White रचना दिनांक 24।जनवरी। 2025 वार शुक्रवार समय | हिंदी मोटिवेशनल

"White रचना दिनांक 24।जनवरी। 2025 वार शुक्रवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ् ्निज विचार ््भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ्मन को शांति दे और मुमकिन हो, प्यारा सा जीवन में प्रयास ही, जिंदगी का आनंद ही जिंदगी है््् ्््् विद, से विद्वता और ज्ञान से दर्शन,, और प्रेम से अन्तर्मन,मनविशाद से, विषग्रंथि विषगरल समान रूप है।1। काया माया मोह ््मद से जलरंहा, सत तज दी करम से अपनी, रूह मे दो चार,।2। गुणवत्ता से परिपूर्ण बोद्धिसत्व, किर्ति फैलाते हैबुध्दमं शरमं गच्छामि।3। भाव पुजा अर्चना है ज्ञान रस दर्शन हैं, कर्म पुजा करने वाले अच्छे लगते है।4। जय जिनेन्द्र जय महावीर ने , सत्य अहिंसा परमो धर्म , कर्म गीता परम पूज्य है।5। यही मानव धर्म विचार सच है,, प्रेम शब्द से जन्मा आत्म मंथन, चिन्तन में एक स्वर पुकार है।6। ् कवि शैलेंद्र आनंद ् 24,, जनवरी 2025,3 ©Shailendra Anand"

 White रचना दिनांक 24।जनवरी।  2025
वार शुक्रवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ्
्निज विचार ््भावचित्र ्
   ्निज विचार ्
       ्शीर्षक ्
्मन को शांति दे और मुमकिन हो,
 प्यारा सा जीवन में प्रयास ही,
 जिंदगी का आनंद ही जिंदगी है्््
        ््््
विद, से विद्वता और ज्ञान से दर्शन,,
 और प्रेम से अन्तर्मन,मनविशाद से,
 विषग्रंथि विषगरल समान रूप है।1।
काया माया मोह ््मद से जलरंहा,
सत तज दी करम से अपनी,
रूह मे दो चार,।2।
 गुणवत्ता से परिपूर्ण बोद्धिसत्व,
किर्ति फैलाते हैबुध्दमं शरमं गच्छामि।3।
भाव पुजा अर्चना है ज्ञान रस दर्शन हैं,
कर्म पुजा करने वाले अच्छे लगते है।4।
जय जिनेन्द्र जय महावीर ने ,
सत्य अहिंसा परमो धर्म ,
कर्म गीता परम पूज्य है।5।
यही मानव धर्म विचार सच है,,
प्रेम शब्द से जन्मा आत्म मंथन,
 चिन्तन में एक स्वर पुकार है।6।
       ् कवि शैलेंद्र आनंद ्
24,, जनवरी 2025,3

©Shailendra Anand

White रचना दिनांक 24।जनवरी। 2025 वार शुक्रवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ् ्निज विचार ््भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ्मन को शांति दे और मुमकिन हो, प्यारा सा जीवन में प्रयास ही, जिंदगी का आनंद ही जिंदगी है््् ्््् विद, से विद्वता और ज्ञान से दर्शन,, और प्रेम से अन्तर्मन,मनविशाद से, विषग्रंथि विषगरल समान रूप है।1। काया माया मोह ््मद से जलरंहा, सत तज दी करम से अपनी, रूह मे दो चार,।2। गुणवत्ता से परिपूर्ण बोद्धिसत्व, किर्ति फैलाते हैबुध्दमं शरमं गच्छामि।3। भाव पुजा अर्चना है ज्ञान रस दर्शन हैं, कर्म पुजा करने वाले अच्छे लगते है।4। जय जिनेन्द्र जय महावीर ने , सत्य अहिंसा परमो धर्म , कर्म गीता परम पूज्य है।5। यही मानव धर्म विचार सच है,, प्रेम शब्द से जन्मा आत्म मंथन, चिन्तन में एक स्वर पुकार है।6। ् कवि शैलेंद्र आनंद ् 24,, जनवरी 2025,3 ©Shailendra Anand

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कवि शैलेंद्र आनंद

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