Ramji Tiwari

Ramji Tiwari

मेरी वजह से कभी किसी का दिल ना दुखे न किसी का अहित हो बस मेरे जीवन की यही प्राथमिकता है

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*महाकुंभ(२०२५)* प्रयागराज में लगा है लोगों का हुजूम। महाकुंभ की खुशी में लोग रहे सब झूम। पतित पावनी नदियों का पुनीत यह संगम, तीर्थराज प्रयाग परम पावन देव भूम।। दुनिया से लोग आते करने शाही स्नान। अमृत बूंद जहां गिरी यही वह पावन स्थान। सभी संत इस पुनीत अवसर पर आते हैं, संतों के अखाड़े हैं महाकुंभ की शान।। कई सदियों से यहाँ पर लगता है मेला। कुछ आते समूह में कोई सिर्फ अकेला। हर दिन लंगर चलते रहते सुबह शाम हैं, झोली भर घर जाते जेब न हो इक धेला।। गंगा यमुना सरस्वती का पवित्र संगम। त्रिवेणी नदियों का दृश्य है बहुत विहंगम। महाकुंभ अवसर पर देव धरा पर आते, शाही स्नान हेतु आता संतों का जंगम।। कुछ दर्शन को आते ,कुछ लेने गुरु दीक्षा। हर एक जन को मिलती यहाँ सनातन शिक्षा। भूखे को भोजन, प्यासे को पानी मिलता, कोई खाली न जाता सबको मिलती भिक्षा।। बारह -बारह से गुणा तब आता यह पर्व। सनातनी इस पर्व पर हमें बहुत है गर्व। पावन त्रिवेणी तट की महिमा बड़ी अपार, जिसकी गाथा गाते जन ,देव, मुनि, गन्धर्व।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

 *महाकुंभ(२०२५)* 

प्रयागराज में लगा है लोगों का हुजूम। 
महाकुंभ की खुशी में लोग रहे सब झूम।
पतित पावनी नदियों का पुनीत यह संगम,
तीर्थराज प्रयाग परम पावन देव भूम।।

दुनिया से लोग आते करने शाही स्नान। 
अमृत बूंद जहां गिरी यही वह पावन स्थान।
सभी संत इस पुनीत अवसर पर आते हैं,
संतों के अखाड़े हैं महाकुंभ की शान।।

कई सदियों से यहाँ पर लगता है मेला।
कुछ आते समूह में कोई सिर्फ अकेला।
हर दिन लंगर चलते रहते सुबह शाम हैं,
झोली भर घर जाते जेब न हो इक धेला।।

गंगा यमुना सरस्वती का पवित्र संगम। 
त्रिवेणी नदियों का दृश्य है बहुत विहंगम। 
महाकुंभ अवसर पर देव धरा पर आते, 
शाही स्नान हेतु आता संतों का जंगम।।

कुछ दर्शन को आते ,कुछ लेने गुरु दीक्षा।
हर एक जन को मिलती यहाँ सनातन शिक्षा। 
भूखे को भोजन, प्यासे को पानी मिलता,
कोई खाली न जाता सबको मिलती भिक्षा।।

बारह -बारह से गुणा तब आता यह पर्व। 
सनातनी इस पर्व पर हमें बहुत है गर्व। 
पावन त्रिवेणी तट की महिमा बड़ी अपार, 
जिसकी गाथा गाते जन ,देव, मुनि, गन्धर्व।।

    स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                         उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

#महाकुंभ2025 #मुक्तक #कविता #भक्ति #संगीत भक्ति भजन

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset *हरि नाम नहीं भजते हैं* इक मृगनयनी के चक्कर में पागल बनकर फिरते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं इक लड़की मोनालिसा जिसने सबका चैन चुराया माला बेचन वाली ने सब के ऊपर जादू चलाया कुंभ के सारे श्रद्धालु अब उसकी माला जपते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं इस सुन्दरी का महाकुंभ में हो रहा प्रचार- प्रसार मोनालिसा की ही खबरें छाप रहे सारे अखबार मोहित रुप के सम्मुख सारे धर्म- कर्म न लिखते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं जानें कैसा रोग लगा है? इन भक्त जनों के मन को छोड़कर त्रिवेणी पावन तट को पूज रहे बस तन को भजन कीर्तन छोड़ रुप के पीछे सारे चलते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं तन के पीछे पागल फिरते होते चरित्रवान नहीं जो नारी करे अनादर होता उसका सम्मान नहीं धर्म- कर्म के काम छोड़कर रुप ताक़ते रहते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं सालों की प्रतीक्षा के बाद यह शुभ अवसर आया है एक सुन्दरी के चक्कर में अपना समय गँवाया है हरि भक्ति को छोड़ सभी बस वीडियोग्राफी करते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं कुछ समय की यह तन सुन्दरता रुप काम न आएगा अन्त समय में बस संग दान, धर्म, कर्म ही जाएगा भक्ति भजन को छोड़ रुप के क्यों चक्कर में पड़ते हैं महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset 

          *हरि नाम नहीं भजते हैं*

इक मृगनयनी के चक्कर में पागल बनकर फिरते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

इक लड़की मोनालिसा जिसने सबका चैन चुराया 
माला बेचन वाली ने सब के ऊपर जादू चलाया 
कुंभ के सारे श्रद्धालु अब उसकी माला जपते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

इस सुन्दरी का महाकुंभ में हो रहा प्रचार- प्रसार 
मोनालिसा की ही खबरें छाप रहे सारे अखबार 
मोहित रुप के सम्मुख सारे धर्म- कर्म न लिखते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

जानें कैसा रोग लगा है? इन भक्त जनों के मन को
छोड़कर त्रिवेणी पावन तट को पूज रहे बस तन को 
भजन कीर्तन छोड़ रुप के पीछे सारे चलते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

तन के पीछे पागल फिरते होते चरित्रवान नहीं 
जो नारी करे अनादर होता उसका सम्मान नहीं 
धर्म- कर्म के काम छोड़कर रुप ताक़ते रहते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

सालों की प्रतीक्षा के बाद यह शुभ अवसर आया है 
एक सुन्दरी के चक्कर में अपना समय गँवाया है 
 हरि भक्ति को छोड़ सभी बस वीडियोग्राफी करते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

कुछ समय की यह तन सुन्दरता रुप काम न आएगा 
अन्त समय में बस संग दान, धर्म, कर्म ही जाएगा 
भक्ति भजन को छोड़ रुप के क्यों चक्कर में पड़ते हैं 
महाकुंभ में आए श्रद्धालु हरि नाम नहीं भजते हैं

       स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                        उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

#हरिनामनहींभजतेहैं #कविता #महाकुंभ२०२५ #भक्ति Hinduism

15 Love

White मुक्तक किसी का दर्द कोई तब तक समझता नहीं है। दर्द से स्वयं वो भी जब तक गुजरता नहीं है। जब तक हसीनाएं अदाएं दिखाती नहीं हैं, किसी दिवाने का दिल तब तक मचलता नहीं है।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#शायरी #Broken💔Heart #love_shayari #poem  White मुक्तक

किसी का दर्द कोई तब तक समझता नहीं है। 
दर्द से स्वयं वो भी जब तक गुजरता नहीं है। 
जब तक हसीनाएं अदाएं दिखाती नहीं हैं, 
किसी दिवाने का दिल तब तक मचलता नहीं है।।

         स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                              उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

#love_shayari #poem #Broken💔Heart शायरी लव शायरी दर्द

15 Love

White *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं* भक्तिभाव से हृदय भरे अनमोल सीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं सत्य धर्म का प्रचार है सनातन का विस्तार है समस्त सृष्टि की चेतना मनुज जीवन आधार है जम्बूद्वीप से दिव्य न अन्य महाद्वीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप है पावन नदियों का संगम महाकुंभ दृश्य विहंगम सजे अखाड़े अति सुन्दर यहां मिटे सबका हर गम त्रिवेणी के तट पर झुकते सभी महीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं यह सनातन का अभिमान है हम सभी की पहचान है अमृत बूँद यहीं पर गिरी भगवान का वरदान है ज्ञान पुंज के समान आए बहु प्रदीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं त्रिवेणी में करने स्नान आते सभी संत महान त्रिवेणी में डुबकी लगा मोक्ष का पाते वरदान शिविर संतों के लगे कगार के समीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#प्रयागराज #महाकुंभ2025 #भक्तिगीत #poem✍🧡🧡💛 #भक्ति  White 

     *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं*

भक्तिभाव से हृदय भरे अनमोल सीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं

सत्य धर्म का प्रचार है 
सनातन का विस्तार है 
समस्त सृष्टि की चेतना
मनुज जीवन आधार है

जम्बूद्वीप से दिव्य न अन्य महाद्वीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप है

पावन नदियों का संगम
महाकुंभ दृश्य विहंगम 
सजे अखाड़े अति सुन्दर 
यहां मिटे सबका हर गम

त्रिवेणी के तट पर झुकते सभी महीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं

यह सनातन का अभिमान है 
हम सभी की पहचान है 
अमृत बूँद यहीं पर गिरी
भगवान का वरदान है

ज्ञान पुंज के समान आए बहु प्रदीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं

त्रिवेणी में करने स्नान 
आते सभी संत महान 
त्रिवेणी में डुबकी लगा
मोक्ष का पाते वरदान

शिविर संतों के लगे कगार के समीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं।

        स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                         उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

White *माँ* माता के जैसा नहीं,जग में कोई और। खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।। हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा। जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।। माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता। देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।। ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह। पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।। वारे अपनी देह,आप गीले में सोती। चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।। जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता। झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#मोटिवेशनल #कविता #ममता #माँ  White 
 *माँ*

माता के जैसा नहीं,जग में कोई और।
खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।।
हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा।
जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।।
माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता।
देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।।

ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह।
पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।।
वारे अपनी देह,आप गीले में सोती।
चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।।
जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता।
झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।।

     स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                      उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
#भक्ति  *जय सियाराम* 

हमें शौक नही लकीर का फकीर बनने का 
    अपनी तो आदत खुद का रास्ता बनाने की।
मानते हैं किसी को तो दिल से मानते हैं 
    अपनी फितरत नहीं झूठा प्यार जताने की।
हाथ की लकीर पर नहीं विश्वास कर्म पर है 
     गगन को छूना, मेहनत अपनी चरम पर है,
किसी धन्नासेठ के आगे झुके न सर अपना
     अपनी आदत राम के चरण सर झुकाने की।।

      स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

सुप्रभात मित्रों जय सियाराम @Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) @santosh tiwari Sudha Tripathi @deepshi bhadauria @Raushni Tripathi भक्ति सागर

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