White रचना दिनांक 22 जनवरी 2025,,
वार बुधवार
समय सुबह छह बजे
््भावचित्र ्
्््निज विचार ्
्््छाया चित्र में नीले अम्बर में एक सुन्दर छबि सुकुमार दृश्य विचार दृष्टिकोण में
एक मानस को पढ़कर अभ्यास से संघर्षरत पुस्तक में
रखी गई तस्वीर में नजर आते दिखाई दे रहा है ्््
शिक्षा दीक्षा संस्कार शिक्षण मानस में नजर आएंगे कथा और
कथानक में साहित्य और संस्कृति से कला और दर्शन में ,
एक सुन्दर सा जीवन फूलों से भी नाजुक सा जीवन सफल हो।
जो भी व्यक्ति को राह दिखाने वाले इस संदेश में,,
मन की सुन्दरता से ही आनंद दे सकता है, लेकिन इस बार
मैंने अपने आप में एक मनो दर्शन भावचित्र में उकेरते हुए,
मन का स्व आन्दोलन से चेतना आ रही है।।
प्रेम शब्द ही जिंदगी है।
ऊं कार से द्वन्द्वात्मकता रचित शब्द सूर में,,
एकाकार हो प्यारा सा एकात्मकता समरुपता ऐकेश्वरवाद से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें।।
अंनत आख्यान संहिता दर्शन मन दर्पण प्रेम दर्शन करने वाले अच्छे लगते है ,
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
्शीर्षक ्
्् ,,माया जींव अंश है ईश कृपा विधान से
कर्म भूमि पर जातक कर्म विधान है
मृत्यु ् लोक में भ़मण करें
दो शब्द से ् लाचार है ््
,घर,आंगन, माया,गोचर,लग्न,
जेहि सब कुछ भाग्य सुफल मनोरथ,
सिद्ध पूर्ण योग साधना प्रधान है ।1।
तपबल , ,बाहूबल साध्य साधक,
साधना प्रकृति से प्रेम करना ही जिंदगी है।2।
परम ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण किर्ति से ,,
पूर्ण लोक योगसमाधि मोक्ष कारकं।3।
दिव्य चक्षु से खुल गई ब़म्हाण्डभ़कूटि साध्य साधक साधना में ,
,गुरुणा ,करुणा, मंत्रणा ,,
सिद्ध मंत्र शक्ति ,दिव्यता ,कोटीश्यं नमन ।4।
दो शब्द है प्रेम ,भाव,जग,मग,माया,
सूर,नर,नाद,राग,लय,
मैं स्वर सरस्वती पूत्र हूं।5।
आनंद है मेरा काज है,,
ऐं ध्वनि शंखनाद नाद से।6।
प्रेम शब्द से निकला जींव म्हारो,,
प्राणतत्व ही पंचतत्व से बना।7।
यह जग मग माया मोह ््मद का संसार है,,
अजीब गरीब और महान है,
जो धरती पर साकार है ,,
और परलोक में निर्राकार है ।8।
्कवि शैलेंद्र आनंद ्
22 जनवरी 2025
©Shailendra Anand
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