन् को स्वर्गलोक से मृत्युलोक की ओर फेंका गया है, तब महर्षि विश्वामित्र जी ने तीसरे लोक का सृजन का संकल्प लिया और नयी सृष्टि सजृन का निर्माण कार्य करने वाले को राह दिखाने का आयना मजमा लगाकर देव,दानव, के पश्चात अलग सृष्टि में नारि फल प्राप्त नारियल पानी में मानवीय सरोकार सृजन का स्वप्न साकार लोक में लाया गया है, उनके अनुसार प्रयोग प्रयास से हड़कंप मच गया था संसार जगत में। तब महर्षि विश्वामित्र जी ने मां गायत्री मंत्र शक्ति दिव्यता सृजन और यज्ञोपवीत संस्कार का सृजनात्मक शक्ति दिव्यता प्रदान करने का विधान बनाया गया था।। इसके विधान और नियम निम्नानुसार है ्् यह कार्यक्रम में मृत्यु लोक में मनुष्य मनुज को अपने व्यक्तिगत रूप से जीवन व्यतीत करने में मदद मिलेगी स्थिति अनुरूप कामकाज वातावरण के अनुसार दर्शन यज्ञोपवीत संस्कार को , उपनयन संस्कार भी कहा जाता है जो बाल्यावस्था में ही शिक्षा दीक्षा संस्कार शिक्षण संस्थान गुरुकुल में अध्ययन रत विद्यार्थियों को उपनयन संस्कार किया जाता रहा है जिसमें वेद वेदान्त दर्शन और कर्मकांड पूजन सनातन विचार सच का सबक सिखाना जाता था, और आगे बढ़ कर जप तप नेम नियम और शर्तें गोपनीयता गुरु गुरुवर्य आराध्यमं पुज्यं बृहस्पति श्रद्धा से सम्मान जरुरी है।। इसमें साधक साधना प्रकृति से प्रेम करने वाले ब़म्हकर्मसाक्ष्य श्रीविश्वामित्र अतुलतेजस्वी है तो खाधान्न अन्न सादा भोजन तामसिक भोजन का परित्याग करना ही रहता था। यह कार्यक्रम लगातार वर्णाश्रम व्यवस्था में अपने कर्म निज आचार विचार पर स्वैच्छिक रूप से जीवन व्यतीत करने वाले को अपने जातीय निजी कार्यक्षेत्र अनुसार समयसाधना से सजाया गया है। नियम अनुसार इस कार्य में आश्रम में मानसिक रूप से सजग हो और उपनयन संस्कार में साधक साधना में जप मंत्र का अभ्यास करना ही जरूरी है। 1, त्रिकाल संध्या करना 2 भिक्षाटन करना 3 घरपर से भिक्षा लाना और अपने गुरु गुरुवर्य और स्वयं विधी से भौज्य बनाना और अपने ईश्वर और गुरु की सेवा में तत्पर रहते हुए जीवन सफल बनाएं। 3, सभी धर्मों में सत्य और अहिंसा परमो धर्म, और शस्त्र,शास्त्र,ज्ञान, रस, निर्बल को आश्रय देना, 4,धर्मश्रंखला में धर्मसंसद में शास्त्रार्थ करना भी जरूरी होता है.। 5, गृहस्थ आश्रम, और वानप्रस्थ संस्कार और परम्पराओं में 6,संन्यास आश्रम में स्वयं विधी सम्मत अपना स्वयं का मृतक कर्म भूमि पर करके सिर्फ त्वमेव सिर्फ मानवता पर जिंदगी बिताने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। 6, तथाकथित लोगों से समाज सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण कथा साहित्य कोष संजीवनी लक्ष बूटी है। 7,लेकिन सूखद परिणाम कुल घोषित न्याय पाओ मर्यादा में रहकर जीवन में आस्था रखने वाले अच्छे लगते है। 8, यही मानव धर्म कर्म अर्थ है जो धरती पर साकार लोक में सत्य है, जो हवा के समान है श्रुति स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित जीवन है। 9,यही जीवन जन्म कुंडली कर्म का लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया चित्र गुप्त रूप में स्वर्ग नरक का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम और बिछोह विश्वास है। ,,यज्ञोपवीत संस्कार है क्या है माजरा दुध का दुध पानी का पानी होना चाहिये।। ‌। कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #lovelife  Unsplash               ्रचना दिनांक 24,,12,,2024
वार  मंगलवार
समय दोपहर ग्यारह बजे
भावचित्र ्
               ्निज विचार ्
                   ््शीर्षक ्््
             मनुष्य मनुज देह में प्राचीन अर्वाचीन काल से शिक्षा दीक्षा संस्कार कर्म है,,
भारत भूमि महान है देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं पितृ तर्पण अर्पण समर्पण भाव वंशानुगत देवत्व नहीं है,
यज्ञोपवीत संस्कार विधान में विश्वास रखते हुए जीवन में मनुष्य मनुज देह पर धारण करने का माद्दा रखने की ताकत और विधान है।।
मां गायत्रीका अनुष्ठान है,,
 जो महर्षि विश्वामित्र जी के व्दारा सशरीर मृत्यु लोक से मानव को अपने सर्वस्व धर्म कर्म से स्वर्ग लोक में भेजने का दूस्साहस भी इन्सानी मानस से महर्षि विश्वामित्र जी ने ही किया था।।
इस महत्ती भूमिका में नजर आएंगे कथा और कथानक और मनुष्य के कर्म भूमि वर्चस्व कायम का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम नहीं संस्कार परिवार कूल वंश कर्म से ही मिलता है।
जब सशरीर मृत्यु के बिना जीवित पहुंचता है तो उसका विरोध कोई ओर नही देवता और अवतार से प्राकट्य देवो देव में विरोधाभास और संघर्ष के पश्चात उस मनुष्य राजन् को स्वर्गलोक से मृत्युलोक की ओर फेंका गया है,
तब महर्षि विश्वामित्र जी ने तीसरे लोक का सृजन का संकल्प लिया और नयी सृष्टि सजृन का निर्माण कार्य करने वाले को राह दिखाने का आयना मजमा लगाकर देव,दानव, के पश्चात अलग सृष्टि में नारि फल प्राप्त नारियल पानी में मानवीय सरोकार सृजन का स्वप्न साकार लोक में लाया गया है,
उनके अनुसार प्रयोग प्रयास से हड़कंप मच गया था संसार जगत में।
तब महर्षि विश्वामित्र जी ने मां गायत्री मंत्र शक्ति दिव्यता सृजन और यज्ञोपवीत संस्कार का सृजनात्मक शक्ति दिव्यता प्रदान करने का विधान बनाया गया था।।
इसके विधान और नियम निम्नानुसार है ््
यह कार्यक्रम में मृत्यु लोक में मनुष्य मनुज को अपने व्यक्तिगत रूप से जीवन व्यतीत करने में मदद मिलेगी स्थिति अनुरूप कामकाज वातावरण के अनुसार दर्शन यज्ञोपवीत संस्कार को ,
उपनयन संस्कार भी कहा जाता है जो बाल्यावस्था में ही शिक्षा दीक्षा संस्कार शिक्षण संस्थान गुरुकुल में अध्ययन रत विद्यार्थियों को उपनयन संस्कार किया जाता रहा है जिसमें वेद वेदान्त दर्शन और कर्मकांड पूजन सनातन विचार सच का सबक सिखाना जाता था,
और आगे बढ़ कर जप तप नेम नियम और शर्तें गोपनीयता गुरु गुरुवर्य आराध्यमं पुज्यं बृहस्पति श्रद्धा से सम्मान जरुरी है।।
इसमें साधक साधना प्रकृति से प्रेम करने वाले ब़म्हकर्मसाक्ष्य श्रीविश्वामित्र अतुलतेजस्वी है तो खाधान्न अन्न सादा भोजन तामसिक भोजन का परित्याग करना ही रहता था।
यह कार्यक्रम लगातार वर्णाश्रम व्यवस्था में अपने कर्म निज आचार विचार पर स्वैच्छिक रूप से जीवन व्यतीत करने वाले को अपने जातीय निजी कार्यक्षेत्र अनुसार समयसाधना से सजाया गया है। नियम अनुसार इस कार्य में आश्रम में मानसिक रूप से सजग हो और उपनयन संस्कार में साधक साधना में जप मंत्र का अभ्यास करना ही जरूरी है।
1, त्रिकाल संध्या करना
2 भिक्षाटन करना 3 घरपर से भिक्षा लाना और अपने गुरु गुरुवर्य और स्वयं विधी से भौज्य बनाना और अपने ईश्वर और गुरु की सेवा में तत्पर रहते हुए जीवन सफल बनाएं।
3, सभी धर्मों में सत्य और अहिंसा परमो धर्म,
और शस्त्र,शास्त्र,ज्ञान, रस, निर्बल को आश्रय देना, 
4,धर्मश्रंखला में धर्मसंसद में शास्त्रार्थ करना भी जरूरी होता है.।
5, गृहस्थ आश्रम, और वानप्रस्थ संस्कार और परम्पराओं में
6,संन्यास आश्रम में स्वयं विधी सम्मत अपना स्वयं का मृतक कर्म भूमि पर करके सिर्फ त्वमेव सिर्फ मानवता पर जिंदगी बिताने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
6, तथाकथित लोगों से समाज सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण कथा साहित्य कोष संजीवनी लक्ष बूटी है।
7,लेकिन सूखद परिणाम कुल घोषित न्याय पाओ मर्यादा में रहकर जीवन में आस्था रखने वाले अच्छे लगते है।
8, यही मानव धर्म कर्म अर्थ है जो धरती पर साकार लोक में सत्य है, जो हवा के समान है श्रुति स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित जीवन है।
9,यही जीवन जन्म कुंडली कर्म का लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया चित्र गुप्त रूप में स्वर्ग नरक का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम और बिछोह विश्वास है।
,,यज्ञोपवीत संस्कार है क्या है माजरा दुध का दुध पानी का पानी होना चाहिये।।
       ‌।     कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand

#lovelife मोटिवेशनल कोट्स हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

रचना दिनांक 23 12, 2024 वार,, सोमवार समय सुबह पांच बजे, ््भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से , अर्जित विचारोक्ति सम सामयिक शीतकालीन वातावरण बना हुआ है््् ््् अंसख्य जीव जीवाश्म तंन्तु वनस्पतियों से सुसज्जित है, जन जीवन जलचर प्राकृतिक सौंदर्यता जल की वनस्पतियां में, अच्छादित वन जंगल पहाड़ धरती सब कुछ जल के मध्य समाहित है ्् रचनात्मक है तो दुनिया कहेगी और सुनेगी जो भी हो,, वह जीवित ईश्वर सत्य ईश प्राप्ति प्रत्यक्ष वनस्पतियों में, पादप प्रजातियां में जलचर रजनीचर तल वितल रसातल में, अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है , , जो जींव जन्तु विज्ञान जगत में सूक्ष्म शरीर काया माया मोह , ््मद में मानसिक रूप से जीवन श्रंगारित किया गया है, ्भावचित्र ् मनुष्य मनुज देह में, प्राचीन अर्वाचीन काल में पुरातत्व सर्वेक्षण संग़हालय में, आदिवासी अनादिकाल में वनचर जींव नर रुप में ,, वानर,कपि, अंजनी माई और केशरी नंदन पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते ,, शिवरुद़ाअवतार हनुमंत त्रेतायुग में श्री राम और , मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ नर रुप में शापित श्राप में नारद के द्वारा ,।।1।। हनुमंत स्वयं हिन्दू धर्म नहीं सनातन विचार सच है,, असूरराज जो भगवान विष्णु केअवतरित प्रगट पार्षद जय और विजय थे, जो रावण और कुम्भकरण जो रावण स्वयं शिव भक्त था।।2।। मैं दावे से कह सकते है सृष्टिकर्ता ब्रह्मा विष्णु महेश ने प्रसंग का, अध्ययन कर रामचरित मानस में पढ़कर आनंद लीजिए , सही विषय से पथभष्ट ना करें।।3।। कवि शैलेंद्र आनंद 23दिसमर 2024 ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल  रचना दिनांक 23 12, 2024
वार,, सोमवार
समय सुबह पांच बजे,
््भावचित्र ्
्निज विचार ्
्शीर्षक ्
््रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से ,
अर्जित विचारोक्ति सम सामयिक शीतकालीन वातावरण बना हुआ है्््
्््
अंसख्य जीव जीवाश्म तंन्तु वनस्पतियों से सुसज्जित है,
 जन जीवन जलचर प्राकृतिक सौंदर्यता जल की वनस्पतियां में,
 अच्छादित वन जंगल पहाड़ धरती सब कुछ जल के मध्य समाहित है ््
रचनात्मक है तो दुनिया कहेगी और सुनेगी जो भी हो,,
वह जीवित ईश्वर सत्य ईश प्राप्ति प्रत्यक्ष वनस्पतियों में,
पादप प्रजातियां में जलचर रजनीचर तल वितल रसातल में,
अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है ,
, जो जींव जन्तु विज्ञान जगत में सूक्ष्म शरीर काया माया मोह ,
््मद में मानसिक रूप से जीवन श्रंगारित   किया गया है,
  ्भावचित्र ्
         
मनुष्य मनुज देह में, प्राचीन अर्वाचीन काल में पुरातत्व सर्वेक्षण संग़हालय में,
 आदिवासी अनादिकाल में वनचर जींव नर रुप में ,,
वानर,कपि, अंजनी माई और केशरी नंदन पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते ,,
शिवरुद़ाअवतार हनुमंत त्रेतायुग में श्री राम और ,
मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ नर रुप में शापित श्राप में नारद के द्वारा ,।।1।।
हनुमंत स्वयं हिन्दू धर्म नहीं सनातन विचार सच है,,
असूरराज जो भगवान विष्णु केअवतरित प्रगट पार्षद जय और विजय थे,
 जो रावण और कुम्भकरण जो रावण स्वयं शिव भक्त था।।2।।
मैं दावे से कह सकते है सृष्टिकर्ता ब्रह्मा विष्णु महेश ने प्रसंग का,
 अध्ययन कर रामचरित मानस में पढ़कर आनंद लीजिए ,
सही विषय से पथभष्ट ना करें।।3।।
              कवि शैलेंद्र आनंद 
23दिसमर 2024

©Shailendra Anand

मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद

15 Love

White रचना दिनांक,22,1,दिसंबर 2024 वार रविवार समय सुबह पांच बजे ्््शीर्षक ्् ्््अल्फाज़ ए शायरा ्् ् निज विचार ् ् भावचित्र ् ््शीर्षक ्् ््,,मैं अक्सर तुम्हारे प्रेम को,, अपने शब्दों में पिरो लेती हूं ्् आयना साफ़ कर देख रही हूं,, तुम उठाओ कलम मेरी अभिव्यक्ति से,।1। वो पाठकनामा से अपनी रूह में,, एक नई प्रेम कहानी लिखना है।।2। जो घर आंगन में आंखें खोल कर देखें तो,, दुनिया कहेगी मैं जिंदगी की, नई वीरांगना प्रेम रस की शब्द कुमारी।।3।। इस दिल की, जो नवपीढियो में ,, एक अलख जगाने वाली वो लफ्जो से , शौर्य साहस से लडने वाली अग्नि परीक्षा हूं।4 ।अपने विचार कर्म प्रेम शब्द की शब्दावली में , अमर प्रेम की शाश्वत सत्यता की शब्दमाला बन जाऊंगी।।5।। और तेरे ख्यालों में खोया हुआ आनंद मस्ती , छाई हुई मैं फिर खुशियों को लेकर आऊंगी।।6।। ्््कवि शैलेंद्र आनंद ््् ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #Sad_Status  White रचना दिनांक,22,1,दिसंबर 2024
वार   रविवार 
समय सुबह पांच बजे
्््शीर्षक ््
्््अल्फाज़ ए शायरा ््
       ् निज विचार ्
         ् भावचित्र ्
            ््शीर्षक ््
््,,मैं अक्सर तुम्हारे प्रेम को,,
अपने शब्दों में पिरो लेती हूं ््
आयना साफ़ कर देख रही हूं,,
 तुम उठाओ कलम मेरी अभिव्यक्ति से,।1।
 वो पाठकनामा से अपनी रूह में,,
एक नई प्रेम कहानी लिखना है।।2।
 जो घर आंगन में आंखें खोल कर देखें तो,,
 दुनिया कहेगी मैं जिंदगी की,
 नई वीरांगना प्रेम रस की शब्द कुमारी।।3।।
 इस दिल की, जो नवपीढियो में ,,
एक अलख जगाने वाली वो लफ्जो से ,
शौर्य साहस से लडने वाली अग्नि परीक्षा हूं।4
।अपने विचार कर्म प्रेम शब्द की शब्दावली में ,
अमर प्रेम की शाश्वत सत्यता की शब्दमाला बन जाऊंगी।।5।।
 और तेरे ख्यालों में खोया हुआ आनंद मस्ती ,
छाई हुई मैं फिर खुशियों को लेकर आऊंगी।।6।। 
                ्््कवि शैलेंद्र आनंद ्््

©Shailendra Anand

#Sad_Status success मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद

10 Love

White रचना दिनांक 21,,12,,2024 वार शनिवार समय दोपहर तीन बजे ्भावचित्र ् ्निज विचार ् ््शीर्षक ् आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ्् नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,, अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का , जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।। ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,, समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।। और अपने आप में ,, कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।। वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,, खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌। रब के मुलाज़िमों में,, वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।। ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 21 दिसम्बर,,2024, ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #good_night  White रचना दिनांक 21,,12,,2024
वार  शनिवार
समय दोपहर तीन बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ्
आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््
नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,,
अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का ,
जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।।
 ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,,
 समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।।
और अपने आप में ,,
कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।।
वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,,
 खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌।
 रब के मुलाज़िमों में,,
 वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।।
               ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
21  दिसम्बर,,2024,

©Shailendra Anand

#good_night मोटिवेशनल कोट्स हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद

15 Love

White रचना दिनांक 20,,12,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर बारह बजे्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचना की धर्मी नाडी निर्माण खुदाई संस्कार परिवार है ् ््निजविचार ्् स्वस्थ रहना स्वस्थ् मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने, मूल मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं आत्मप्रेम आत्मसात मानव धर्म मानव सेवा है,, जब तक घर आंगन में अपने माता पिता में, ईश वंदना प्रेयर नमन वन्दंनीय है।।1।। शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार में मन मंदिर है , सब धर्मों में समरुपता है मंदिर, मज्जिद, गुरुद्वारे,चर्च, मजार , है निगाह ऐं ध्वनि इबादत खाना है।।2।। लेकिन इन्सान को पहले इन्सान बनाया गया है ,, शिक्षा का आयना मंदिर है नजरिया आनंद बोध ख़ुश रहना ही जिंदगी है , जिसमें परिवर्तन ही प्रगति का शान्तिपाठ है,।।3।। जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम पेश कर रहा हूं,, यह तकरीर या कोई प्रवचन नहीं है भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य संस्कार परिवार का दर्शन है,।।4।। जीयो और जीने दो जय जिनेन्द्र जय महावीर बुध्दमं शरणं गच्छामि, सतनाम कबीर दर्शन है देशधर्म संविधान है,।।5।। मेरा भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में, खुशहाली में अच्छी तालीम हासिल हो,, सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत, प्रथम निर्भीक सम्मान जरुरी है।।6।। वरना यह देश गुलामी की ओर अग्रसर है,, उसके जिम्मेदार आप और हम हैं,यह परिभाषा सच्चाई सत नमन वन्दंनीय ्भावचित्र होता है।7। कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand

#मोटिवेशनल #love_shayari  White रचना दिनांक 20,,12,,2024
वार,, शुक्रवार
समय दोपहर बारह बजे्भावचित्र ्
                       ्शीर्षक ्
    ््रचना संवरचना की धर्मी नाडी निर्माण खुदाई संस्कार परिवार है ्
           ््निजविचार ््
स्वस्थ रहना स्वस्थ् मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने,
 मूल मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं 
आत्मप्रेम आत्मसात मानव धर्म मानव सेवा है,,
जब तक घर आंगन में अपने माता पिता में,
 ईश वंदना प्रेयर नमन वन्दंनीय है।।1।।
शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार में मन मंदिर है ,
सब धर्मों में समरुपता है मंदिर, मज्जिद, गुरुद्वारे,चर्च,
मजार , है निगाह ऐं ध्वनि इबादत खाना है।।2।।
लेकिन इन्सान को पहले इन्सान बनाया गया है ,,
शिक्षा का आयना मंदिर है नजरिया आनंद बोध ख़ुश रहना ही जिंदगी है ,
जिसमें परिवर्तन ही प्रगति का शान्तिपाठ है,।।3।।
जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम पेश कर रहा हूं,,
यह तकरीर या कोई प्रवचन नहीं है
 भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य संस्कार परिवार का दर्शन है,।।4।।
जीयो और जीने दो जय जिनेन्द्र जय महावीर बुध्दमं शरणं गच्छामि,
सतनाम कबीर दर्शन है देशधर्म संविधान है,।।5।।
मेरा भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में,
 खुशहाली में अच्छी तालीम हासिल हो,,
 सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत,
 प्रथम निर्भीक सम्मान जरुरी है।।6।।
वरना यह देश गुलामी की ओर अग्रसर है,,
उसके जिम्मेदार आप और हम हैं,यह परिभाषा सच्चाई 
सत नमन वन्दंनीय ्भावचित्र होता है।7।
                 कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand

#love_shayari प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद

12 Love

Trending Topic