बेकाबू भीड भरे शहर में मैंने अंदर से खुद को कितना | हिंदी विचार

"बेकाबू भीड भरे शहर में मैंने अंदर से खुद को कितना अकेला पाया है जज्बात होंठों पर आ नहीं पाते अब, क्योंकि इस जमाने में नकाब पहनें लोगों का हर तरफ साया है, यहां फुर्सत नहीं मिलती लोगों को दिल दुखाने से चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए , दिल में नफरत का बाजार बनाया है ©Jitender Sharma"

 बेकाबू भीड भरे शहर में 
मैंने अंदर से खुद को कितना अकेला पाया है 
जज्बात होंठों पर आ नहीं पाते अब,
 क्योंकि इस जमाने में नकाब पहनें लोगों का हर तरफ साया है,
यहां फुर्सत नहीं मिलती लोगों को दिल दुखाने से
चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए , दिल में नफरत का बाजार बनाया है

©Jitender Sharma

बेकाबू भीड भरे शहर में मैंने अंदर से खुद को कितना अकेला पाया है जज्बात होंठों पर आ नहीं पाते अब, क्योंकि इस जमाने में नकाब पहनें लोगों का हर तरफ साया है, यहां फुर्सत नहीं मिलती लोगों को दिल दुखाने से चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए , दिल में नफरत का बाजार बनाया है ©Jitender Sharma

#GoldenHour

People who shared love close

More like this

Trending Topic