रचना दिनांक 23। जनवरी 2025 वार गुरुवार समय सुबह। | हिंदी मोटिवेशनल

"रचना दिनांक 23। जनवरी 2025 वार गुरुवार समय सुबह। पांच बजे ्शीर्षक ् ््लेखक कवि गजलकार में लेखन स्वतंत्रता सेनानी है,, वह किसी का गुलाम नहीं है भविष्य वर्तमान भूतकाल का भूत भविष्य वर्तमान है , जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि यही मेरी कामना उत्साह उमंग उमड़ पड़ा है , यही कवि शैलेंद्र आनंद है ््््भावचित्र ् ् निज विचार ् लेखक ,कवि ,शायर ,ग़ज़ल, नज़्म, अल्फाज़, नगीना, होते हैं,, वह तराशता है, दिलो से लहु की तपिश से जलकर खाक हो गया।1। खुद से खूद में खोकर सपनो को जलाकर तापने वाला अपना जीवन के लम्हे को आंखों की तश्तरी में ,, अक्स से मोती को लालस्याही में पिरोकर अजय अमर प्रेम उजाला वह अदभुत लम्हे को लिख डाला।2। जो किसी राजव्यवस्था की गुलामी से कम नहीं है,, लेकिन वह खुद अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर देख रहा है ।3। परतंत्र और आजाद उन्मुक्त अभिव्यक्ति अनुवाद से गध्य पद पर ख्यालात रखना,, और अपने स्तर पर शासन और प्रशासन देश और विदेश में आंखें डालकर बात लिखी जाना किसी मोत के मयत्सर से कम नहीं था।4। वाकया यही नहीं ठहरता है लेखक कवि का आयना नज़रिया जिस्म पर जिंदगी के कोड़े इतने बरसाय के वे,, फिर आगे कभी लिखने का दूस्साहस भी इन्सानी हक से ना कर पाय।5। मगर ख्याल रखना सिर्फ कवि शायर ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना लिखने वाले आत्ममंथन करना आवश्यक है,, कवि शैलेंद्र आनंद एक जीवंत पीड़ा एक लेखक कवि गजलकार व्यथा कथा दूर्र दशा पर चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार लिखूं।6। प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है,, यही मेरी स्वरचित रचनाएं में आंखों का सूक्ष्म नयन अश्रुजल बह निकले, ध्वनि तरंगों से जन्मा विचार सच में तेरे ख्यालों की पीडा का एक सरस्वती पूत्र का आयना नज़रिया लिख दिया गया।7। एक हिन्दूस्तानी लेखक कवि शैलेंद्र आनंद प्रेम जो जीना सिखाता है ,, सच्चा धर्मगुरु जीवन हो राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है संविधान मेरा धर्म कर्म है।8। ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 23 जनवरी 2025 ©Shailendra Anand"

 रचना दिनांक 23। जनवरी 2025
वार  गुरुवार 
समय सुबह। पांच बजे
्शीर्षक ्
््लेखक कवि गजलकार में लेखन स्वतंत्रता सेनानी है,,
वह किसी का गुलाम नहीं है भविष्य वर्तमान भूतकाल का भूत भविष्य वर्तमान है ,
जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि यही मेरी कामना उत्साह उमंग उमड़ पड़ा है ,
यही कवि शैलेंद्र आनंद है ््््भावचित्र ्
        ् निज विचार ्
लेखक ,कवि ,शायर ,ग़ज़ल, नज़्म, अल्फाज़, नगीना, होते हैं,,
 वह तराशता है, दिलो से लहु की तपिश से जलकर खाक हो गया।1।
 खुद से खूद में खोकर सपनो को जलाकर तापने वाला अपना जीवन के लम्हे को आंखों की तश्तरी में ,,
अक्स से  मोती को लालस्याही  में पिरोकर अजय अमर प्रेम उजाला वह अदभुत लम्हे को लिख डाला।2।
 जो किसी राजव्यवस्था की गुलामी से कम नहीं है,,
 लेकिन वह खुद अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर देख रहा है ।3।
परतंत्र और आजाद उन्मुक्त अभिव्यक्ति अनुवाद से गध्य पद पर ख्यालात रखना,,
 और अपने स्तर पर शासन और प्रशासन देश और विदेश में आंखें डालकर बात लिखी जाना
 किसी मोत के मयत्सर से कम नहीं था।4।
वाकया यही नहीं ठहरता है लेखक कवि का आयना नज़रिया जिस्म पर जिंदगी के कोड़े इतने बरसाय के वे,,
 फिर आगे कभी लिखने का दूस्साहस भी इन्सानी हक से ना कर पाय।5।
 मगर ख्याल रखना सिर्फ कवि शायर ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना लिखने वाले आत्ममंथन करना आवश्यक है,,
कवि शैलेंद्र आनंद एक जीवंत पीड़ा एक लेखक कवि गजलकार व्यथा कथा दूर्र दशा पर चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार लिखूं।6।
 प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है,,
 यही मेरी स्वरचित रचनाएं में आंखों का सूक्ष्म नयन अश्रुजल बह निकले,
 ध्वनि तरंगों से जन्मा विचार सच में तेरे ख्यालों की पीडा का एक सरस्वती पूत्र का आयना नज़रिया लिख दिया गया।7। 
एक हिन्दूस्तानी लेखक कवि शैलेंद्र आनंद प्रेम जो जीना सिखाता है ,,
सच्चा धर्मगुरु जीवन हो राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है संविधान मेरा धर्म कर्म है।8।
          ्कवि शैलेंद्र आनंद ्
23  जनवरी 2025

©Shailendra Anand

रचना दिनांक 23। जनवरी 2025 वार गुरुवार समय सुबह। पांच बजे ्शीर्षक ् ््लेखक कवि गजलकार में लेखन स्वतंत्रता सेनानी है,, वह किसी का गुलाम नहीं है भविष्य वर्तमान भूतकाल का भूत भविष्य वर्तमान है , जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि यही मेरी कामना उत्साह उमंग उमड़ पड़ा है , यही कवि शैलेंद्र आनंद है ््््भावचित्र ् ् निज विचार ् लेखक ,कवि ,शायर ,ग़ज़ल, नज़्म, अल्फाज़, नगीना, होते हैं,, वह तराशता है, दिलो से लहु की तपिश से जलकर खाक हो गया।1। खुद से खूद में खोकर सपनो को जलाकर तापने वाला अपना जीवन के लम्हे को आंखों की तश्तरी में ,, अक्स से मोती को लालस्याही में पिरोकर अजय अमर प्रेम उजाला वह अदभुत लम्हे को लिख डाला।2। जो किसी राजव्यवस्था की गुलामी से कम नहीं है,, लेकिन वह खुद अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर देख रहा है ।3। परतंत्र और आजाद उन्मुक्त अभिव्यक्ति अनुवाद से गध्य पद पर ख्यालात रखना,, और अपने स्तर पर शासन और प्रशासन देश और विदेश में आंखें डालकर बात लिखी जाना किसी मोत के मयत्सर से कम नहीं था।4। वाकया यही नहीं ठहरता है लेखक कवि का आयना नज़रिया जिस्म पर जिंदगी के कोड़े इतने बरसाय के वे,, फिर आगे कभी लिखने का दूस्साहस भी इन्सानी हक से ना कर पाय।5। मगर ख्याल रखना सिर्फ कवि शायर ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना लिखने वाले आत्ममंथन करना आवश्यक है,, कवि शैलेंद्र आनंद एक जीवंत पीड़ा एक लेखक कवि गजलकार व्यथा कथा दूर्र दशा पर चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार लिखूं।6। प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है,, यही मेरी स्वरचित रचनाएं में आंखों का सूक्ष्म नयन अश्रुजल बह निकले, ध्वनि तरंगों से जन्मा विचार सच में तेरे ख्यालों की पीडा का एक सरस्वती पूत्र का आयना नज़रिया लिख दिया गया।7। एक हिन्दूस्तानी लेखक कवि शैलेंद्र आनंद प्रेम जो जीना सिखाता है ,, सच्चा धर्मगुरु जीवन हो राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है संविधान मेरा धर्म कर्म है।8। ्कवि शैलेंद्र आनंद ् 23 जनवरी 2025 ©Shailendra Anand

मोटिवेशनल कोट्स हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस
कवि शैलेंद्र आनंद

People who shared love close

More like this

Trending Topic