Golden Hour
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मुझसे तुम हिज़्र की बातें मत करो , यार तुम आँखों से बरसातें मत करो ! छोड़कर चली गयी ये ख़ुदा की मर्ज़ी है ,, उसकी मर्ज़ी के आगे तमाशे मत करो..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#GoldenHour  मुझसे तुम हिज़्र की बातें मत करो ,

यार तुम आँखों से बरसातें मत करो !

छोड़कर चली गयी ये ख़ुदा की मर्ज़ी है ,,

उसकी मर्ज़ी के आगे तमाशे मत करो..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#GoldenHour @मत करो

17 Love

Unsplash अपना बनाकर ठुकराया है उसने!! खुद किसी और का होकर मुझे धोखेबाज बताया है उसने!! ©Pagal shayer

#GoldenHour  Unsplash अपना बनाकर ठुकराया है उसने!!
खुद किसी और का होकर
मुझे धोखेबाज बताया है उसने!!

©Pagal shayer

#GoldenHour

16 Love

*अखबार नहीं है* ये मत कहो की तुमको हमसे प्यार नही है है कौन यहाँ जो अपना तलबगार नहीं है अपना जादू सब के सर चढ़के बोलता है नहीं शख्स जिसके जहन चढ़ा खुमार नहीं है भोले के पुजारी आसानी से न मरेंगे आपका दिया जहर मियाँ असरदार नहीं है हम परशु के वंशज डरते नहीं शत्रुओं से हुई कुंद अभी तक फरसे की धार नहीं है परशुराम जी ने जन्म लिया अपने वंश में कायरों का समूह अपना परिवार नहीं है अपने ही लिबास में हम जीते हैं शान से किसी धन्नासेठ का हमपर उपकार नहीं है अपनी कठोर मेहनत पे भरोसा है हमें निज हाथ की लकीरों पे ऐतबार नहीं है बस अपने काम में मगन रहते हैं हमेंशा दुनियादारी से अपना सरोकार नहीं है हर एक पत्रिका में लेख छपते हैं हमारे हमारी खबर न हों जिसमें अखबार नहीं है स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#शायरी #GoldenHour #सजल #poem  *अखबार नहीं है*

ये मत कहो की तुमको हमसे प्यार नही है 
है कौन यहाँ जो अपना तलबगार नहीं है

अपना जादू सब के सर चढ़के बोलता है 
नहीं शख्स जिसके जहन चढ़ा खुमार नहीं है

भोले के पुजारी आसानी से न मरेंगे 
आपका दिया जहर मियाँ असरदार नहीं है

हम परशु के वंशज डरते नहीं शत्रुओं से  
 हुई कुंद अभी तक फरसे की धार नहीं है 

परशुराम जी ने जन्म लिया अपने वंश में 
कायरों का समूह अपना परिवार नहीं है

अपने ही लिबास में हम जीते हैं शान से 
किसी धन्नासेठ का हमपर उपकार नहीं है

अपनी कठोर मेहनत पे भरोसा है हमें 
निज हाथ की लकीरों पे ऐतबार नहीं है

बस अपने काम में मगन रहते हैं हमेंशा 
दुनियादारी से अपना सरोकार नहीं है 

हर एक पत्रिका में लेख छपते हैं हमारे 
हमारी खबर न हों जिसमें अखबार नहीं है

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप' @theinsecurebeing . ©The Insecure Being

#GoldenHour #Quotes  बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप'

@theinsecurebeing











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©The Insecure Being

#GoldenHour moti life quotes

12 Love

नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है, कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे। टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी, अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे। बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं, मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी। मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका, उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी। ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी, मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे। बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी, राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे। भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं, मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे। नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर, मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे। बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त, और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे। मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया, इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे। दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा, तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे। मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू, उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#शायरी #wordsofwisdom #quoteoftheday #quotestagram #GoldenHour  नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,
कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे।
टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी,
अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे।

बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं,
मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी।
मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका,
उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी।

ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी,
मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे।
बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी,
राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे।

भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं,
मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे।
नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर,
मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे।

बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त,
और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे।
मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया,
इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे।

दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा,
तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे।
मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू,
उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#GoldenHour @Sheetal Shekhar @Sarfraz Ahmad @Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) @Monu Kumar @Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,

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जिंदगी एक सवाल कर गई ? शांति भरा बचपन क्या गया जवानी एक बवाल कर गई ओर इतने दिन सोचता रहा बचपन के दिन ओर सोचते सोचते पता नहीं कब बुढ़ापा भी आ गया और जवानी भी निकल गई ! ©–Muku2001

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शांति भरा बचपन क्या गया 
जवानी एक बवाल कर गई 
ओर इतने दिन सोचता रहा
 बचपन के दिन 
ओर सोचते सोचते पता नहीं कब बुढ़ापा भी आ गया 
और जवानी भी निकल गई !

©–Muku2001

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