पेटभर मिठाईया खाने की तमन्ना किसे है
टुकडा चखना जरा सा काफी है मेरे लिए
मंजिल तक सफर करना कौन चाहता है
दो कदम उसकी ओर बढाना काफी है मेरे लिए
भरजरी कपड़ों की आंस कौन रखता है
बस आबरू सलामत रहे काफी है मेरे लिए
मशहूर कौन बनना चाहता है इस बदनाम दुनिया में
वजूद मेरा बेदखल ना हो इतना काफी है मेरे लिए
तारीफ के पूल क्यूं बांधे कोई मेरे शब्द पढकर
पढकर मन ही मन मुस्कराए कोई काफी है मेरे लिए
हसरत जिंदगी भर के हमसफर की किसे है
दुर जाते जाते इक नजर देखे कोई काफी है मेरे लिए
©Vivek. . . . . .
#Love
Waaaaaaaaaaaaàaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah sir aap sach mai kamaal likhte hai .. Kaafi hai mere liye..... Badnam duniya mai.. Bahut hi khubsurat rachana Seedhe hriday ko chhuti hui