चकोर विरह में चांद की अब टूट रही है आस। अंतर्मन की वेदना का उसे कहां एहसास? शर्म हया की वेदी पर धूं - धूं जलता विश्वास , प्रेम पुष्प की अंगड़ाई का धूमिल हुआ उल्लास ।।
©Ravi Ranjan Kumar Kausik
अंतर्मन की वेदना PФФJД ЦDΞSHI @Raksha Singh चाँदनी Pooja Saxena @Rashi