Jitender Sharma

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White मत आंक मेरे किरदार को इतनी आसानी से मुझे बिना जाने, मैंने इस बेरहम दुनिया में नफरत की आग की तपिश से खुद को निकाला है कमियां हजार मिलेगी मुझमें ढूंढने पर यूं तो तुझे, लेकिन सच ये है मैंने अपना वजूद हरबार ठोकर खाकर फिर उठकर संवारा है मत आंक मेरे किरदार को इतना मेरी उम्र का आधा हिस्सा मैंने मुश्किलों से लड़ने में बिताया है कभी फुर्सत मिले तो कहानी सुन लेना मेरी, मैंने किस तरह उतार चढ़ाव देखें हैं मेरे बचपने को देख , आंकलन ना करना मेरे व्यक्तित्व का, क्योंकि ये मेरा मुस्कुराता चेहरा हर दर्द झेलकर आया है ©Jitender Sharma

#कोट्स #Sad_Status  White मत आंक मेरे किरदार को इतनी आसानी से मुझे बिना जाने,
मैंने इस बेरहम दुनिया में नफरत की आग की तपिश से खुद को निकाला है 
कमियां हजार मिलेगी मुझमें ढूंढने पर यूं तो तुझे,
लेकिन सच ये है मैंने अपना वजूद हरबार ठोकर खाकर फिर उठकर संवारा है 
मत आंक मेरे किरदार को इतना 
मेरी उम्र का आधा हिस्सा मैंने मुश्किलों से लड़ने में बिताया है
कभी फुर्सत मिले तो कहानी सुन लेना मेरी, मैंने किस तरह उतार चढ़ाव देखें हैं 
मेरे बचपने को देख , आंकलन ना करना मेरे व्यक्तित्व का, 
क्योंकि ये मेरा  मुस्कुराता चेहरा हर दर्द झेलकर आया है

©Jitender Sharma

#Sad_Status लाइफ कोट्स कोट्स इन हिंदी

10 Love

आकर रुक गया मैं एक किनारे पर चलते हुए जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया आंख खोली तो सच से सामना हुआ खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया वो बैचेनी जो होती थी खामखा वो बेफिजूल से अरमान दिल के सब दिल से निकाल कर फेंक आया खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज अनजान था जिंदगी के मायने समझने से जब खुद को जाना तो सब समझ आया भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया ©Jitender Sharma

#विचार #GoldenHour  आकर रुक गया मैं एक किनारे पर  चलते हुए
जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया 
भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को
आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर
 मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया
आंख खोली तो सच से सामना हुआ 
खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया

वो बैचेनी जो होती थी खामखा 
वो बेफिजूल से अरमान दिल के
सब दिल से निकाल कर फेंक आया 
खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज
अनजान था जिंदगी के मायने समझने से
जब खुद को जाना तो सब समझ आया
भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया

©Jitender Sharma

#GoldenHour सच से सामना

10 Love

White सुनसान पड़ा है दिल का हर कोना जहां कभी खुशियों की बहार हुआ करती थी साथ साथ चलते थे लोग हंसते खिलखिलाते गम दूर करने के लिए कई हाथ कंधे पे रखा करते थे पल भर में कितना बदल गया जमाना अब हाल बेहाल हो तो कोई परवाह नहीं करता जहां पहले बातें बेशुमार हुआ करती थी ©Jitender Sharma

#कोट्स #wallpaper  White सुनसान पड़ा है दिल का हर कोना
जहां कभी खुशियों की बहार हुआ करती थी
साथ साथ चलते थे लोग हंसते खिलखिलाते
गम दूर करने के लिए कई हाथ कंधे पे रखा करते थे 
पल भर में कितना बदल गया जमाना 
अब हाल बेहाल हो तो कोई परवाह नहीं करता
जहां पहले बातें बेशुमार हुआ करती थी

©Jitender Sharma

#wallpaper

17 Love

White एक कहानी है मेरी भी ,तुम सुनोगी क्या उलझनों से भरा है मन, तुम सुलझाओगी क्या दिल के जज़्बात तमाम कैद कर रखें हैं अपने पास मैंने,तुम साथ बैठकर पढ़ोगी क्या ढेर सारी मुश्किलें झेली हैं अब तक, तुम असली खुशियां बांटोगी क्या एक कहानी है मेरी भी, तुम सुनोगी क्या ©Jitender Sharma

#कविता #milan_night  White एक कहानी है मेरी भी ,तुम सुनोगी क्या
उलझनों से भरा है मन, तुम सुलझाओगी क्या
दिल के जज़्बात तमाम कैद कर रखें हैं अपने पास मैंने,तुम साथ बैठकर पढ़ोगी क्या
ढेर सारी मुश्किलें झेली हैं अब तक, तुम असली खुशियां बांटोगी क्या
एक कहानी है मेरी भी, तुम सुनोगी क्या

©Jitender Sharma

#milan_night

12 Love

बेकाबू भीड भरे शहर में मैंने अंदर से खुद को कितना अकेला पाया है जज्बात होंठों पर आ नहीं पाते अब, क्योंकि इस जमाने में नकाब पहनें लोगों का हर तरफ साया है, यहां फुर्सत नहीं मिलती लोगों को दिल दुखाने से चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए , दिल में नफरत का बाजार बनाया है ©Jitender Sharma

#विचार #GoldenHour  बेकाबू भीड भरे शहर में 
मैंने अंदर से खुद को कितना अकेला पाया है 
जज्बात होंठों पर आ नहीं पाते अब,
 क्योंकि इस जमाने में नकाब पहनें लोगों का हर तरफ साया है,
यहां फुर्सत नहीं मिलती लोगों को दिल दुखाने से
चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए , दिल में नफरत का बाजार बनाया है

©Jitender Sharma

#GoldenHour

7 Love

सवाल यही पूछ रहा हूं दिल से आखिर इतना जुड़ाव क्यों रखता है जो मुक्कम्मल नहीं होने वाला वो ख्वाब क्यों लेता है किस्मत के दरवाजे सब बंद हैं तेरे लिए फिर चेहरे पे मुस्कान लिए क्यों इंतजार करता है ये दुनिया कई तरह के रंग दिखाती है चोट खाकर तू हर बार खुद को क्यों उदास करता है उम्मीद क्यों लगी रहती है तुझे साथ पाने की, फिर ना मिले तो खुद टूटकर बिखरता है सवाल यही पूछ रहा हूं दिल से , आखिर इतना जुड़ाव क्यों रखता है ©Jitender Sharma

#विचार #alone #Road  सवाल यही पूछ रहा हूं दिल से
आखिर इतना जुड़ाव क्यों रखता है
जो मुक्कम्मल नहीं होने वाला वो ख्वाब क्यों लेता है
किस्मत के दरवाजे सब बंद हैं तेरे लिए
फिर चेहरे पे मुस्कान लिए क्यों इंतजार करता है
ये दुनिया कई तरह के रंग दिखाती है चोट खाकर तू हर बार
खुद को क्यों उदास करता है
उम्मीद क्यों लगी रहती है तुझे साथ पाने की, फिर ना मिले तो खुद टूटकर बिखरता है
सवाल यही पूछ रहा हूं दिल से , आखिर इतना जुड़ाव क्यों रखता है

©Jitender Sharma

#Road #alone #Nojoto

12 Love

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