White चार कंधों पर जब सफर मेरा सजाया गया,
माजी के हर लम्हे को गुनाह बताया गया।
जिन चेहरों पर कभी वफ़ा के फूल खिले थे,
आज उन्हीं निगाहों से बेगाना बुलाया गया।
दुनिया की रस्में थीं, निभानी जरूरी थीं,
दिलों की नफरतों में मोहब्बत की दूरी थीं।
ग़ुरूर टूटा, जब देखा खुद को बेसहारा,
हर रिश्ता बस इक मजबूरी की कटारी था।
सोचा, काश कोई अश्क सच बोल देता,
जिनके लिए जिया, वो एक दर्द खोल देता।
अब सुकून ये है कि सफर खत्म हुआ,
मिट्टी की गोद में मेरा हर ग़म दफन हुआ।
©UNCLE彡RAVAN
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