Pini KUMAWAT

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#शायरी #hillroad  
एक दिन तुम्हारे सहर में आऊंगी
पर तुमसे मिलने की मिन्नते मै करूंगी नही
एक दिन मंदिर में तुम्हे पाने की मन्नते मैं करूंगी नही
एक दिन तुम्हारी लिखी बाते पढ़के रोऊंगी नही
एक दिन तुम्हे खो देने के डर से डरूंगी नही 
एक दिन उन्ही रास्तों पे चलूंगी अकेले
पर तुम्हे साथ चलने को कहूंगी नही
एक दिन तुम्हे सोचते हुए खुद ही के संग बहूंगी नही
एक दिन सबके साथ होके भी अकेले रहूंगी नही
एक दिन सोने के बाद डर के घबराहट में उठूंगी नही
एक दिन सबसे छुपाके आंसुओ में भीगूंगी नही 
और शायद इन्ही आंसुओ के बह जाने के डर से छुपूंगी नही 
एक दिन फिर से डरूंगी में उन्ही लम्हों में जीने से 
पर उस दिन फिर से मुस्कुराने से रुकूंगी नही

©Pini KUMAWAT

#hillroad एच

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#विचार #kinaara  किसी को संवारते हुए खुद ही को उजाड़ दूंगी
लगा नही था कभी
किसी के सपने को जीते हुए खुद ही को हार जाऊंगी
लगा नही था कभी
हर सख्ती से लड़ते हुए
हर तख्ती से कहते हुए
हर दुआ में  बस उसी को मांगते  हुए
हर मंजर को सजाते हुए 
खिलते फूलो की बगिया लगाते हुए 
खुद ही मुरझा जाऊंगी ak दिन 
लगा नही था कभी
हर रूखे अंदाजा में सजे तेरे लफ्जो की शायरियो से भरे कागजों को हर बार मिटाते हुए
खुद ही यूं मिट जाऊंगी
लगा नही था कभी
हर चोट को सहलाते हुए हर जख्म को दवाते हुए
बिना मनाए खुद को मनाते हुए
सब संभाल लूंगी हर मंजर को कहते  हुए 
खुद से खुद को कहानी सुनाते हुए
खुद ही कहानी बन जाउंगी
लगा नही था कभी

©Pini KUMAWAT

#kinaara

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मासूमियत का गला घोंट कर अक्लमंद बना रहा हु तुम्हे कह कर बिना गलतियों के सजाए दे कर ये कहा उसने की आखिर कमी ही क्या रह गई एक अटल आत्मविश्वास को अपने पैरो में रौंद कर हर ख्वाइश को बचपने का नाम दे कर उसने ये कहा कि आखिर कमी ही क्या रह गई गुमनाम से मेरे नाम को बेनाम कह कर मेरे अश्कों को नौटंकी सरेआम कह कर मेरे साफ सुथरे रिस्तो को बदनाम कह कर और मेरे सीने की धड़कन को हराम कह कर उसने ये कहा कि आखिर कमी ही क्या रह गई मेरे आत्मसम्मान को आंधी को तरह झकझोर कर और पैरो में कुछ खुली सी बेडिया मरोड़ कर उसने ये कहा कि आख़िर कमी ही क्या रह गई हर ज़ख्म को अपने शब्दों के खंजर से खुरेद कर एक दिन इश्क जता कर चार दिन अगले फिर से रुलाकर फिर अगले दिन मोहोबत का पैगाम दिखा कर फिर से उसने यही कहा कि आखिर कमी ही कहा रह गई ©Pini KUMAWAT

#कविता #Qala  मासूमियत का गला घोंट कर अक्लमंद बना रहा हु तुम्हे कह कर
बिना गलतियों के सजाए दे कर 
ये कहा उसने की आखिर कमी ही क्या रह गई 
एक अटल आत्मविश्वास को अपने पैरो में रौंद कर 
हर ख्वाइश को बचपने का नाम दे कर 
उसने ये कहा कि आखिर कमी ही क्या रह गई 
गुमनाम से मेरे नाम को बेनाम कह कर
मेरे अश्कों को  नौटंकी सरेआम कह कर
मेरे साफ सुथरे रिस्तो को बदनाम कह कर
और मेरे सीने की धड़कन को हराम कह कर 
उसने ये कहा कि आखिर कमी ही क्या रह गई
मेरे आत्मसम्मान को आंधी को तरह झकझोर कर 
और पैरो में कुछ खुली सी बेडिया मरोड़ कर
उसने ये कहा कि आख़िर कमी ही क्या रह गई 
हर ज़ख्म को अपने  शब्दों के खंजर से खुरेद कर 
एक दिन इश्क जता कर 
चार दिन अगले फिर से रुलाकर 
फिर अगले दिन मोहोबत का पैगाम दिखा कर 
फिर से उसने यही कहा कि आखिर कमी ही कहा रह गई

©Pini KUMAWAT

#Qala

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mera ak sapna tha kisi ko sidhaat se chahne ka bs kisi ka hone ka or hoke sada usi ka rah jane ka mera ak spna tha. uchhi udane bharne ka ,khulke jine or muskurane ka sbse muh modke usper sb lutane ka mera ak sapna tha, kabhi ladke na sone ka kabhi na roke bahne ka pahado ki tarha thahrne ka nadiyo ki trh lahrane ka ha mera ak spna tha , ©Pini KUMAWAT

#DREAMING_GIRL #Quotes  mera ak sapna tha 
kisi ko sidhaat se chahne ka
bs kisi ka hone ka or hoke sada usi ka rah jane ka
mera ak spna tha.
uchhi udane bharne ka ,khulke jine or 
muskurane ka 
sbse muh modke usper sb lutane ka
mera ak sapna tha,
kabhi ladke na sone ka
kabhi na roke bahne ka 
pahado ki tarha thahrne ka 
nadiyo ki trh lahrane ka 
ha mera ak spna tha ,

©Pini KUMAWAT

shuri hui h to ,khatm bhi ho jayegi ak din kahani hi to h zindagi bhar thode hi chalegi ha pr badal jayenge kuchh mayne tb rahne ke bhi or sahne ke bhi ab toota h itni bar tukdo me fir toote huye tukdo se vahi tasvir thode hi banegi ©Pini KUMAWAT

#History  shuri hui h to ,khatm bhi ho jayegi ak din
kahani hi to h 
zindagi bhar thode hi chalegi 

ha pr badal jayenge kuchh mayne tb   rahne ke bhi or sahne ke bhi
ab toota h itni bar tukdo me 
fir toote huye tukdo se 
 vahi tasvir thode hi banegi

©Pini KUMAWAT

#History

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over attachments, overloads,overthinking and overexpectations can kill you from inside everymoment......l ©Pini KUMAWAT

#Quotes #think  over attachments, overloads,overthinking
and overexpectations can
kill you from inside everymoment......l

©Pini KUMAWAT

#think

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