ढलती हुई हर शाम का सूरज सुनो कभी ये क्या कहता है | हिंदी विचार

"ढलती हुई हर शाम का सूरज सुनो कभी ये क्या कहता है आज भी कुछ यादे समेटे नदी का पुराना पुल रहता है ©pragati"

 ढलती हुई हर शाम का सूरज
सुनो कभी ये क्या कहता है

आज भी कुछ यादे समेटे नदी का पुराना पुल रहता है

©pragati

ढलती हुई हर शाम का सूरज सुनो कभी ये क्या कहता है आज भी कुछ यादे समेटे नदी का पुराना पुल रहता है ©pragati

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